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उत्तर प्रदेश में भाजपा के अग्निपथ को विजयपथ में बदलने में जुटा संघ

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Published : Jan 20, 2022, 5:25 PM IST

आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सक्रिय हो चुका है. आरएसएस के स्वयंसेवक गुपचुप भाजपा के अग्निपथ को विजयपथ में बदलने के लिए जुट गए हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में...

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आरएसएस

हैदराबादः मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देश में 59 हज़ार शाखाएं संचालित हो रही हैं. शाखा के ज़रिये प्रतिदिन संघ के सदस्य एकत्रित होते हैं. अभी 12 भाषाओ में 30 पत्रिकाएं प्रकाशित कर नियमित रूप से दो लाख गांवों तक भेजी जा रहीं हैं. संघ ने पूरे देश में 43 प्रांत बनाए हैं. आरएसएस का दावा है कि उसके एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं. संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं. दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है. यहीं नहीं संघ की करीब 55 हजार गांवों में शाखाएं लग रही है. मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत हैं. संघ देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक उन्नति के साथ ही राष्ट्रवाद को भी बढ़ाने में सक्रिय है.

ये हैं संघ के अनुषांगिक संगठन

बीजेपी, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू स्वय़ंसेवक, स्वदेशी जागरण, सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बजरंग दल, लघु उद्योग भारती, भारतीय विचार केंद्र, विश्व संवाद केंद्र, राष्ट्रीय सिख संगत, हिंदू जागरण मंच, विवेकानंद केंद्र समेत 80 संगठन संघ की अनुषांगिक शाखाएं हैं.

ये भी संघ के स्वयंसेवक हैं

रामनाथ कोविंद, अटल बिहारी वाजपेयी, एकनाथ रानडे, नरेंद्र मोदी, मनोहर पर्रिकर, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, विजय रूपाणी, देवेंद्र फडणवीस, राम माधव, अमित शाह आदि.

यूपी में ऐसे तैयार हो रहा बीजेपी के लिए जीत का रोडमैप

  • काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का प्रसाद भी संघ ने ही घर-घर बांटा

13 दिसंबर को पीएम मोदी के काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन करने के बाद काशी के घर-घर में प्रसाद पहुंचाया गया था. इस प्रसाद को बांटने के लिए संघ के समर्पित स्वयंसेवक जुटे थे. इसके पीछे संघ की रणनीति बीजेपी को मजबूत करना था. प्रसाद के बहाने स्वयंसेवकों ने घर-घर न केवल बीजेपी के लिए समर्थन जुटाया बल्कि यह संदेश भी छोड़ा कि संघ जनता के साथ है.

  • मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को भी प्रचार में जुटाया

आरएसएस से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी जोर-शोर से उतर गया है. बीते दिनों मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक एवं मुख्य सरंक्षक इंद्रेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में पांचों राज्यों को लेकर बुकलेट जारी की गई थी. इस बुकलेट में केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ संबधित राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुस्लिम मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में वोट डालने की अपील की गई थी. साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को कैसे रिझाना है, इसका प्रशिक्षण दिया गया था. तभी से यह संगठन गुपचुप बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने में जुट गया है.

  • गुपचुप हो गया समरसता भोज

संघ हर वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर समरसता भोज का आयोजन करता है. इसमें बिना किसी जातीय भेदभाव के मिलजुल कर खिचड़ी खाई जाती है. इस बार यूपी में चुनाव के मद्देनजर संघ के पदाधकारियों ने गुपचुप कई जगह समरसता भोज में भाग लिया. खासकर मलिन बस्तियों का रुख संघ के स्वयंसेवकों ने ज्यादा किया. संघ को उम्मीद है कि इससे हो न हो बीजेपी का भला जरूर होगा.

