हैदराबाद : सड़क सुरक्षा दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं और मौतों का एक प्रमुख कारण है. सड़क दुर्घटनाओं में हर साल वैश्विक स्तर पर 1.35 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती है. भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है और हर दिन 400 से अधिक लोग मर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं.
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह (18 जनवरी से 17 फरवरी) का उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह कहते हुए लोगों की जान बचाने के कार्य में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया कि भारत में हर दिन 415 लोग सड़क हादसों में मरते हैं.
गडकरी ने इस बात पर जोर देकर कहा कि अगर हम 2030 तक इंतजार करते रहे, तो सड़क दुर्घटनाओं के कारण कम से कम 6-7 लाख लोग अधिक मरेंगे. उन्होंने कहा कि 2025 से पहले हम देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत तक कमी ला सकते हैं.
सड़क दुर्घटना रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2019 के दौरान 4,49,002 दुर्घटनाएं हुईं, जिससे 1,51,113 मौतें हुईं और 4,51,361 लोग घायल हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क दुर्घटना में हुई कुल मौतों में 18-60 आयु वर्ग के कामकाजी लोगों का प्रतिशत 84 था. मुख्य रूप से पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और दोपहिया वाहन चालकों का कुल मौतों में हिस्सा लगभग 54 प्रतिशत है.
कई वर्षों से सड़क सुरक्षा में काम करने वाले संगठन 'कंज्यूमर वॉयस' के सीओओ अशीम सान्याल ने कहा कि सड़क सुरक्षा सरकार और नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है. सड़क दुर्घटना के चलते हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. हमारे लिए हर जीवन कीमती है.
जोखिम के विभिन्न कारण
हेलमेट
वर्ष 2019 में दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट न पहनने के कारण 44,666 मौतें हुईं, जो इस दौरान देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में हुईं कुल मौतों का 29.82 प्रतिशत है. सड़क दुर्घटना में दोपहिया वाहन चालकों की मौत का प्रमुख कारण सिर में चोट लगना है. फिर भी बड़ी संख्या में बाइकर्स हेलमेट नहीं पहनते हैं और जो लोग पहनते भी हैं, उनमें से ज्यादातर हेलमेट खराब गुणवत्ता के होते हैं.
अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट के इस्तेमाल से सिर की चोटों को रोका जा सकता था या उनकी गंभीरता को कम किया जा सकता था.
तेज गति से वाहन चलाना (ओवर स्पीडिंग)
ओवर स्पीडिंग अधिकांश शहरों में यातायात का प्रमुख उल्लंघन है और 64.5 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. केंद्रीय रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 71.6 प्रतिशत हादसे तेज रफ्तार के कारण होते हैं.
बिना ड्राइविंग लाइसेंस के ड्राइवरों की सड़क दुर्घटनाएं 2018 में 37,585 से बढ़कर 2019 में 44,358 हो गईं.
सीट बेल्ट
सीट बेल्ट सड़क सुरक्षा का एक अन्य उपाय है. यह वाहन चालकों और उसमें सवार व्यक्तियों के लिए जरूरी है.
वास्तव में, अगर आप एयरबैग से लैस कार में सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं, तो यह हादसे के समय नहीं खुलेगा. साल 2019 में, सीट बेल्ट न पहनने के कारण 20,885 मौतें हुईं, जो 2019 के दौरान देशभर में सड़क दुर्घटना में होने वाली कुल मौतों का 13.82 प्रतिशत है. इनमें 9,562 चालक और 11,323 यात्री शामिल थे.
शराब पीकर वाहन चलाना
सड़क पर रॉन्ग-साइड से ड्राइविंग करने से 2019 में 9,200 लोगों की मौतें हुईं, जिनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें (2,726) राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं. वहीं, 2019 में शराब पीकर वाहन चलाने के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 2,376 मौतें हुईं.
मोबाइल फोन का उपयोग
ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करने से भी दुर्घटना हो सकती है, क्योंकि चालक का ध्यान बंट जाता है. कभी-कभी चालक वाहन पर नियंत्रण खो बैठता है. जो दुर्घटना का कारण बनता है.
शराब पीकर या नशा करके गाड़ी चलाना, सिग्नल तोड़ना और मोबाइल फोन के इस्तेमाल के कारण होने वाली मौतें देश में सड़क दुर्घटना में होने वाली कुल मौतों का आठ प्रतिशत है.
यात्रा के दौरान क्या करें क्या न करें:
- पैदल चलने वालों और बच्चों को प्राथमिकता दें.
- सुनिश्चित करें कि सभी लाइट्स कार्य कर रही हैं.
- हाईवे पर पार्किंग करते समय हजार्ड लाइट को जरूर बंद करें.
- वाहन के पिछले हिस्से पर रिफ्लेक्टर का उपयोग करें.
- ब्रेक और टायर की गुणवत्ता से समझौता न करें.
- यातायात नियमों का पालन करें.
- चालकों को अच्छी तरह से आराम करना चाहिए.
- हमेशा सीट बेल्ट पहनें.
- ड्राइविंग के समय जल्दबाजी न करें.
- कोहरे में ड्राइव न करें, खराब मौसम की स्थिति में ड्राइविंग से बचें.
- सड़क के किनारे लगे सावधानी के संकेतों को पढ़ें, क्योंकि वे सड़क डिजाइन के बारे में आपका मार्गदर्शन करते हैं. इससे आप वाहन की गति को नियमित कर सकते हैं.
(लेखिका : रिंकी शर्मा, हेड, कंज्यूमर वॉयस)