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अखिलेश की चाचा शिवपाल और ओपी राजभर को दो टूक, 'जहां मिले सम्मान...चले जाइए'

समाजवादी पार्टी ने सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को एक खुला पत्र जारी किया है. सपा ने कहा है कि वे किसी भी पार्टी में जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

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समाजवादी पार्टी
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Published : Jul 23, 2022, 4:42 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने पर शनिवार को अपना रास्ता अलग कर लेने की हिदायत दी है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के नजदीक है, इसलिए वे अपना रास्ता खुद अलग कर लें.


गौरतलब है कि, राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव ने लगातार समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की. यही नहीं, दोनों ने ही द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान भी किया. लगाकर समाजवादी पार्टी के स्टैंड से हटकर राजभर और शिवपाल का रुख जा रहा था. जिस पर आखिरकार समाजवादी पार्टी ने आज अपना स्टैंड क्लियर कर दिया.

बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी सपा का मूल चरित्र ऐसा ही रहा है. जिसका भी हाथ पकड़ा, उसका हाथ झटक भी दिया है.

सपा की ओर से समाजवादी पार्टी की ओर से ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव के लिए अलग-अलग पत्र जारी करके कहा है कि वे स्वतंत्र हैं. दोनों नेताओं को अपना रास्ता चुन लेने के लिए कहा गया है. इन दोनों पत्रों की भाषा से यह स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी ने अब तक गठबंधन तोड़ा नहीं है, लेकिन संकेत दे दिया है कि शिवपाल और राजभर का अब सपा से कोई नाता नहीं है.


समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव को साइकिल चुनाव निशान देकर जसवंत नगर सीट से लड़ आया था. जबकि सुहेलदेव समाज पार्टी से गठबंधन करके उनको टिकट दिए थे राजभर की पार्टी ने कुल 6 सीटें जीती थी. जबकि शिवपाल सिंह यादव ने भी अपनी सीट को आसानी से जीत लिया था.

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समाजवादी पार्टी ने लिखा पत्र.

इसे भी पढ़ेंः दिल्ली पहुंचे CM योगी, UP बीजेपी में संगठन के बदलाव को लेकर होगी चर्चा

मगर चुनाव में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी, उसके बाद से ही दोनों नेताओं के सुर बदलने लगे थे. लगातार समाजवादी पार्टी को निशाने पर ले रहे थे. ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव को समय-समय पर निशाने पर लिया था. जबकि शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश को अपरिपक्व राजनीतिज्ञ घोषित कर दिया था. पराकाष्ठा तब हो गई जब राष्ट्रपति के चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में दोनों नेताओं ने वोट नहीं दिया और खुलेआम एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने पत्र जारी करके दोनों से गठबंधन तोड़ने का लगभग ऐलान कर दिया है.

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने बताया कि शिवपाल सिंह यादव और ओमप्रकाश राजभर की विचारधारा इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के नजदीक थी. हमारी विचारधारा स्पष्ट है. हम भाजपा के साथ रहने वालों को अपने साथ नहीं रख सकते, इसलिए दोनों को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता दे दी गई है.

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समाजवादी पार्टी ने लिखा पत्र.
समाजवादी पार्टी का मूल चरित्र ही ऐसा : भाजपा इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी सपा का मूल चरित्र ऐसा ही रहा है. जिसका भी हाथ पकड़ा, उसका हाथ झटक भी दिया है. पहले कांग्रेस बसपा और अब शिवपाल और राजभर. जिसने अपने पिता को गच्चा दिया हो, वह अपने सहयोगियों के साथ कैसे रह सकता है.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने पर शनिवार को अपना रास्ता अलग कर लेने की हिदायत दी है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के नजदीक है, इसलिए वे अपना रास्ता खुद अलग कर लें.


गौरतलब है कि, राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव ने लगातार समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की. यही नहीं, दोनों ने ही द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान भी किया. लगाकर समाजवादी पार्टी के स्टैंड से हटकर राजभर और शिवपाल का रुख जा रहा था. जिस पर आखिरकार समाजवादी पार्टी ने आज अपना स्टैंड क्लियर कर दिया.

बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी सपा का मूल चरित्र ऐसा ही रहा है. जिसका भी हाथ पकड़ा, उसका हाथ झटक भी दिया है.

सपा की ओर से समाजवादी पार्टी की ओर से ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव के लिए अलग-अलग पत्र जारी करके कहा है कि वे स्वतंत्र हैं. दोनों नेताओं को अपना रास्ता चुन लेने के लिए कहा गया है. इन दोनों पत्रों की भाषा से यह स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी ने अब तक गठबंधन तोड़ा नहीं है, लेकिन संकेत दे दिया है कि शिवपाल और राजभर का अब सपा से कोई नाता नहीं है.


समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव को साइकिल चुनाव निशान देकर जसवंत नगर सीट से लड़ आया था. जबकि सुहेलदेव समाज पार्टी से गठबंधन करके उनको टिकट दिए थे राजभर की पार्टी ने कुल 6 सीटें जीती थी. जबकि शिवपाल सिंह यादव ने भी अपनी सीट को आसानी से जीत लिया था.

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समाजवादी पार्टी ने लिखा पत्र.

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मगर चुनाव में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी, उसके बाद से ही दोनों नेताओं के सुर बदलने लगे थे. लगातार समाजवादी पार्टी को निशाने पर ले रहे थे. ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव को समय-समय पर निशाने पर लिया था. जबकि शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश को अपरिपक्व राजनीतिज्ञ घोषित कर दिया था. पराकाष्ठा तब हो गई जब राष्ट्रपति के चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में दोनों नेताओं ने वोट नहीं दिया और खुलेआम एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने पत्र जारी करके दोनों से गठबंधन तोड़ने का लगभग ऐलान कर दिया है.

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने बताया कि शिवपाल सिंह यादव और ओमप्रकाश राजभर की विचारधारा इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के नजदीक थी. हमारी विचारधारा स्पष्ट है. हम भाजपा के साथ रहने वालों को अपने साथ नहीं रख सकते, इसलिए दोनों को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता दे दी गई है.

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समाजवादी पार्टी ने लिखा पत्र.
समाजवादी पार्टी का मूल चरित्र ही ऐसा : भाजपा इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी सपा का मूल चरित्र ऐसा ही रहा है. जिसका भी हाथ पकड़ा, उसका हाथ झटक भी दिया है. पहले कांग्रेस बसपा और अब शिवपाल और राजभर. जिसने अपने पिता को गच्चा दिया हो, वह अपने सहयोगियों के साथ कैसे रह सकता है.

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