  • वर्चुअली प्रचार भी चुपचाप हो रहा

संघ बिना किसी शोर-शराबे के चुपचाप बीजेपी के पक्ष में वर्चुअल प्रचार में जुटा हुआ है. संघ के ऐसे स्वयंसेवक जो सोशल मीडिया के संचालन में तेज तर्रार माने जाते हैं, उन्हें बीजेपी की मदद के लिए लगाया गया है. संघ यह अच्छी तरह से जानता है कि इस बार का चुनाव पूरी तरह से सोशल मीडिया पर ही आधारित है. सोशल मीडिया पर जो जितना मजबूत होगा वोट बैंक उसका उतना ही मजबूत होगा.

ये भी पढ़ेंः चंद्रशेखर आजाद गोरखपुर से सीएम योगी के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव

  • संघ का थिंक टैंक भी जुटा वोट बढ़ाने में

संघ का एक बुद्धजीवी वर्ग विपक्षियों के बयानों को वोट बैंक में बदलने में जुटा हुआ है. जैसे ही विपक्ष की ओर से कोई ऐसा बयान आता है जो संघ को लगता है कि इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है तुरंत ही एक थिंक टैंक इस बयान की काट पर काम करने लगता है. इसके बाद तुरंत ही यह बयान जारी करवा दिया जाता है. संघ भड़कीले बयानों के साथ ही विपक्षियों के बयान से फायदा उठाने में भी माहिर माना जाता है. संघ को यह अच्छी तरह से मालूम है कि कब क्या बोलना है और कैसे फायदा उठाना है.

  • बूथ भी मजबूत किए जा रहे

हर बार बीजेपी की जीत में संघ की भूमिका सबसे अहम रहती है. इसकी वजह है संघ की गली-गली में चलने वाली शाखाएं और स्वंयसेवक. इन स्वंय़सेवकों के जिम्मे एक-एक गली की जिम्मेदारी रहती है. चुनाव वाले दिन इन स्वयंसेवको के जिम्मे गुपचुप वोटरों को घरों से निकलवाना रहता है. इसके लिए यह स्वंयसेवक पहले से ही तैयारी में जुटने के लिए कहा जाता है, मौजूदा चुनाव को देखते हुए संघ के य़े स्वयंसेवक गुपचुप अपनी जिम्मेदारी निभाने में जुट गए हैं.

कुल मिलाकर संघ हर बार की तरह इस बार भी भाजपा के अग्निपथ को विजयपथ में बदलने में जुट चुका है. इस बार संघ को अपने मकसद में कितनी सफलता मिलती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

हैदराबादः मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देश में 59 हज़ार शाखाएं संचालित हो रही हैं. शाखा के ज़रिये प्रतिदिन संघ के सदस्य एकत्रित होते हैं. अभी 12 भाषाओ में 30 पत्रिकाएं प्रकाशित कर नियमित रूप से दो लाख गांवों तक भेजी जा रहीं हैं. संघ ने पूरे देश में 43 प्रांत बनाए हैं. आरएसएस का दावा है कि उसके एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं. संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं. दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है. यहीं नहीं संघ की करीब 55 हजार गांवों में शाखाएं लग रही है. मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत हैं. संघ देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक उन्नति के साथ ही राष्ट्रवाद को भी बढ़ाने में सक्रिय है.

ये हैं संघ के अनुषांगिक संगठन

बीजेपी, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू स्वय़ंसेवक, स्वदेशी जागरण, सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बजरंग दल, लघु उद्योग भारती, भारतीय विचार केंद्र, विश्व संवाद केंद्र, राष्ट्रीय सिख संगत, हिंदू जागरण मंच, विवेकानंद केंद्र समेत 80 संगठन संघ की अनुषांगिक शाखाएं हैं.

ये भी संघ के स्वयंसेवक हैं

रामनाथ कोविंद, अटल बिहारी वाजपेयी, एकनाथ रानडे, नरेंद्र मोदी, मनोहर पर्रिकर, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, विजय रूपाणी, देवेंद्र फडणवीस, राम माधव, अमित शाह आदि.

