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राजस्थान: कोरोना के बाद स्वाइन फ्लू का खतरा, एक महीने में जयपुर में स्वाइन फ्लू के 32 नए मामले...एक मरीज की मौत

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Published : May 20, 2022, 9:01 AM IST

Updated : May 20, 2022, 3:52 PM IST

राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण के साथ ही स्वाइन फ्लू के केसों में भी बढ़ोतरी (risk of swine flu after corona) देखने को मिल रही है. राजधानी जयपुर में पिछले एक महीने में स्वाइन फ्लू के 32 नए मामले (32 new cases found in Jaipur of swine flu in jaipur) सामने आ गए हैं.

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स्वाइन फ्लू का खतरा

जयपुर. राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण के मामलों के बीच स्वाइन फ्लू (risk of swine flu after corona) के केसों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. स्वाइन फ्लू किस कदर अपने पैर पसार रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी जयपुर में 1 महीने में स्वाइन फ्लू के 32 नए मामले (32 new cases found in Jaipur of swine flu in jaipur) सामने आए हैं. हालांकि इससे पहले माना जाता था कि तेज गर्मी में स्वाइन फ्लू का वायरस निष्क्रिय हो जाता है. लेकिन 40 से 45 डिग्री तापमान में भी यह लगातार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है.

कुछ साल पहले जब स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए तब चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया था. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में तो अलग से एक स्वाइन फ्लू वार्ड में तैयार कर दिया गया था. लेकिन पिछले 2 या 3 सालों से स्वाइन फ्लू के मामले काफी कम हो गए. प्रदेश में जब कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े तब काफी कम संख्या में स्वाइन फ्लू के केस देखने को मिले. पिछले वर्ष सिर्फ 21 मामले स्वाइन फ्लू के प्रदेश में सामने आए थे.

पढ़ें. corona increasing in rajasthan: बढ़ते कोरोना के बीच चिकित्सक बोले तीसरी लहर के मुकाबले अब कोरोना खतरनाक...सीवियर मामले आए सामने

लेकिन मौजूदा समय में एक बार फिर यह वायरस सक्रिय हो गया है और धीरे-धीरे जयपुर समेत अन्य जिलों में अपने पैर पसार रहा है. स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के बाद चिकित्सा विभाग ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दे दिए हैं कि सरकारी और निजी अस्पतालों में आने वाले स्वाइन फ्लू संक्रमित मरीजों का रिकॉर्ड एकत्रित किया जाए. जिससे इनके संपर्क में आए लोगों को ट्रैक कर सकें. दरअसल यह एक संक्रामक बीमारी है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच जाती है.

महत्वपूर्ण जानकारी

  • अब तक प्रदेश में कुल 56 स्वाइन फ्लू के मरीज आए सामने
  • बीमारी से अब तक जयपुर में हो चुकी है एक मरीज की मौत
  • सर्वाधिक 45 मामले जयपुर से किए गए हैं दर्ज
  • 1 महीने में अकेले जयपुर में 32 नए मामले स्वाइन फ्लू के आए सामने
  • 33 में से 10 जिलों में धीरे-धीरे पैर पसार रहा है स्वाइन फ्लू

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मौजूदा समय में टेंपरेचर अधिक है तो ऐसे में लोग सर्दी जुकाम की चपेट में आ रहे हैं. जिसके बाद मरीज स्वाइन फ्लू की चपेट में आ रहा है. खास बात यह है कि पिछले 1 महीने में संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है. डॉ शर्मा का कहना है कि यह वायरल डिजीज है तो ऐसे में किसी भी मौसम में यह एक्टिव हो जाती है.

पढ़ें. Rajasthan Corona Update: जयपुर में कोरोना संक्रमण डरा रहा, बीते 10 दिन में 450 से अधिक नए मामले आए सामने

इसके अलावा यह संक्रामक बीमारी भी है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर अन्य व्यक्ति आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाता है. स्वाइन फ्लू की चपेट में आने के बाद मरीज में तेजी से इम्यूनिटी पावर कमजोर होती है, इसके बाद मरीज में खांसी, गले में खराश ,तेज बुखार मांसपेशियों में दर्द और लगातार नाक बहने के लक्षण दिखाई देते हैं.

