हैदराबाद : विज्ञान के नेतृत्व के रूप में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. हाल ही में एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दो वर्षों में अनुसंधान परियोजनाओं का नेतृत्व करने वाली महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है. इसमें चार फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी है.
हाल ही में सरकार द्वारा जारी की गयी डायरेक्टरी ऑफ एक्स्ट्रामुरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) प्रोजेक्ट या बाह्य अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की निर्देशिका 2018-19 रिपोर्ट के अनुसार बाह्य अनुसंधान समर्थन (सहकर्मी-समीक्षा प्रतिस्पर्धी अनुदान तंत्र के माध्यम से समर्थन) प्राप्त करने वाले अनुसंधान में महिला प्रधान जांचकर्ताओं (PIs) की भागीदारी 2016-17 के दौरान 24 फीसद थी जो 2018-19 के दौरान बढ़कर 28 फीसद हो गयी.
रिपोर्ट से यह भी पता चला कि केंद्र सरकार द्वारा समकक्ष-समीक्षित प्रतिस्पर्धी अनुदान तंत्र के माध्यम से बाह्य अनुसंधान एवं विकास समर्थन या अनुसंधान एवं विकास समर्थन 2018-19 में 2091.04 करोड़ रुपए था, इसकी तुलना में 2017-18 में यह 2036.32 करोड़ रुपए था. इस तरह इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 54.72 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई. समर्थित परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, साथ ही पीआई की संख्या में भी वृद्धि हुई है. 2018-19 के दौरान 3,839 पीआई ने 4,616 परियोजनाओं में हिस्सा लिया, इसकी तुलना में 2017-18 में कुल 3,491 पीआई ने 4,137 परियोजनाओं में हिस्सा लिया था.
इस सहायता में से, 64 फीसद परियोजनाएं आठ राज्यों को मिलीं, जिनमें तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इन परियोजनाओं को कुल वित्त पोषण का 71 फीसद हिस्सा मिला.
22 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) ने संयुक्त रूप से अधिकतम 822 परियोजनाएं प्राप्त कीं जिनके लिए 449.25 करोड़ रुपए का सर्वोच्च वित्तीय समर्थन दिया गया. इसके बाद 26 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) ने संयुक्त रूप से 55.83 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ 191 परियोजनाएं प्राप्त कीं. सबसे अधिक वित्तीय सहायता इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी को मिली, जबकि सबसे अधिक परियोजनाएं जैविक विज्ञान के खाते में गयीं.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने बाह्य अनुसंधान (EMR) के लिए सबसे ज्यादा 1,392.21 करोड़ रुपए (67 फीसद) दिए, इसके बाद जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने सर्वाधिक 341.37 करोड़ रुपए (16%) दिए. दोनों विभागों ने मिलकर भारत में कुल बाह्य अनुसंधान एवं विकास के वित्त पोषण में 83 फीसद का योगदान दिया.