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Judge Arun Kumar Singh: सिर्फ ऑर्डर नहीं सुनाते जज साहब... सजा के साथ सद्मार्ग पर चलने का भी बताते हैं रास्ता

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 8:48 PM IST

Updated : Sep 8, 2023, 10:57 PM IST

एमपी के सागर जिला न्यायालय के जिला न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह केवल अदालत में मामलों का निपटारा करने वाले न्यायाधीश नहीं हैं, बल्कि वह एक अच्छे भागवत कथा वाचक भी हैं.

Sagar District Court Judge Arun Kumar Singh
सागर जिला न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह
सिर्फ ऑर्डर नहीं सुनाते जज साहब

सागर। आमतौर पर एक जज की छवि ऐसी होती है, कि लोग आसपास भटकने से भी डरते हैं. मुलजिमों के तो ये हाल होते हैं कि जज के सामने पसीना छोड देते हैं, लेकिन सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश की बात कुछ और ही है. इन जज साहब की जितनी न्यायप्रियता की छवि है, उससे कहीं ज्यादा अपने धर्म और आध्यात्मय प्रेम को लेकर इनका नाम है. खास बात ये है कि जिला न्यायाधीश संगीतमय प्रवचन के लिए भी प्रसिद्ध हैं, इन दिनों जिला न्यायाधीश सागर केंद्रीय जेल में कैदियों को धर्म के जरिए सदमार्ग पर चलने का रास्ता दिखा रहे हैं.

सागर केंद्रीय जेल में प्रवचन: केंद्रीय जेल में ये एक विशेष मौका था, जब जेल के कैदियों को श्रीमद् भगवत गीता की व्याख्या और संदेश को समझने का मौका मिला. खास बात ये थी कि कैदियों को गीता की व्याख्या और संदेश किसी धर्मगुरू और कथावाचक ने नहीं बताया, बल्कि सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह ने समझाया. संगीतमय कथा की तर्ज पर एक पारंगत प्रवचनकर्ता की तरह जिला न्यायाधीश ने गीता पर व्याख्यान दिया और कैदियों को धर्म और अधर्म के बारे में बताया.

दरअसल केंद्रीय जेल सागर में श्रीमद् भगवत गीता व्याख्या एवं संदेश कार्यक्रम का आयोजन किया गया, प्रधान जिला न्यायाधीश ने धर्म और अधर्म के बारे में समझााने महाभारत के पात्र दुर्योधन का सहारा लिया. उन्होंने बताया कि "दुर्योधन धर्म और अधर्म को भलीभांति समझता था, लेकिन जिस तरह उसने द्रोपदी का चीरहरण किया और भाईयों का अधिकार छीनने की कोशिश की. वो जानता था कि ये अधर्म है, लेकिन उसका उस पर काबू नहीं था." जिला न्यायाधीश ने एक न्यायाधीश की कहानी सुनाते हुए समझाया कि "किस तरह न्यायाधीश को न्याय करना होता है और कैसे इंसान से पाप होता है. आखिर कौन सी ऐसी चींजे जो इंसान को पाप के लिए उकसाती है."

ओरछा के रामराजा की प्रेरणा से अपनाया भक्ति मार्ग: न्यायिक सेवा की अपनी पदस्थापना के दौरान न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह की पदस्थापना टीकमगढ में रही और इस दौरान ओछरा नरेश रामराजा की प्रेरणा से उनका झुकाव धर्म आध्यात्मय की तरफ हुआ और धीरे-धीरे धर्मग्रंथों के अध्ययन और चिंतन मनन के चलते उनका लगाव धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या और भजन की तरफ हुआ.

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कौन हैं न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह: वैसे तो सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह का पैतृक निवास यूपी के वाराणसी के ग्राम सुगोई में है, लेकिन वर्तमान में रीवा में निवास करते हैं. उनकी पत्नी का नाम नीलम सिंह और बडे बेटे राघव सिंह बैंक मैनेजर हैं और छोटे बेटे माधव सिंह एक आर्किटेक्ट हैं, जिन्होंने आईआईटी रूडकी से डिग्री हासिल की है.

सिर्फ ऑर्डर नहीं सुनाते जज साहब

सागर। आमतौर पर एक जज की छवि ऐसी होती है, कि लोग आसपास भटकने से भी डरते हैं. मुलजिमों के तो ये हाल होते हैं कि जज के सामने पसीना छोड देते हैं, लेकिन सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश की बात कुछ और ही है. इन जज साहब की जितनी न्यायप्रियता की छवि है, उससे कहीं ज्यादा अपने धर्म और आध्यात्मय प्रेम को लेकर इनका नाम है. खास बात ये है कि जिला न्यायाधीश संगीतमय प्रवचन के लिए भी प्रसिद्ध हैं, इन दिनों जिला न्यायाधीश सागर केंद्रीय जेल में कैदियों को धर्म के जरिए सदमार्ग पर चलने का रास्ता दिखा रहे हैं.

सागर केंद्रीय जेल में प्रवचन: केंद्रीय जेल में ये एक विशेष मौका था, जब जेल के कैदियों को श्रीमद् भगवत गीता की व्याख्या और संदेश को समझने का मौका मिला. खास बात ये थी कि कैदियों को गीता की व्याख्या और संदेश किसी धर्मगुरू और कथावाचक ने नहीं बताया, बल्कि सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह ने समझाया. संगीतमय कथा की तर्ज पर एक पारंगत प्रवचनकर्ता की तरह जिला न्यायाधीश ने गीता पर व्याख्यान दिया और कैदियों को धर्म और अधर्म के बारे में बताया.

दरअसल केंद्रीय जेल सागर में श्रीमद् भगवत गीता व्याख्या एवं संदेश कार्यक्रम का आयोजन किया गया, प्रधान जिला न्यायाधीश ने धर्म और अधर्म के बारे में समझााने महाभारत के पात्र दुर्योधन का सहारा लिया. उन्होंने बताया कि "दुर्योधन धर्म और अधर्म को भलीभांति समझता था, लेकिन जिस तरह उसने द्रोपदी का चीरहरण किया और भाईयों का अधिकार छीनने की कोशिश की. वो जानता था कि ये अधर्म है, लेकिन उसका उस पर काबू नहीं था." जिला न्यायाधीश ने एक न्यायाधीश की कहानी सुनाते हुए समझाया कि "किस तरह न्यायाधीश को न्याय करना होता है और कैसे इंसान से पाप होता है. आखिर कौन सी ऐसी चींजे जो इंसान को पाप के लिए उकसाती है."

ओरछा के रामराजा की प्रेरणा से अपनाया भक्ति मार्ग: न्यायिक सेवा की अपनी पदस्थापना के दौरान न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह की पदस्थापना टीकमगढ में रही और इस दौरान ओछरा नरेश रामराजा की प्रेरणा से उनका झुकाव धर्म आध्यात्मय की तरफ हुआ और धीरे-धीरे धर्मग्रंथों के अध्ययन और चिंतन मनन के चलते उनका लगाव धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या और भजन की तरफ हुआ.

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Last Updated : Sep 8, 2023, 10:57 PM IST
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