मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में किसानों की मौत पर संपादकीय लिखा है. संपादकीय में शिवसेना ने पीएम मोदी पर भी हमला बोला है. सामना में शिवसेना ने लिखा कि हिंदुस्थान जिन चार स्तंभों पर टिका हुआ है, वे स्तंभ भय और दहशत की दीमक से खोखले हो गए हैं. रोज ही देश में ऐसी घटनाएं घट रही हैं और इसलिए लोकतंत्र को लेकर चिंता होने लगी है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में आंदोलनरत किसानों पर तेज रफ्तार गाड़ी चढ़ाकर उन्हें कुचलकर मारने की निंदनीय घटना घटी है. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबरदस्त संवेदनशील एवं भावनाशील शख्स हैं. उन्हें मानवता और गरीबों के अधिकार को लेकर पीड़ा होती है. इसलिए ही कई बार प्रधानमंत्री मोदी को लोगों ने सार्वजनिक रूप से आंसू बहाते देखा है.
उन संवेदनशील मोदी द्वारा कुलचकर मारे गए किसानों के प्रति संवेदना व्यक्त नहीं किया जाना, इस पर हैरानी होती है. कुत्ते का पिल्ला गाड़ी के नीचे आएगा तो वह मरेगा ही, इस पर कितना दुख व्यक्त करना चाहिए? परंतु योगी के राज्य में चार किसान गाड़ी के नीचे कुचले गए और उन्हें मार दिया गया. चार किसानों की हत्या से आंदोलन भड़का. उससे हिंसा हुई. कुल 8 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसका झटका संवेदनशील दिल्ली को न लगे? इससे बड़ा झटका ये है कि किसानों के आंदोलन करने के दौरान केंद्र के मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने तेज रफ्तार गाड़ी किसानों के आंदोलन में घुसाकर किसानों को मार डाला इसलिए आंदोलन भड़का और हिंसा हुई.
इतना बड़ा मृत्युकांड होने के बाद भी देश का मीडिया शाहरुख खान के बेटे द्वारा 13 ग्राम ड्रग्स लिए जाने की खबर का पीछा कर रहा है. उत्तर प्रदेश में मंत्री पुत्र ने चार किसानों को कुचलकर मार डाला, इससे बड़ा शाहरुख खान के बेटे का कारनामा इन लोगों को महत्वपूर्ण लगता है. शाहरुख खान के बेटे और उसके नशेड़ी मित्रों की करतूत रईसी की सनक है. उन पर कानूनन कठोर से कठोर कार्रवाई होगी ही, परंतु शाहरुख खान के बेटे के कृत्य का ढोल पीटने के दौरान मीडिया ने उत्तर प्रदेश के किसानों की नृशंस हत्या पर मानो पर्दा ही डालने का प्रयास किया. लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या से देश दहल उठा है.
कृषि कानून का विरोध करनेवाले किसानों को उत्तर प्रदेश की राम भूमि पर कुचल दिया गया. जिस भूमि पर किसान दो वर्षों से सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं. उनकी व्यथा सुनने के लिए सरकार तैयार नहीं है. गाजीपुर सीमा पर लोहे के पिंजरे चारों तरफ से खड़े करके किसानों को बंदी बना लिया गया है. उन पर पानी का बौछार किया जाता है, आंसू गैस, लाठियां चलाई जाती हैं. हरियाणा में गोलीबारी की गई और वो भी कम पड़ा तो उन पर तेज रफ्तार गाड़ी चढ़ाकर कुचलकर मारा गया. इस खबर की आग मीडिया के छोटे पर्दे और अखबारों के कागजों में जलती नहीं दिखी, बल्कि किसानों को दोषी ठहराने का कार्य चल रहा है.
'लखीमपुर खीरी' से देश का सिर शर्म से झुक गया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री का बेटा आंदोलनरत किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार देता है, उसी समय हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर भाजपाई कार्यकर्ताओं को यह कहकर हिंसा के लिए उकसाते हैं कि आंदोलनकारी किसानों को जस-का-तस उत्तर दो. एक राज्य का मुख्यमंत्री ही किसानों के खिलाफ हिंसाचार को बढ़ावा देता होगा तो वहां के राज्यपाल को उस सरकार को बर्खास्त करने की तुरंत सिफारिश करनी चाहिए. प. बंगाल, महाराष्ट्र के राज्यपाल इसी तरह से काम करते हैं. फिर उनकी ही प्रथा हरियाणा, उत्तर प्रदेश में राज्यपाल को क्यों नहीं दोहरानी चाहिए? लखीमपुर खीरी में माहौल गर्म हो गया है और उस जिले की सीमा आज योगी सरकार ने सील कर दी है.
प्रियंका गांधी किसानों के हत्याकांड वाली जगह पर जाने के लिए निकली थीं, उन्हें योगी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार करने के दौरान दुर्व्यवहार किया गया. सांसद हुड्डा से धक्का-मुक्की की गई. ये क्या हो रहा है. अखिलेश यादव को भी कैद करके रखा गया है. इतना सख्त इंतजाम करने के बजाय सरकार किसानों की मांग क्यों नहीं मान्य कर रही है? उनकी मांगें क्यों नहीं सुनती है? किसान मर जाएं तब भी चलेगा, परंतु सरकार एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी. यह शेखी अपनों के खिलाफ जितनी है, उतनी अकड़ बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ नजर नहीं आती है! लखीमपुर खीरी की सीमा जिस तरह से सीलबंद की गई है, उतनी शेखी चीन सीमा पर दिखाई होती तो लद्दाख की सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ हुई ही नहीं होती. वहां चीनी सैनिक रोज ही आगे आते हैं और देश में किसानों और राजनीतिक विरोधियों की नाकाबंदी की जा रही है. मतलब अब किसान भड़क गया है.
राज्यों-राज्यों में आंदोलन भड़क रहा है. राजस्थान में किसान आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय का ही घेराव किया. राजस्थान में कांग्रेस सरकार है. मतलब भाजपा शासित राज्यों में ही किसान आंदोलन कर रहा है, ऐसा नहीं है. वह सर्वत्र भड़क उठा है. अचरज ये है कि महाराष्ट्र में भाजपा नेता मराठवाड़ा, विदर्भ के संकटग्रस्त किसानों के आंसू पोंछने के लिए बांध पर पहुंचे तब उन्हें किसी ने रोका नहीं, परंतु उत्तर प्रदेश के किसानों को कुचलकर मारा गया. उन तक विरोधियों को, किसान नेताओं को पहुंचने नहीं दिया जा रहा है. किसानों को मारना व राजनीतिक विरोधियों का दमन करना, यह वैâसा लोकतंत्र है? केंद्र के मंत्री के बेटे द्वारा किया गया यह अपराध किसी दूसरे राज्य में हुआ होता तो भाजपा ने देश को सिर पर उठा लिया होता. अब किसानों को ही अपराधी, अराजक ठहराने के लिए उठापटक की जा रही है. किसानों की हत्या, किसानों के रक्त से ज्यादा रईसजादों के मादक पदार्थों की लत और उपचार किसी को महत्वपूर्ण लगता होगा तो ‘जय जवान जय किसान’ का नारा किसलिए दिया जाता है? इसे बंद कर दो!