बाड़मेर : गुड़ामालानी से कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा भेजा है. जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. क्योंकि हेमाराम चौधरी सचिन पायलट गुट के नेता हैं और 2020 में जब राजस्थान में सियासी भूचाल आया था, तब सचिन पायलट के समर्थन में बाड़ेबंदी में मानेसर जाने वाले विधायकों में चौधरी भी शामिल थे. लेकिन हेमाराम चौधरी के इस्तीफे की खबर सचिन पायलट को भी नहीं थी. जैसे ही सचिन पायलट को इसका पता चला उन्होंने फोन पर हेमाराम चौधरी से बात की.
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बताया जा रहा है कि हेमाराम चौधरी और सचिन पायलट के बीच करीब 5 मिनट तक बातचीत हुई. इस दौरान चौधरी ने पायलट को अपने इस्तीफे की वजह बताई. सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि इस्तीफे की जानकारी सचिन पायलट को भी नहीं थी. क्योंकि हेमाराम चौधरी ने अपने इस्तीफे की कॉपी रजिस्ट्री, मेल, व्हाट्सएप के जरिए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भेजी है. चौधरी समय-समय पर पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते आए हैं.
दबाव बनाने की राजनीतिक या उठापटक की आहट
हेमाराम चौधरी की नाराजगी बाड़मेर से ही आने वाले मंत्री हरीश चौधरी से मानी जाती रही है. लेकिन अब वह सचिन पायलट कैंप के भी प्रमुख सदस्य हैं. ऐसे में उनका इस्तीफा देने का निर्णय सीधा सचिन पायलट के साथ जुड़ता है. और इस्तीफे जैसी बड़ी घटना इस ओर इशारा करती है कि क्या राजस्थान में फिर कोई राजनीतिक उठापटक हो सकती है या फिर यह केवल एक दबाव बनाने की राजनीति है.
विधानसभा में कहा था मुझे वीआरएस दे दो
2018 में सरकार बनने के बाद से ही हेमाराम चौधरी ने बगावती तेवर अपना लिए थे. मंत्री नहीं बनाए जाने से वह पहले से नाराज थे तो वहीं अपने विधानसभा में काम नहीं होने पर उन्होंने विधानसभा में खड़े होकर यहां तक कह दिया था कि अगर मेरे क्षेत्र के काम नहीं किए जाएं तो फिर ऐसी विधायकी किस काम की. मुझे विधानसभा से वीआरएस दे दिया जाए. वहीं हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के बजट सत्र में भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. बजट सत्र में हेमाराम चौधरी ने कहा था कि अगर मुझ से दुश्मनी है तो वह मुझसे निकाली जाए, मेरे क्षेत्र की जनता ने क्या बिगाड़ा है.