रोहतक: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी को नष्ट करने वाले रिटायर्ड कमांडर इंद्र सिंह का सोमवार, 9 अक्टूबर को हरियाणा के रोहतक की झंग कॉलोनी स्थित आवास पर उनका निधन हो गया. वे 99 वर्ष के थे. उनका अंतिम संस्कार आज शहर के शीला बाईपास स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा.
युद्ध के समय आईएनएस राजपूत के कमांडर थे इंद्र सिंह: बता दें कि वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत के आईएनएस राजपूत ने पाकिस्तान की नेवल सबमरीन गाजी को डुबो दिया था. आईएनएस राजपूत के कमांडर इंद्र सिंह थे. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के आईएनएस विक्रांत को डुबोने के लिए ही गाजी को भेजा था. अमेरिका ने अपनी डायब्लो पनडुब्बी को 1965 की भारत-पाक युद्ध से कुछ ही समय पहले पाकिस्तान को पट्टे पर दिया था. पाकिस्तान ने इसका नाम गाजी रखा था, लेकिन भारत के आईएनएस राजपूत ने गाजी पनडुब्बी को डुबो दिया था. उस समय भारत के पास एक भी पनडुब्बी नहीं थी.
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पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी को नष्ट करने में अहम भूमिका: उस युद्ध के बारे में कमांडर इंद्र सिंह ने कहा था 3 दिसंबर 1971 देश की वेस्टर्न सेक्टर की एयरफील्ड में पाकिस्तान ने जंग छेड़ दी थी और वे आईएनएस राजपूत युद्धक पोत को लेकर विशाखापट्नम डॉक से सेल आउट कर रहे थे. इस दौरान सिस्टम के जरिए समुद्र में मूविंग सब्जेक्ट का पता चला, जो पाकिस्तान द्वारा विक्रांत को नष्ट करने के लिए भेजी गई गाजी पनडुब्बी थी. समुद्र में आईएनएस राजपूत ही दुश्मन को धोखा देने के लिए विक्रांत बनकर घूम रहा था. रात 12 बजकर मिनट पर अटैक कर उसको नष्ट कर दिया. पाकिस्तान के सबसे अहम हथियार गाजी के नष्ट होने से इंडियन नेवी का हौसला चार गुना बढ़ गया था और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी.
घर पर ही रहे रहे थे इंद्र सिंह: इंद्र सिंह का जन्म 4 अक्टूबर 1924 को हुआ था. इंद्र सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी. पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी उनकी विशेष रुचि थी. आठवीं की परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने जाट स्कूल सोनीपत से की थी. 99 वर्षीय वीर चक्र विजेता कमांडर इंदर सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. अस्वस्थ होने के कारण वे अपने घर पर ही रह रहे थे.
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