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कोरोना काल में साकेत मैक्स हॉस्पिटल की मनमानी, कौन दे पाएगा इतना बिल...

कोराना काल में निजी अस्पतालों (Private Hospitals) द्वारा इलाज के नाम पर जमकर लूट की गई. मरीजों के परिजनों से जान बचाने के एवज में लाखों रुपये वसूले गये. इस दौरान कोर्ट और दिल्ली सरकार द्वारा अस्पतालों पर लगाम कसने की कोशिश की गई, जो लगता है, नाकाम साबित हुई. ताजा मामले में एक अस्पताल पर कोरोना के इलाज के लिये करीब पौने दो करोड़ रुपये वसूलने का आरोप लगा है.

साकेत मैक्स हॉस्पिटल
साकेत मैक्स हॉस्पिटल
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Published : Sep 8, 2021, 10:36 PM IST

नई दिल्लीः कोरोना (Corona) के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा लूट की खबरें काफी सुनने को मिलीं. इसको लेकर कोर्ट ने भी काफी बार फटकार लगाई. सरकार ने भी रेट निर्धारित किये, लेकिन अस्पतालों की मनमानी नहीं रुकी. अस्पताल इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूलते रहे, लेकिन ताजा मामला लाखों का नहीं, करोड़ों का है. साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल (Max hospital) पर कोरोना के इलाज के नाम पर एक करोड़ 80 लाख रुपये का बिल बनाने का आरोप लगा है.

इसको लेकर मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती ने एक ट्वीट भी किया है. उन्होंने लिखा है कि किसी अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए सबसे ज्यादा कितना चार्ज करते सुना है ?? 25 लाख? 50 लाख?..नहीं, यह 1.8 करोड़ है. साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल ने एक महिला से पति के इलाज के लिये अविश्वसनीय राशि वसूल की. महिला ने, जब छूट के लिये उनसे मदद मांगी तो, महिला पर अस्पताल प्रशासन चिल्लाया.

ट्वीट
ट्वीट

विधायक ने आगे ट्वीट करते हुये लिखा कि महिला ने सारी बचत खर्च कर दी. इसके लिये शायद मदद भी ली होगी. उनके पति 28 अप्रैल को मैक्स में भर्ती हुए थे. बीते मंगलवार को उनको डिस्चार्ज कर दिया गया. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल के डॉ. गुरप्रीत सिंह ने 1.8 करोड़ रुपये चार्ज करने के बाद भी महिला पर चिल्लाने का व्यवहार किया.

सोमनाथ भारती ने ट्वीट करते हुये लिखा कि डॉ. गुरप्रीत सिंह, जो इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं हैं, बल्कि साकेत के मैक्स हॉस्पिटल्स के ग्रुप हेड हैं. वह यह कह रहे थे कि परिवार को हमारा आभारी होना चाहिए. हमने मरीज को बचाया और 1 करोड़ 80 लाख रुपये के बिल की शिकायत नहीं की. मैक्स अस्पताल नया भगवान है, जिसकी पूजा करने की आवश्यकता है.

पढ़ें : कृषि कानून : कोर्ट नियुक्त समिति के सदस्यों ने रिपोर्ट को शत प्रतिशत किसानों के पक्ष में बताया

वहीं, इस मामले पर साकेत मैक्स हॉस्पिटल ने आधिकारिक बयान जारी किया है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 51 वर्षीय मरीज को 28 अप्रैल, 2021 को मैक्स अस्पताल, साकेत के इमरजेंसी में लाया गया था. वह गंभीर कोविड निमोनिया से पीड़ित थे. उन्हें जल्द ही आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बावजूद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया. उन्हें 10 मई, 2021 को एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) पर COVID-19 प्रभावित फेफड़ों को और नुकसान से बचाने के लिए इलाज शुरू किया गया था. लगभग 75 दिनों तक मरीज को ECMO पर रखा गया था.

मैक्स प्रशासन (Max Administration) का कहना है कि मामला बेहद चुनौतीपूर्ण था. रोगी मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रसित थे. उनके पित्ताशय में संक्रमण, कमजोरी और निचले अंगों में थक्के, यकृत की शिथिलता और सेप्सिस के कारण मस्तिष्क के कार्य में कमी थी. उन्हें 23 जुलाई 2021 को ECMO से हटा दिया गया था, लेकिन 16 अगस्त 2021 तक मरीज आईसीयू में रहे. वह अस्पताल में करीब साढ़े चार महीने तक रहे. उन्हें बीते 6 सितंबर 2021 को छुट्टी दे दी गई.