कुछ समय पहले बदला था स्वरूपः प्रदेश में वर्ष 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला देखने को मिला था इस दौरान तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी. शुरुआत में इसे कैलिफोर्निया और स्ट्रेन नाम दिया गया. लेकिन समय के साथ वायरस बदलने लगा. इसके कुछ समय बाद एक बार फिर वायरस ने अपना स्वरूप बदला और जिनोम सीक्वेंसिंग के बाद पता चला कि वायरस किस स्ट्रेन में बदलाव हुआ है. इसे मिशीगन नाम दिया गया. हालांकि हाल ही में जो मरीज सामने आए हैं उनके सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं.

जयपुर. राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण के मामलों के बीच स्वाइन फ्लू (risk of swine flu after corona) के केसों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. स्वाइन फ्लू किस कदर अपने पैर पसार रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी जयपुर में 1 महीने में स्वाइन फ्लू के 32 नए मामले (32 new cases found in Jaipur of swine flu in jaipur) सामने आए हैं. हालांकि इससे पहले माना जाता था कि तेज गर्मी में स्वाइन फ्लू का वायरस निष्क्रिय हो जाता है. लेकिन 40 से 45 डिग्री तापमान में भी यह लगातार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है.

कुछ साल पहले जब स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए तब चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया था. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में तो अलग से एक स्वाइन फ्लू वार्ड में तैयार कर दिया गया था. लेकिन पिछले 2 या 3 सालों से स्वाइन फ्लू के मामले काफी कम हो गए. प्रदेश में जब कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े तब काफी कम संख्या में स्वाइन फ्लू के केस देखने को मिले. पिछले वर्ष सिर्फ 21 मामले स्वाइन फ्लू के प्रदेश में सामने आए थे.

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लेकिन मौजूदा समय में एक बार फिर यह वायरस सक्रिय हो गया है और धीरे-धीरे जयपुर समेत अन्य जिलों में अपने पैर पसार रहा है. स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के बाद चिकित्सा विभाग ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दे दिए हैं कि सरकारी और निजी अस्पतालों में आने वाले स्वाइन फ्लू संक्रमित मरीजों का रिकॉर्ड एकत्रित किया जाए. जिससे इनके संपर्क में आए लोगों को ट्रैक कर सकें. दरअसल यह एक संक्रामक बीमारी है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच जाती है.

महत्वपूर्ण जानकारी

  • अब तक प्रदेश में कुल 56 स्वाइन फ्लू के मरीज आए सामने
  • बीमारी से अब तक जयपुर में हो चुकी है एक मरीज की मौत
  • सर्वाधिक 45 मामले जयपुर से किए गए हैं दर्ज
  • 1 महीने में अकेले जयपुर में 32 नए मामले स्वाइन फ्लू के आए सामने
  • 33 में से 10 जिलों में धीरे-धीरे पैर पसार रहा है स्वाइन फ्लू

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मौजूदा समय में टेंपरेचर अधिक है तो ऐसे में लोग सर्दी जुकाम की चपेट में आ रहे हैं. जिसके बाद मरीज स्वाइन फ्लू की चपेट में आ रहा है. खास बात यह है कि पिछले 1 महीने में संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है. डॉ शर्मा का कहना है कि यह वायरल डिजीज है तो ऐसे में किसी भी मौसम में यह एक्टिव हो जाती है.

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इसके अलावा यह संक्रामक बीमारी भी है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर अन्य व्यक्ति आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाता है. स्वाइन फ्लू की चपेट में आने के बाद मरीज में तेजी से इम्यूनिटी पावर कमजोर होती है, इसके बाद मरीज में खांसी, गले में खराश ,तेज बुखार मांसपेशियों में दर्द और लगातार नाक बहने के लक्षण दिखाई देते हैं.

कुछ समय पहले बदला था स्वरूपः प्रदेश में वर्ष 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला देखने को मिला था इस दौरान तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी. शुरुआत में इसे कैलिफोर्निया और स्ट्रेन नाम दिया गया. लेकिन समय के साथ वायरस बदलने लगा. इसके कुछ समय बाद एक बार फिर वायरस ने अपना स्वरूप बदला और जिनोम सीक्वेंसिंग के बाद पता चला कि वायरस किस स्ट्रेन में बदलाव हुआ है. इसे मिशीगन नाम दिया गया. हालांकि हाल ही में जो मरीज सामने आए हैं उनके सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं.

Last Updated : May 20, 2022, 3:52 PM IST
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