नई दिल्ली : देश में रियल एस्टेट सेक्टर हिचकोले खा रहा है. सरकार ने भी गुरुवार को माना कि कोरोना काल में मजदूरों को वापस घर लौटने (reverse migration) और कंस्ट्रक्शन मैटेरियल की सप्लाई चेन टूटने से रियल एस्टेट सेक्टर पर बुरा असर पड़ा है. इस कारण रियल एस्टेट सेक्टर में कितने लोगों की नौकरियां गईं और नुकसान का आंकड़ा क्या है, इस बारे में सरकार ने जानकारी नहीं दी है. शहरी आवास मंत्रालय का कहना है इसका सटीक विवरण केंद्र सरकार नहीं रखती है.
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को एडवायजरी जारी की है, जिसमें रेरा में पंजीकृत सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 6 महीने का एक्टेंशन देने की सलाह दी गई है. स्थिति के हिसाब से इसे 3 महीने और बढ़ाया जा सकता है. सरकार ने कहा कि होमबॉयर्स, डेवलपर्स और अन्य कर्जदारों को राहत देने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन देने वाली संस्थाओं को 1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त 2020 के बीच होने वाले भुगतान पर कुल 6 (3 + 3) महीने की मोहलत देने की अनुमति दी है. हालांकि सरकार का दावा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (NBFCs), हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) और माइक्रो फाइनेंस इंस्टियूशंस (MFIs) के लिए 75,000 करोड़ रुपये और प्रधान मंत्री आवास योजना - शहरी के लिए 18,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय ने भी निर्माण और रियल्टी क्षेत्र की पुनरुद्धार में मदद की है.
बता दें कि रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ होम बायर्स की लगातार शिकायतों के बाद केंद्र सरकार 2016 में रेरा (The Real Estate Regulation and Development Act ) कानून लाई थी. सरकार ने दावा किया था कि इस अधिनियम के तहत पारदर्शी तरीके से रियल एस्टेट क्षेत्र के रेग्युलेट किया जा सकेगा और घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा होगी. रेरा के प्रावधानों के तहत, 2 अप्रैल, 2022 तक, 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों की स्थापना की है, जहां उपभोक्ता अपने बिल्डर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. अभी तक 78,225 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट और 61,551 रियल एस्टेट एजेंटों को रेरा के तहत पंजीकृत किया गया है. देश भर में रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी लगभग 87,633 शिकायतों का निपटारा कर चुकी है.
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