उदयपुर. देश-दुनिया में डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए मशहूर झीलों की नगरी उदयपुर में शुक्रवार को एक समलैंगिक जोड़े ने शादी की. इस शादी को लेकर लेक सिटी सुर्खियों में है. वहीं, दोनों एक होटल में अपनी परंपराओं के अनुरुप विवाह के बंधन बंधे. हालांकि, इस शादी को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है. बावजूद इसके सूत्रों की मानें तो शहर में दो दोस्तों ने समलैंगिक शादी की है और ये दोनों अमेरिका में साथ काम करते हैं. वहीं, शादी की रस्मों को बेहद गोपनीय तरीके से संपन्न किया गया. साथ ही दोनों दोस्तों ने अपनी पहचान छुपाए रखने के लिए किसी भी तरह की जानकारी साझा नहीं की.
2019 में हुई थी दोनों मुलाकात : जानकारी के मुताबिक दोनों युवाओं ने उनके परिजनों को भी इस शादी में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा था. साथ ही कहा जा रहा है कि इनकी शादी के कार्ड में हिंदू रीति रिवाज से शादी करने की बात भी कही जा रही है. वहीं, समलैंगिक विवाह करने वाले ये दोनों युवक साल 2019 में पहली बार एक-दूसरे से मिले थे और आहिस्ते-आहिस्ते इनकी दोस्ती प्यार में बदल गई. ऐसे में दोनों ने आखिरकार शादी करने का फैसला किया. दोनों दोस्त अमेरिका में एक साथ नौकरी करते हैं, जिसमें एक अमेरिकी नागरिक है तो दूसरा एनआरआई बताया जा रहा है. इससे पहले गुरुवार रात को मेहंदी और रिंग सेरेमनी की रस्म हुई थी. उसके बाद शुक्रवार को दोनों शादी के बंधन में बंध गए. इस शादी में दोनों के परिजनों के अलावा उनके मित्र व करीबी मेहमान के शामिल होने की बात भी कही जा रही है.
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हालांकि, इस समलैंगिक विवाह को लेकर चर्चाओं का बाजार एकदम से गर्म हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णय में साफ कर दिया है कि कानून के अभाव में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है. इसके बावजूद उन्हें अन्य नागरिकों की तरह सुरक्षा का अधिकार है. ऐसे विवाह को सामाजिक मान्यता पहले से ही नहीं है. वहीं, सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि समलैंगिकता पर कानून बनाने का काम कोर्ट का नहीं, बल्कि संसद का है. ऐसे में कोर्ट इसे कानूनी मान्यता देने के संबंध में अपने स्तर पर कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकती है.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिकता की कानूनी मान्यता की स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब यह साफ हो गया है कि देश में ऐसे जोड़े को विवाह के उपरांत भी आम वैवाहिक जोड़े के समान स्टेट्स नहीं मिलेगा और न ही उन्हें पति-पत्नी का दर्जा दिया जाएगा. हालांकि, यह भी साफ कर दिया गया कि यदि कोई भी समलैंगिक विवाह करके साथ रहता है तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा. वहीं, अधिवक्ता आरपी सैनी ने कहा कि ऐसे जोड़ों को सामाजिक मान्यता तो पहले से ही नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें लेकर विधिक स्थिति भी साफ हो गई है.