देहरादून: चमोली में ग्लेशियर टूटने की वजह से उत्तराखंड एक बार फिर आपदा की चपेट में आ गया है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी हिस्से में ग्लेशियर फटने की वजह से उत्तराखंड में जल प्रलय आ गई है. इस कारण धौलगंगा घाटी और अलकनंदा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. इससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर स्थित रैणी गांव के समीप स्थित ऋषिगंगा बिजली परियोजना बर्बाद हो गई है.
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन के लिए चलाया जा रहा एक प्राइवेट प्रोजेक्ट है. यहां पर बिजली उत्पादन शुरू हो गया था. यहां पर पानी से बिजली बनाने का काम चल रहा था. यह प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर बनाया गया है और यह नदी धौली गंगा में मिलती है.
ऋषि गंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मुख्य रूप से रैणी गांव में चलाया जा रहा है. इसके जरिए बड़े स्तर पर बिजली बनाने का लक्ष्य है, जिससे उत्तराखंड सहित दूसरे राज्यों को बिजली दी जा सके.
ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त
ग्लेशियर टूटने के कारण ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हुआ है और नदी का जल स्तर बढ़ने की सूचना मिली है. धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई. पानी तेज गति से आगे बढ़ रहा है. आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने की आशंका है, लिहाजा आसपास के इलाकों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है. इससे ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है.
आईटीबीपी, NDRF और SDRG की कई टीमें मौके पर पहुंचीं हैं. श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में अलर्ट है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटना स्थल पर पहुंच स्थिति की जानकारी ली है.
क्या है ऋषिगंगा प्रोजेक्ट?
ऋषिगंगा प्रोजेक्ट एक बिजली उत्पादन का प्रोजेक्ट है, जिसमें पानी के प्रवाह के जरिए बिजली बनाने का काम चल रहा था. साथ ही अभी इस प्रोजेक्ट को विस्तार देने का काम भी चल रहा है. हालांकि, अब इस प्रोजेक्ट को लेकर नुकसान की खबरें आ रही हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रोजेक्ट के जरिए काफी बिजली उत्पादन का लक्ष्य था. ऋषि गंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट रिणी गांव में प्रमुख तौर पर है और इसके जरिए 63520 MWH बिजली बनाने का लक्ष्य है.
बताया जा रहा है कि इससे इतनी बिजली बनाए जाने का लक्ष्य है, जिससे उत्तराखंड समेत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत उत्तर भारत में बिजली दी जा सके. यह चमोली जिले के रिणी गांव में बनाया जा रहा है.
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रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में खास तरीके से बिजली बनाई जा रही है. दरअसल, कई प्रोजेक्ट में पहले बांध बनाया जाता है और वहां पानी रोककर पानी का प्रवाह बढ़ाकर बिजली बनाई जाती है. वहीं, इस प्रोजेक्ट में टरबाइन लगाकर बिजली बनाई जा रही थी. अब धीरे धीरे सामने आने वाली रिपोर्ट्स में पता चलेगा कि आखिर इस प्रोजेक्ट को कितना नुकसान हुआ है.