कोलकाता : पश्चिम बंगाल और असम (West Bengal and Assam) में भाजपा की राज्य इकाइयों में गुटबाजी की लगातार खबरें आ रही हैं. त्रिपुरा में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं और वहां की मौजूदा राजनीतिक स्थिति (political situation) थोड़ी जटिल है.
इसलिए वहां की जटिल परिस्थितियों (complex situations) को सुव्यवस्थित करने और इन तीन राज्यों में भाजपा इकाइयों के कामकाज को अनुशासित करने के लिए आरएसएस नेतृत्व आने वाले दिनों में विशेष रूप से सक्रिय हो रहा है.
आरएसएस नेतृत्व इन राज्यों में भाजपा के मामलों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए विशेष कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित (series of special workshops) करेगा.
आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से राज्य इकाइयां काम कर रही हैं, उससे उनका नेतृत्व काफी चिंतित है.
उन्होंने कहा, 'इसलिए यह तय किया गया है कि सितंबर से इन तीन राज्यों में भाजपा के संगठनात्मक कामकाज (organizational functioning of BJP) में बुनियादी खामियों की पहचान करने के लिए विशेष कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी.'
एक बार संगठनात्मक खामियों की पहचान हो जाने के बाद, आरएसएस नेतृत्व समस्याओं का समाधान खोजने का काम करेगा. पता चला है कि पश्चिम बंगाल में चुनावी हार के बाद, आरएसएस ने जायजा लेने के लिए कई बैठकें की हैं.
इसके बाद पश्चिम बंगाल में संघ नेतृत्व में बदलाव किए गए हैं. राज्य में आरएसएस का चेहरा अब एक बंगाली रामपद पाल (Ramapada Pal) है. पाल भी कार्यभार संभालने के तुरंत बाद संगठनात्मक ढांचे में फेरबदल कर रहे हैं, आरएसएस के राष्ट्रीय नेता प्रदीप जोशी (Pradip Joshi) ने पुष्टि की कि असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल की स्थितियों पर कई आंतरिक चर्चा चल रही है.
उन्होंने कहा, 'तीन राज्यों की स्थिति पर विशेष कार्यशालाओं में चर्चा की जाएगी. ये संगठनात्मक हैं और समय-समय पर होते रहते हैं.'
संघ प्रमुख (RSS chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के सीधे निर्देश के बाद संघ नेतृत्व राज्य के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विशेष नजर रखे हुए है. त्रिपुरा में 2023 में विधानसभा चुनाव (assembly polls) होने हैं. खबरों के मुताबिक आरएसएस नेतृत्व त्रिपुरा में भाजपा के संगठनात्मक नेटवर्क पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है.
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दूसरी ओर असम में वर्तमान मुख्यमंत्री के दो समूहों, हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) के बीच गुटबाजी की खबरें आई थीं. आरएसएस नेतृत्व भी उस समस्या का भी त्वरित समाधान चाहता है. इसलिए इन विशेष कार्यशालाओं के माध्यम से आरएसएस असम और पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश नेताओं को कड़ा संदेश देना चाहता है.
उन्हें लगता है कि जब तक बीजेपी की राज्य इकाइयों का नियंत्रण आरएसएस के हाथ में नहीं होगा, तब तक स्थिति पश्चिम बंगाल की तरह हो जाएगी. त्रिपुरा और असम में सरकार बनाने के बाद भी आरएसएस वहां भाजपा की राज्य इकाइयों को पूरी तरह से नियंत्रित करने में असमर्थ है.