चेन्नई: द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मद्रास हाईकोर्ट में कहा कि उनके कथित सनातन धर्म विरोधी टिप्पणियों को लेकर उनके सार्वजनिक पद पर बने रहने के खिलाफ एक याचिका वैचारिक मतभेदों के कारण दायर की गई. इसमें याचिकाकर्ता एक हिंदू दक्षिणपंथी संगठन हैं.
उदयनिधि का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25, धर्म को अपनाने और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है. लोगों को नास्तिकता के रास्ते पर चलने और प्रचार करने का अधिकार भी देता है. विल्सन ने सोमवार को न्यायमूर्ति अनीता सुमंत के समक्ष यह भी कहा कि अनुच्छेद 19(1)(ए) (स्वतंत्रता या अभिव्यक्ति) के साथ पढ़ा जाने वाला अनुच्छेद 25 स्पष्ट रूप से मंत्री के भाषण की रक्षा करता है.
दक्षिणपंथी संगठन हिंदू मुन्नानी ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में सनातन धर्म के खिलाफ कथित टिप्पणियों के मद्देनजर उदयनिधि के सार्वजनिक पद पर बने रहने को चुनौती देते हुए को वारंटो दायर किया था. विल्सन ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह मामला इसलिए दायर किया है क्योंकि डीएमके उनकी विचारधारा के विपरीत है.
साथ ही द्रविड़ विचारधारा के लिए खड़ा है और आत्म-सम्मान, समानता, तर्कसंगत विचार और भाईचारे की बात करता है, जबकि विरोधी संप्रदाय जाति के आधार पर विभाजन की बात करता है. न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं से उस कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र जहां उदयनिधि ने कथित तौर पर टिप्पणियां की. साथ ही बैठक में भाग लेने वाले लोगों की सूची पेश करने के लिए कहा. इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर तय कर दी.