नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि वह इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. आईयूएमएल ने गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (Non-Muslim refugees) से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र ने इस मामले पर सोमवार को जवाबी हलफनामा दाखिल किया था.
केंद्र ने न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा था कि उसकी अधिसूचना संशोधित नागरिकता कानून, 2019 (CAA) से संबंधित नहीं है. उसने कहा था कि यह (अधिसूचना) 'केंद्र सरकार के पास निहित शक्ति स्थानीय अधिकारियों को सौंपने की प्रकिया मात्र' है.
सिब्बल ने पीठ से कहा, 'भारत संघ ने कल एक जवाबी हलफनामा दाखिल किया. हमें उत्तर तैयार करने के लिए दो सप्ताह का समय चाहिए.' न्यायालय ने कहा कि वह दो सप्ताह बाद मामले की सुनवाई करेगी.
गृह मंत्रालय (MHA) ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2004, 2005, 206, 2016 और 2018 में भी इसी तरह का अधिकार दिया था और विभिन्न विदेशी नागरिकों के बीच उस पात्रता मानदंड के संबंध में कोई छूट नहीं दी गई है जो नागरिकता कानून 1955 और उसके तहत बनाए गए नियमों में तय किए गए हैं.
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गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना सीएए से संबंधित नहीं है, जिसे कानून में धारा छह बी के रूप में शामिल किया गया है. यह सिर्फ केंद्र सरकार के अधिकार स्थानीय अधिकारियों को सौंपने के लिए है.
मंत्रालय ने कहा था कि उक्त अधिसूचना में विदेशियों को कोई छूट नहीं दी गयी है और यह केवल उन विदेशी लोगों पर लागू होती है जिन्होंने कानूनी रूप से देश में प्रवेश किया है.
यह हलफनामा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की एक याचिका के जवाब में दायर किया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना ऐसे विदेशियों के नागरिकता आवेदनों के शीघ्र निपटारे के लिए विकेंद्रीकरण की एक प्रक्रिया है क्योंकि अब प्रत्येक मामले की जांच के बाद निर्णय जिला या राज्य स्तर पर ही लिया जाएगा.
आईयूएमएल ने एक जून को न्यायालय में केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी थी. याचिका में दलील दी गयी थी कि केंद्र सीएए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली आईयूएमएल द्वारा दायर लंबित याचिका में न्यायालय को दिए गए आश्वासन को दरकिनार करने की कोशिश कर रहा है.
याचिका में कहा गया कि केंद्र ने आश्वासन दिया था कि सीएए के नियम अभी तय नहीं हुए हैं इसलिए उस पर स्थगन लगाना जरूरी नहीं है.
सीएए में 31 दिसंबर, 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ना सहने की वजह से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं.
(पीटीआई-भाषा)