पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने एक लेख लिखा जिसमें संविधान के बदलने की जरूरत बताई. इस पर जेडीयू के बाद अब लालू यादव भी भड़क गए हैं. लालू यादव ने केद्र सरकार से सवाल पूछा है कि क्या ये अपनी मर्जी से लिखा है?
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''प्रधानमंत्री मोदी का कोई आर्थिक सलाहकार है बिबेक देबरॉय. वह बाबा साहेब के संविधान की जगह नया संविधान बनाने की वकालत कर रहा है. क्या प्रधानमंत्री की मर्ज़ी से यह सब कहा और लिखा जा रहा है?''- लालू यादव, आरजेडी अध्यक्ष
'संविधान खत्म करने पर तुली बीजेपी' : जब से बिबेक देबरॉय का अंग्रेजी पेपर में लेख आया तब से विपक्ष लगातार उनकी आड़ में पीएम मोदी को निशाने पर ले रहा है. लालू यादव ने संवैधानिक संस्थाओं को समाप्त करने का आरोप लगाकर पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमले करते हुए कहा कि अब नरेंद्र मोदी एक कदम आगे बढ़कर सीधा संविधान को खत्म करने पर तुले हुए हैं.
मनोज झा ने भी जताई आपत्ति : बता दें कि लालू यादव से पहले मनोज झा ने भी इस मसले पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि ये कहलवाया जा रहा है. उन्होंने उदाहरण देकर कहा था कि ये ठीक उसी तरह है जैसे एक तालाब में पत्थर फेंको, जब लहर उठने लगे तो कह दो ये तो मांग है.
बिबेक देबरॉय के लेख में क्या है? : पीएम के आर्थिक सलाकर परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने लिखा कि जो हमारा वर्तमान संविधान है वो काफी कुछ ब्रिटिश काली 1935 के भारत सरकार के अधिनियम पर आधारित है. उन्होंने 2002 में संविधान के कामकाज के लिए गठित एक आोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा था कि उस वक्त का प्रयास आधा-अधूरा था अब हमें सिद्धांतों से इसकी शुरुआत करनी चाहिए, जैसा संविधान सभा की बहस में हुआ था. क्योंकि अब कुछ संसोधनों से काम नहीं होने वाला.