नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को यह स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के लिए धन जारी करने के उसके आदेश का आंशिक अनुपालन नहीं बल्कि पूर्ण अनुपालन करना होगा. आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली को उत्तर प्रदेश में मेरठ, राजस्थान में अलवर और हरियाणा में पानीपत से जोड़ने वाले सेमी-हाई स्पीड रेल गलियारे शामिल हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि समस्या यह है कि दिल्ली सरकार विज्ञापनों के लिए 580 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान कर सकती है, लेकिन वह 400 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान नहीं कर सकती है, जिसका भुगतान उसे परियोजना के लिए करना है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि 'आपको उस पैसे के लिए दबाव बनाना होगा... जिसे आप चुकाने के लिए बाध्य हैं. यही समस्या है. आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?'
पीठ ने कहा कि 'मुद्दा यह है कि आपने बजटीय प्रावधान क्यों नहीं किया है. आप विज्ञापनों के लिए 580 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान कर सकते हैं. लेकिन आप 400 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान नहीं कर सकते हैं, जिसका आपको भुगतान करना है.'
सुनवाई के दौरान, पीठ को सूचित किया गया कि दिल्ली सरकार ने आंशिक रूप से उसके आदेश का पालन किया है और 24 नवंबर, 2023 के मंजूरी आदेश के अनुसार 415 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, लेकिन इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के खाते में जमा नहीं किया गया है.
शीर्ष अदालत ने 24 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए आरआरटीएस कॉरिडोर में अपना हिस्सा देने में हाथ खड़े करने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी और उसे दो महीने के भीतर परियोजना के लिए 415 करोड़ रुपये प्रदान करने का निर्देश दिया था. मंगलवार को परियोजना के लिए दिल्ली सरकार द्वारा धन का भुगतान न करने का मुद्दा उठाने वाली एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि समस्या यह है कि दिल्ली सरकार चाहती है कि सारा पैसा केवल पर्यावरण निधि से निकाला जाए.
पीठ ने कहा कि 'हम इसे बार-बार नहीं देखेंगे. आप बजटीय प्रावधान नहीं करना चाहते, यही समस्या है. आपको जो भुगतान करना है, आपको भुगतान करना होगा. हम बस इतना ही जानते हैं.' एनसीआरटीसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने मंजूरी आदेश में ही कहा है कि अदालत के आदेश के आंशिक अनुपालन में पैसा जारी किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि केवल 415 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं और दिल्ली-पानीपत परियोजना के लिए 150 करोड़ रुपये मंजूर नहीं किए गए हैं. उन्होंने दलील दी कि 'आपने (अदालत) कहा था कि यदि धन हस्तांतरित नहीं किया गया, तो आदेश लागू हो जाएगा. आज, धन हस्तांतरित नहीं किया गया है.' शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर को कहा था कि वह यह निर्देश देने के लिए बाध्य है कि विज्ञापन उद्देश्यों के लिए आवंटित धनराशि को संबंधित परियोजना में स्थानांतरित किया जाएगा.
दिल्ली सरकार के वकील के अनुरोध पर पीठ ने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित रखा था और कहा था कि यदि धन हस्तांतरित नहीं किया गया तो आदेश लागू हो जाएगा. मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार से अपने आदेश का अनुपालन दिखाने को कहा. दिल्ली सरकार के वकील ने 150 करोड़ रुपये के संबंध में कहा कि मंजूरी आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाएगा. इस पर पीठ ने कहा कि 'आप विभिन्न परियोजनाओं के कोष में घालमेल कर रहे हैं.'
नाडकर्णी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह दो महीने में भुगतान कर देगी, हालांकि, चार महीने से अधिक समय बीत चुका है और कुछ भी नहीं आया है. पीठ ने कहा कि 'कुछ मत कहिए. 415 करोड़ रुपये आये हैं.' एनसीआरटीसी इस परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है, जो केंद्र और संबंधित राज्यों के बीच एक संयुक्त उद्यम है. दिल्ली-मेरठ परियोजना पहले से ही निर्माणाधीन है, और अरविंद केजरीवाल सरकार लागत का अपना हिस्सा देने पर सहमत हो गई है.