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आरएसएस की वार्षिक बैठक बेंगलुरु में 19 मार्च से, सीमित लोग होंगे शामिल - आरएसएस की वार्षिक बैठक

कोरोना महामारी को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक बैठक इस बार नागपुर की बजाय बेंगलुरु में 19 और 20 मार्च को आयोजित की जाएगी. इसके अलावा बैठक में केवल 500 वरिष्ठ स्वयंसेवक ही शामिल होंगे.

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Published : Mar 9, 2021, 4:39 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक बैठक इस बार नागपुर की बजाय बेंगलुरु में 19 और 20 मार्च को आयोजित की जाएगी. महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पहली बार संघ ने अपनी सबसे बड़ी वार्षिक बैठक महाराष्ट्र से बाहर किसी अन्य राज्य में आयोजित करने का निर्णय लिया है. दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के कार्यक्रम में भी इस बार बड़े बदलाव किए गए हैं. परंपरागत रूप से यह तीन दिवसीय कार्यक्रम होता था, लेकिन इस वर्ष इसे घटा कर दो दिवसीय रखा गया है.

केवल 500 वरिष्ठ स्वयंसेवक ही होंगे शामिल

पहले प्रतिनिधि सभा मे संघ के सभी घटक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहते थे, लेकिन इस वर्ष केवल आरएसएस के सदस्य ही इस बैठक में शामिल होंगे. पहले जहां बैठक में 1500 स्वयंसेवक शामिल होते थे, वहीं इस बार इस संख्या को घटा कर 500-550 रखा गया है.

सूत्रों के अनुसार यह निर्णय कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. पहले संघ के अन्य संगठनों के अलावा भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता भी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भाग लेने नागपुर पहुंचते थे, लेकिन पहली बार इस कार्यक्रम में सीमित संख्या में केवल संघ के स्वयंसेवक और वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद होंगे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहेंगे और उनके संबोधन का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा.

सूत्रों के अनुसार इस दो दिवसीय बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी जिसमें भारतीय हिन्दू जीवन मूल्यों का विस्तार भी शामिल है. कोरोना महामारी के दौरान विश्व ने भारतीय परंपरागत पद्धतियों को अपने जीवनशैली में शामिल किया. योग, आयुर्वेद एवं कई अन्य बातें जो प्राचीन काल से भारत में रही हैं आज विश्व में लोग उन्हें स्वीकार कर रहे हैं. कोरोना महामारी के अंत के बाद भी इसका विस्तार कैसे हो, यह भी चर्चा का विषय रहेगा.

देश भर में कोरोना महामारी के दौरान संघ की परिचय सेवा कार्यों में लगे अन्य गैर सरकारी संस्थाओं और सामाजिक धार्मिक संस्थाओं से भी हुआ. अब संघ इस बात पर विचार कर रहा है कि किस प्रकार उन संस्थाओं के साथ भी मिल कर संघ काम करे और सामाजिक परिवर्तन की मुहिम को आगे बढ़ाया जाए.

पढ़ें- मनसुख हिरेन कांड की गुत्थी उलझी, हत्यारों के मोबाइल का मिला दूसरा लोकेशन

सूत्रों के अनुसार राम मंदिर के निर्माण के लिए चलाए गए निधि समर्पण अभियान में लोगों की उत्साहवर्धक सहभागिता भी बैठक में चर्चा का विषय होगा. इस दौरान संघ और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ता 10 लाख परिवारों के संपर्क में आए थे. संघ इसको एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहा है.

प्रति वर्ष आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम संघ की सबसे बड़ी बैठक मानी जाती है, जिसमें संगठन से वरिष्ठ स्वयंसेवक मौजूद रहते हैं. इस बैठक में संघ पिछले तीन वर्ष में किए गए अपने कार्यों की समीक्षा के अलावा आने वाले वर्षों के अपने कार्यक्रम भी तय करता है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक बैठक इस बार नागपुर की बजाय बेंगलुरु में 19 और 20 मार्च को आयोजित की जाएगी. महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पहली बार संघ ने अपनी सबसे बड़ी वार्षिक बैठक महाराष्ट्र से बाहर किसी अन्य राज्य में आयोजित करने का निर्णय लिया है. दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के कार्यक्रम में भी इस बार बड़े बदलाव किए गए हैं. परंपरागत रूप से यह तीन दिवसीय कार्यक्रम होता था, लेकिन इस वर्ष इसे घटा कर दो दिवसीय रखा गया है.

केवल 500 वरिष्ठ स्वयंसेवक ही होंगे शामिल

पहले प्रतिनिधि सभा मे संघ के सभी घटक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहते थे, लेकिन इस वर्ष केवल आरएसएस के सदस्य ही इस बैठक में शामिल होंगे. पहले जहां बैठक में 1500 स्वयंसेवक शामिल होते थे, वहीं इस बार इस संख्या को घटा कर 500-550 रखा गया है.

सूत्रों के अनुसार यह निर्णय कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. पहले संघ के अन्य संगठनों के अलावा भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता भी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भाग लेने नागपुर पहुंचते थे, लेकिन पहली बार इस कार्यक्रम में सीमित संख्या में केवल संघ के स्वयंसेवक और वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद होंगे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहेंगे और उनके संबोधन का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा.

सूत्रों के अनुसार इस दो दिवसीय बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी जिसमें भारतीय हिन्दू जीवन मूल्यों का विस्तार भी शामिल है. कोरोना महामारी के दौरान विश्व ने भारतीय परंपरागत पद्धतियों को अपने जीवनशैली में शामिल किया. योग, आयुर्वेद एवं कई अन्य बातें जो प्राचीन काल से भारत में रही हैं आज विश्व में लोग उन्हें स्वीकार कर रहे हैं. कोरोना महामारी के अंत के बाद भी इसका विस्तार कैसे हो, यह भी चर्चा का विषय रहेगा.

देश भर में कोरोना महामारी के दौरान संघ की परिचय सेवा कार्यों में लगे अन्य गैर सरकारी संस्थाओं और सामाजिक धार्मिक संस्थाओं से भी हुआ. अब संघ इस बात पर विचार कर रहा है कि किस प्रकार उन संस्थाओं के साथ भी मिल कर संघ काम करे और सामाजिक परिवर्तन की मुहिम को आगे बढ़ाया जाए.

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सूत्रों के अनुसार राम मंदिर के निर्माण के लिए चलाए गए निधि समर्पण अभियान में लोगों की उत्साहवर्धक सहभागिता भी बैठक में चर्चा का विषय होगा. इस दौरान संघ और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ता 10 लाख परिवारों के संपर्क में आए थे. संघ इसको एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहा है.

प्रति वर्ष आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम संघ की सबसे बड़ी बैठक मानी जाती है, जिसमें संगठन से वरिष्ठ स्वयंसेवक मौजूद रहते हैं. इस बैठक में संघ पिछले तीन वर्ष में किए गए अपने कार्यों की समीक्षा के अलावा आने वाले वर्षों के अपने कार्यक्रम भी तय करता है.

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