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आंध्र प्रदेश में आर्थिक संकट के कारण सड़क और पुल विकास परियोजनाएं प्रभावित

आंध्र प्रदेश सरकार के समक्ष उत्पन्न आर्थिक संकट के (due to economic crisis in Andhra Pradesh) कारण 6,400 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क और पुल विकास परियोजनाओं की प्रगति बाधित हुयी है (Road and bridge development projects affected ) .

Andhra Pradesh Chief Minister YS Jagan Mohan Reddy
आंध्र प्रदेश में आर्थिक संकट के कारण सड़क और पुल विकास परियोजनाएं प्रभावित
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Published : Jan 18, 2022, 9:09 AM IST

अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार के समक्ष उत्पन्न आर्थिक संकट के (due to economic crisis in Andhra Pradesh) कारण 6,400 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क और पुल विकास परियोजनाओं की प्रगति बाधित हुयी है (Road and bridge development projects affected ). इन परियोजनाओं की शुरूआत न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की ऋण सहायता से शुरू की गई थी. परियोजनाओं की धीमी प्रगति के मद्देनजर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने वित्त विभाग से इस संबंध में प्रयास तेज करने का आग्रह किया है.

एनडीबी, केंद्र के आर्थिक मामलों के विभाग और आंध्र प्रदेश सरकार ने जनवरी 2021 में प्रदेश की सड़कों और पुलों के पुनर्निर्माण परियोजना तथा आंध्र प्रदेश के मंडल और ग्रामीण संपर्क सुधार परियोजना के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें प्रत्येक परियोजना की लागत 3,200 करोड़ रुपये थी. एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि एक साल से ये दोनों परियोजनाएं अर्थाभाव में बड़ी बाधा का सामना कर रही हैं, क्योंकि वित्त विभाग के पास राज्य के दायित्वों को पूरा करने के लिए धन नहीं है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एनडीबी ने ऋण पर पुनर्विचार करने के संकेत दिये हैं, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अधिकारियों की खिंचाई की और उन्हें परियोजनाओं के लिए सभी बाधाओं को तुरंत दूर करने और आर्थिक गतिरोध समाप्त करने के निर्देश दिये.

सूत्रों ने बताया कि चूंकि ये दोनों बाहर से सहायता प्राप्त परियोजनाएं हैं, इसलिए केंद्र भी कड़ी नजर रख रहा है और राज्य को चीजों को आगे बढ़ाने के लिए कह रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. राज्य सड़क एवं भवन निर्माण विभाग ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में 3,104 किलोमीटर सड़कों को चौड़ा करने और 479 पुलों के निर्माण/पुनर्निर्माण की योजना बनाई है. इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक केंद्रों में गतिशीलता और संपर्क में सुधार, परिवहन में सुधार, सड़क सुरक्षा और सवारी की गुणवत्ता में सुधार करना और राज्य के सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए हर मौसम में पहुंच प्रदान करना है.

सूत्रों के मुताबिक 6,400 करोड़ रुपये में से 1,920 करोड़ रुपये राज्य सरकार को वहन करना है जबकि शेष राशि एनडीबी से ऋण के रूप में आनी है.
परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाली एजेंसी सड़क और पुल विभाग ने पहले चरण में 3,013.86 करोड़ रुपये की लागत से 124 कार्यों को सूचीबद्ध किया है और नौ महीने पहले ही इन कार्यों के लिये ठेका भी दिया जा चुका है. हालांकि, इन कार्यों में कोई प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि शुरूआत में, ठेकेदार सरकार द्वारा बिल का भुगतान न किये जाने के डर से आगे बढ़ने से हिचक रहे थे. आर एंड बी विभाग ने परियोजनाओं के लिए एक अलग बैंक खाते के लिए मुख्यमंत्री से कहा ताकि ठेकेदारों को बिना किसी बाधा के सीधे भुगतान किया जा सके.

ये भी पढ़ें-हिमालय के इस पौधे से फुर्र होगा कोरोना! जानिए कैसे

हालांकि, वित्त विभाग ने एनडीबी से राज्य के हिस्से पर जोर दिए बिना ऋण राशि को अग्रिम रूप से जारी करने के लिये कहा. एनडीबी ने न केवल इस आग्रह को खारिज कर दिया, बल्कि राज्य के हिस्से के लंबित रहने तक ऋण जारी करने पर भी रोक लगा दी. एक शीर्ष अधिकारी ने एजेंसी को बताया, 'इससे अब एक साल के लिए परियोजनाएं खतरे में पड़ गई हैं. हमें एक साल से अधिक का नुकसान हुआ है और जब तक हम अपने हिस्से का पैसा (अलग खाते में) नहीं देते हैं, हमें एनडीबी से कोई राशि नहीं मिलेगी.' मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कम से कम चार उच्च स्तरीय बैठकों में इन तथ्यों को उठाया गया, लेकिन वित्त विभाग ने कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की. वित्तीय मुद्दों पर साप्ताहिक बैठक में जब इस मुद्दे पर एक बार फिर से चर्चा हुयी तो पता चला कि इससे परेशान मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के प्रमुखों की खिंचाई की और मंगलवार (18 जनवरी) को चीजों को सुलझाने की समय सीमा निर्धारित की.