अस्पताल ने बयान में कहा कि ECMO एक उच्च स्तरीय और विशिष्ट तकनीक है, जो देश के कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है. इसका उपयोग केवल गंभीर हृदय/फेफड़ों की क्षति के मामलों में ही किया जाता है. मरीज के परिवार को चिकित्सा स्थिति से अवगत कराया गया था. नियमित रूप से उपचार की लागत के बारे में परामर्श दिया गया था. मरीज और उसका परिवार देखभाल और उपचार से संतुष्ट थे.

नई दिल्लीः कोरोना (Corona) के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा लूट की खबरें काफी सुनने को मिलीं. इसको लेकर कोर्ट ने भी काफी बार फटकार लगाई. सरकार ने भी रेट निर्धारित किये, लेकिन अस्पतालों की मनमानी नहीं रुकी. अस्पताल इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूलते रहे, लेकिन ताजा मामला लाखों का नहीं, करोड़ों का है. साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल (Max hospital) पर कोरोना के इलाज के नाम पर एक करोड़ 80 लाख रुपये का बिल बनाने का आरोप लगा है.

इसको लेकर मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती ने एक ट्वीट भी किया है. उन्होंने लिखा है कि किसी अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए सबसे ज्यादा कितना चार्ज करते सुना है ?? 25 लाख? 50 लाख?..नहीं, यह 1.8 करोड़ है. साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल ने एक महिला से पति के इलाज के लिये अविश्वसनीय राशि वसूल की. महिला ने, जब छूट के लिये उनसे मदद मांगी तो, महिला पर अस्पताल प्रशासन चिल्लाया.

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विधायक ने आगे ट्वीट करते हुये लिखा कि महिला ने सारी बचत खर्च कर दी. इसके लिये शायद मदद भी ली होगी. उनके पति 28 अप्रैल को मैक्स में भर्ती हुए थे. बीते मंगलवार को उनको डिस्चार्ज कर दिया गया. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल के डॉ. गुरप्रीत सिंह ने 1.8 करोड़ रुपये चार्ज करने के बाद भी महिला पर चिल्लाने का व्यवहार किया.

सोमनाथ भारती ने ट्वीट करते हुये लिखा कि डॉ. गुरप्रीत सिंह, जो इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं हैं, बल्कि साकेत के मैक्स हॉस्पिटल्स के ग्रुप हेड हैं. वह यह कह रहे थे कि परिवार को हमारा आभारी होना चाहिए. हमने मरीज को बचाया और 1 करोड़ 80 लाख रुपये के बिल की शिकायत नहीं की. मैक्स अस्पताल नया भगवान है, जिसकी पूजा करने की आवश्यकता है.

पढ़ें : कृषि कानून : कोर्ट नियुक्त समिति के सदस्यों ने रिपोर्ट को शत प्रतिशत किसानों के पक्ष में बताया

वहीं, इस मामले पर साकेत मैक्स हॉस्पिटल ने आधिकारिक बयान जारी किया है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 51 वर्षीय मरीज को 28 अप्रैल, 2021 को मैक्स अस्पताल, साकेत के इमरजेंसी में लाया गया था. वह गंभीर कोविड निमोनिया से पीड़ित थे. उन्हें जल्द ही आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बावजूद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया. उन्हें 10 मई, 2021 को एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) पर COVID-19 प्रभावित फेफड़ों को और नुकसान से बचाने के लिए इलाज शुरू किया गया था. लगभग 75 दिनों तक मरीज को ECMO पर रखा गया था.

मैक्स प्रशासन (Max Administration) का कहना है कि मामला बेहद चुनौतीपूर्ण था. रोगी मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रसित थे. उनके पित्ताशय में संक्रमण, कमजोरी और निचले अंगों में थक्के, यकृत की शिथिलता और सेप्सिस के कारण मस्तिष्क के कार्य में कमी थी. उन्हें 23 जुलाई 2021 को ECMO से हटा दिया गया था, लेकिन 16 अगस्त 2021 तक मरीज आईसीयू में रहे. वह अस्पताल में करीब साढ़े चार महीने तक रहे. उन्हें बीते 6 सितंबर 2021 को छुट्टी दे दी गई.

अस्पताल ने बयान में कहा कि ECMO एक उच्च स्तरीय और विशिष्ट तकनीक है, जो देश के कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है. इसका उपयोग केवल गंभीर हृदय/फेफड़ों की क्षति के मामलों में ही किया जाता है. मरीज के परिवार को चिकित्सा स्थिति से अवगत कराया गया था. नियमित रूप से उपचार की लागत के बारे में परामर्श दिया गया था. मरीज और उसका परिवार देखभाल और उपचार से संतुष्ट थे.

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