उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री जाने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा छोटी और सुगम बनाने के लिए टनल बनाई जा रही है. सिलक्यारा नामक स्थान पर बन रही टनल से धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम होगी. यानी पहाड़ पर करीब डेढ़ घंटे का कम सफर करना पड़ेगा. चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत यह सुरंग ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर स्थित सिलक्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है.
![Rescue of workers trapped in Silkyara Tunnel](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-11-2023/20036423_gfxgfx4.jpg)
12 नवंबर को टनल में आया मलबा: 12 नवंबर यानी दीपावली सुबह अचानक निर्माणाधीन टनल में ऊपर से मलबा गिरने लगा. देखते ही देखते मलबे का इतना बड़ा ढेर लग गया कि टनल के अंदर की तरफ काम कर रहे मजदूर वहीं फंस गए. मलबे के दूसरी तरफ विभिन्न राज्यों से इस परियोजना में काम करने आए 40 मजदूर फंस गए. जैसे ही ये खबर टनल से बाहर फैली पूरे देश में हड़कंप मच गया. आनन फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया.
इन राज्यों के मजदूर फंसे हैं: सिलक्यारा की टनल में सबसे ज्यादा 15 श्रमिक झारखंड के फंसे हैं. उत्तर प्रदेश के 8 और ओडिशा से 5 मजदूर सुरंग में फंसे हैं. इसके साथ ही बिहार के चार, पश्चिम बंगाल के 3, असम और उत्तराखंड के 2-2 श्रमिकों के साथ ही हिमाचल प्रदेश का भी एक श्रमिक टनल के अंदर फंसा है. ये मजदूर पिछले पांच दिन से सिलक्यारा की टनल के अंदर फंसे हुए हैं.
![Rescue of workers trapped in Silkyara Tunnel](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-11-2023/20036423_gfx.jpg)
200 से ज्यादा लोग रेस्क्यू में लगे हैं: उत्तराखंड सरकार ने रेस्क्यू के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है. इसके साथ ही केंद्रीय सहायता भी रेस्क्यू में मिल रही है. NHIDCL यानी नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, NDRF (National Disaster Response Force), SDRF (State Disaster Response Force) , ITBP (Indo-Tibetan Border Police), BRO (Border Roads Organisation) और नेशनल हाईवे की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हुई हैं. इन टीमों में 200 से ज्यादा लोग 24 घंटे यानी दिन रात रेस्क्यू वर्क कर रहे हैं.
![Rescue of workers trapped in Silkyara Tunnel](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-11-2023/20036423_gfxgfx2.jpg)
इतनी बार गिरा मलबा: रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी बाधा बार-बार गिर रहा मलबा है. अब तक 6 बार सुरंग की टॉप से मलबा गिर चुका है. हर बात गिरता ताजा मलबा रेस्क्यू ऑपरेशन को मुश्किल बना देता है. अभी तक जो ऑगर मशीन ड्रिलिंग कर रही थी, उसकी सीमा 45 मीटर तक ही सीमित थी. इसीलिए दिल्ली से हैवी ऑगर मशीन हरक्यूलिस विमान से मंगाई गई.
इस कारण धंसी टनल: उच्च सुरक्षा गुणवत्ता के साथ बन रही चारधाम रोड परियोजना की ये सुरंग धंसने से सभी चौंक गए थे. लोगों के मन में ये सवाल कौंधने लगा था कि आखिर इतनी चौकसी से काम करने के बावजूद मलबा कैसे गिर गया. इस पर एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडर करमवीर सिंह ने बताया कि प्लास्टर नहीं होने के कारण पहले टनल का 60 मीटर हिस्सा धंसा. दरअसल साढ़े चार किमी लंबी और करीब 14 मीटर चौड़ी इस सुरंग की शुरुआत से 200 मीटर अंदर तक ही प्लास्टर हुआ था. उससे आगे प्लास्टर नहीं होने के कारण मलबा आ गया.
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800 करोड़ से ज्यादा है टनल की लागत: ये टनल पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. चारधाम रोड परियोजना के तहत बन रही इस टनल की लागत 853.79 (8 सौ 53 करोड़ 79 लाख) रुपए की लागत से बन रही है. दिलचस्प बात ये है कि ये सुरंग हर मौसम में खुली रहेगी. दरअसल दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च के महीनों में बर्फबारी के कारण ये रास्ता अक्सर बंद हो जाता है. ये टनल बनने से इन महीनों में भी लोग बे रोकटोक आवागमन कर सकेंगे. सबसे बड़ी बात तो ये है कि उत्तरकाशी जिले में ही यमुनोत्री धाम की दूरी 26 किलोमीटर कम तय करनी पड़ेगी.
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