(पीटीआई-भाषा)

अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार के समक्ष उत्पन्न आर्थिक संकट के (due to economic crisis in Andhra Pradesh) कारण 6,400 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क और पुल विकास परियोजनाओं की प्रगति बाधित हुयी है (Road and bridge development projects affected ). इन परियोजनाओं की शुरूआत न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की ऋण सहायता से शुरू की गई थी. परियोजनाओं की धीमी प्रगति के मद्देनजर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने वित्त विभाग से इस संबंध में प्रयास तेज करने का आग्रह किया है.

एनडीबी, केंद्र के आर्थिक मामलों के विभाग और आंध्र प्रदेश सरकार ने जनवरी 2021 में प्रदेश की सड़कों और पुलों के पुनर्निर्माण परियोजना तथा आंध्र प्रदेश के मंडल और ग्रामीण संपर्क सुधार परियोजना के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें प्रत्येक परियोजना की लागत 3,200 करोड़ रुपये थी. एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि एक साल से ये दोनों परियोजनाएं अर्थाभाव में बड़ी बाधा का सामना कर रही हैं, क्योंकि वित्त विभाग के पास राज्य के दायित्वों को पूरा करने के लिए धन नहीं है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एनडीबी ने ऋण पर पुनर्विचार करने के संकेत दिये हैं, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अधिकारियों की खिंचाई की और उन्हें परियोजनाओं के लिए सभी बाधाओं को तुरंत दूर करने और आर्थिक गतिरोध समाप्त करने के निर्देश दिये.

सूत्रों ने बताया कि चूंकि ये दोनों बाहर से सहायता प्राप्त परियोजनाएं हैं, इसलिए केंद्र भी कड़ी नजर रख रहा है और राज्य को चीजों को आगे बढ़ाने के लिए कह रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. राज्य सड़क एवं भवन निर्माण विभाग ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में 3,104 किलोमीटर सड़कों को चौड़ा करने और 479 पुलों के निर्माण/पुनर्निर्माण की योजना बनाई है. इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक केंद्रों में गतिशीलता और संपर्क में सुधार, परिवहन में सुधार, सड़क सुरक्षा और सवारी की गुणवत्ता में सुधार करना और राज्य के सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए हर मौसम में पहुंच प्रदान करना है.

सूत्रों के मुताबिक 6,400 करोड़ रुपये में से 1,920 करोड़ रुपये राज्य सरकार को वहन करना है जबकि शेष राशि एनडीबी से ऋण के रूप में आनी है.
परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाली एजेंसी सड़क और पुल विभाग ने पहले चरण में 3,013.86 करोड़ रुपये की लागत से 124 कार्यों को सूचीबद्ध किया है और नौ महीने पहले ही इन कार्यों के लिये ठेका भी दिया जा चुका है. हालांकि, इन कार्यों में कोई प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि शुरूआत में, ठेकेदार सरकार द्वारा बिल का भुगतान न किये जाने के डर से आगे बढ़ने से हिचक रहे थे. आर एंड बी विभाग ने परियोजनाओं के लिए एक अलग बैंक खाते के लिए मुख्यमंत्री से कहा ताकि ठेकेदारों को बिना किसी बाधा के सीधे भुगतान किया जा सके.

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हालांकि, वित्त विभाग ने एनडीबी से राज्य के हिस्से पर जोर दिए बिना ऋण राशि को अग्रिम रूप से जारी करने के लिये कहा. एनडीबी ने न केवल इस आग्रह को खारिज कर दिया, बल्कि राज्य के हिस्से के लंबित रहने तक ऋण जारी करने पर भी रोक लगा दी. एक शीर्ष अधिकारी ने एजेंसी को बताया, 'इससे अब एक साल के लिए परियोजनाएं खतरे में पड़ गई हैं. हमें एक साल से अधिक का नुकसान हुआ है और जब तक हम अपने हिस्से का पैसा (अलग खाते में) नहीं देते हैं, हमें एनडीबी से कोई राशि नहीं मिलेगी.' मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कम से कम चार उच्च स्तरीय बैठकों में इन तथ्यों को उठाया गया, लेकिन वित्त विभाग ने कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की. वित्तीय मुद्दों पर साप्ताहिक बैठक में जब इस मुद्दे पर एक बार फिर से चर्चा हुयी तो पता चला कि इससे परेशान मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के प्रमुखों की खिंचाई की और मंगलवार (18 जनवरी) को चीजों को सुलझाने की समय सीमा निर्धारित की.

(पीटीआई-भाषा)

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