जम्मू : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की बायोमीट्रिक जानकारी सहित अन्य विवरण जुटाने का काम शनिवार से शुरू कर दिया. प्रशासन ने शनिवार को जम्मू में रहने वाले 150 से अधिक रोहिंग्या प्रवासियों को जिले में बने केंद्रों में भेजा.
रोहिंग्या म्यांमार के बांग्लाभाषी अल्पसंख्यक मुसलमान हैं. अपने देश में प्रताड़ना और उत्पीड़न से परेशान होकर काफी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश के रास्ते अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करके जम्मू सहित देश के विभिन्न भागों में बस गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच एमएएम स्टेडियम में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों का सत्यापन किया गया.
उन्होंने बताया कि प्रक्रिया के तहत उनकी बायोमीट्रिक जानकारी, रहने का स्थान आदि सहित अन्य सूचनाएं जुटायी गईं. इसके बाद अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जाएगा.
म्यांमार के नागरिक अब्दुल हनान ने पत्रकारों को बताया, 'कोविड-19 की जांच के बाद हमने एक फॉर्म भरा. हमारे फिंगरप्रिंट लिए गए.' उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह स्टेडियम से बाहर आ गए.
कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को तुरंत उनके देश वापस भेजने की दिशा में कदम उठाएं. उनका आरोप है कि इन दोनों की देश में उपस्थिति क्षेत्र की 'जनांकीकीय प्रकृति को बदलने की साजिश' और 'क्षेत्र की शांति के लिए खतरा है.'
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रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से ज्यादा विदेशी नागरिक जम्मू और साम्बा जिलों में बसे हुए हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार, 2008 से 2016 के बीच उनकी जनसंख्या में 6,000 से ज्यादा की वृद्धि हुई है.