यूपी में ऐसे तैयार हो रहा बीजेपी के लिए जीत का रोडमैप

  • काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का प्रसाद भी संघ ने ही घर-घर बांटा

13 दिसंबर को पीएम मोदी के काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन करने के बाद काशी के घर-घर में प्रसाद पहुंचाया गया था. इस प्रसाद को बांटने के लिए संघ के समर्पित स्वयंसेवक जुटे थे. इसके पीछे संघ की रणनीति बीजेपी को मजबूत करना था. प्रसाद के बहाने स्वयंसेवकों ने घर-घर न केवल बीजेपी के लिए समर्थन जुटाया बल्कि यह संदेश भी छोड़ा कि संघ जनता के साथ है.

  • मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को भी प्रचार में जुटाया

आरएसएस से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी जोर-शोर से उतर गया है. बीते दिनों मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक एवं मुख्य सरंक्षक इंद्रेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में पांचों राज्यों को लेकर बुकलेट जारी की गई थी. इस बुकलेट में केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ संबधित राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुस्लिम मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में वोट डालने की अपील की गई थी. साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को कैसे रिझाना है, इसका प्रशिक्षण दिया गया था. तभी से यह संगठन गुपचुप बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने में जुट गया है.

  • गुपचुप हो गया समरसता भोज

संघ हर वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर समरसता भोज का आयोजन करता है. इसमें बिना किसी जातीय भेदभाव के मिलजुल कर खिचड़ी खाई जाती है. इस बार यूपी में चुनाव के मद्देनजर संघ के पदाधकारियों ने गुपचुप कई जगह समरसता भोज में भाग लिया. खासकर मलिन बस्तियों का रुख संघ के स्वयंसेवकों ने ज्यादा किया. संघ को उम्मीद है कि इससे हो न हो बीजेपी का भला जरूर होगा.

  • वर्चुअली प्रचार भी चुपचाप हो रहा

संघ बिना किसी शोर-शराबे के चुपचाप बीजेपी के पक्ष में वर्चुअल प्रचार में जुटा हुआ है. संघ के ऐसे स्वयंसेवक जो सोशल मीडिया के संचालन में तेज तर्रार माने जाते हैं, उन्हें बीजेपी की मदद के लिए लगाया गया है. संघ यह अच्छी तरह से जानता है कि इस बार का चुनाव पूरी तरह से सोशल मीडिया पर ही आधारित है. सोशल मीडिया पर जो जितना मजबूत होगा वोट बैंक उसका उतना ही मजबूत होगा.

ये भी पढ़ेंः चंद्रशेखर आजाद गोरखपुर से सीएम योगी के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव

  • संघ का थिंक टैंक भी जुटा वोट बढ़ाने में

संघ का एक बुद्धजीवी वर्ग विपक्षियों के बयानों को वोट बैंक में बदलने में जुटा हुआ है. जैसे ही विपक्ष की ओर से कोई ऐसा बयान आता है जो संघ को लगता है कि इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है तुरंत ही एक थिंक टैंक इस बयान की काट पर काम करने लगता है. इसके बाद तुरंत ही यह बयान जारी करवा दिया जाता है. संघ भड़कीले बयानों के साथ ही विपक्षियों के बयान से फायदा उठाने में भी माहिर माना जाता है. संघ को यह अच्छी तरह से मालूम है कि कब क्या बोलना है और कैसे फायदा उठाना है.

  • बूथ भी मजबूत किए जा रहे

हर बार बीजेपी की जीत में संघ की भूमिका सबसे अहम रहती है. इसकी वजह है संघ की गली-गली में चलने वाली शाखाएं और स्वंयसेवक. इन स्वंय़सेवकों के जिम्मे एक-एक गली की जिम्मेदारी रहती है. चुनाव वाले दिन इन स्वयंसेवको के जिम्मे गुपचुप वोटरों को घरों से निकलवाना रहता है. इसके लिए यह स्वंयसेवक पहले से ही तैयारी में जुटने के लिए कहा जाता है, मौजूदा चुनाव को देखते हुए संघ के य़े स्वयंसेवक गुपचुप अपनी जिम्मेदारी निभाने में जुट गए हैं.

कुल मिलाकर संघ हर बार की तरह इस बार भी भाजपा के अग्निपथ को विजयपथ में बदलने में जुट चुका है. इस बार संघ को अपने मकसद में कितनी सफलता मिलती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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