नई दिल्ली : भीषण गर्मी से जूझ रहे दिल्ली वालों के सामने पीने के पानी का संकट भी गहरा हो गया है. पानी की कम आपूर्ति को लेकर दिल्ली सरकार हरियाणा पर ठीकरा फोड़ रही है कि हरियाणा यमुना नदी में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ रहा. बीते दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज तक कई बयान दे चुके हैं, लेकिन इस संबंध में एक RTI ने दिल्ली सरकार के हरियाणा से कम पानी मिलने के दावे को गलत बताया है. RTI से मिली जानकारी के अनुसार, बीते कई सालों से हरियाणा दिल्ली को पर्याप्त पानी की आपूर्ति कर रहा है, जबकि दिल्ली सरकार हरियाणा पर कम पानी देने का आरोप लगा रही है.
हरियाणा से दिल्ली को मिलने वाले पानी के संबंध में पार्थ कुमार ने दिल्ली जल बोर्ड से जानकारी मांगी थी. बीते 30 मार्च को दिल्ली जल बोर्ड ने दिल्ली निवासी पार्थ सार्थी को जो जानकारी दी, उसके मुताबिक, वर्ष 2015 से लेकर अभी तक तय मानक में हरियाणा दिल्ली के लिए तय कोटे के तहत पानी छोड़ रहा है. वर्ष 2015 में हरियाणा से दिल्ली के हैदरपुर और बवाना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जहां 84,136 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) पानी छोड़ा जाता था तो वर्ष 2022 में भी 85,531 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है. पिछले आठ सालों में हरियाणा द्वारा दिल्ली के लिए छोड़े जाने वाले पानी में मामूली उतार-चढ़ाव ही देखने में आया है.
कितना मिले पानी सुप्रीम कोर्ट ने कर रखा है तय
पानी के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, दिल्ली को 1054 क्यूसेक पानी प्रतिदिन मिलना चाहिए. दिल्ली को जो पानी मिलता है, उसमें भाखड़ा डैम से 371 क्यूसेक, नांगल डैम से 125 क्यूसेक और यमुना ताजेवाला से पानी 330 क्यूसेक पानी यानी कुल 826 क्यूसेक पानी होता है, जिसमें 13 फीसदी लैंड लॉस होकर 719 क्यूसेक पानी दिल्ली तक पहुंचता है. इसके अलावा दिल्ली को मिलने वाला 330 क्यूसेक अतिरिक्त पानी भी हरियाणा देता है. हरियाणा जो भाखड़ा डैम से पानी दिल्ली को देता है वह दरअसल पंजाब से ही लेता है. यानी अपने हिस्से का पानी हरियाणा दिल्ली को देता है.
दिल्ली में साल-दर-साल गहराते जल संकट का एक कारण यहां की जनसंख्या में बढ़ोतरी भी है, लेकिन सरकार भी जानती है कि इसे आबादी को दोष नहीं दिया जा सकता. दिल्ली की मौजूदा कॉलोनियों और वहां रहने वाली आबादी तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए प्रतिदिन लगभग 1,200 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) पानी की आवश्यकता होती है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड प्रतिदिन लगभग 950 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है. 1200 एमजीडी पानी आपूर्ति करने के संबंध में केजरीवाल सरकार बार-बार बातें तो करती है, लेकिन इसमें कम से कम एक साल का वक्त लगेगा. सरकार ने जून 2023 तक जलापूर्ति को बढ़ाकर 1200 एमजीडी करने का लक्ष्य रखा है.