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नाबालिग लड़की विवाह करती है तो ऐसे में पुरुष को उसका स्वाभाविक अभिभावक होने का अधिकार - पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने नाबालिग की एक पुरुष के साथ अपनी इच्छा से शादी करने के मामले में व्यवस्था दी है कि अगर पति का उस लड़की से रिश्ता जारी है तो व्यक्ति (पति) उस नाबालिग लड़की का स्वाभाविक अभिभावक का अधिकार रखता है.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Jun 9, 2021, 1:42 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने अपनी इच्छा से एक पुरुष से शादी करने वाली नाबालिग लड़की से संबंधित मामले में व्यवस्था दी कि हिन्दू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के अनुसार, अगर पति का उस लड़की से रिश्ता जारी है तो व्यक्ति (पति) उस नाबालिग लड़की का स्वाभाविक अभिभावक का अधिकार रखता है. एक मुस्लिम नाबालिग लड़की से विवाह करने पर पानीपत के एक युवक के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज हुआ था. युवक ने इसे हाई कोर्ट में चुनाैती दी थी. हाई कोर्ट ने लड़के को राहत देते हुए अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद करने का आदेश दिया.

इस मामले में पानीपत में युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कहा गया था कि उसने नाबालिग मुस्लिम लड़की का अपहरण किया है. इसको रद्द करवाने के लिए युवक ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस गिल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि नाबालिग लड़की ने लड़के से अपनी इच्छा से विवाह किया है. ऐसे में हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के अनुसार युवक और लड़की का पति-पत्नी का रिश्ता है और युवक उस नाबालिग लड़की का एक अभिभावक का अधिकार रखता है.

पढ़ें - केंद्र ने कोर्ट से कहा घर-घर जाकर बुजुर्गों व दिव्यांगों का टीकाकरण करना संभव नहीं

याचिका में युवक ने यह भी कहा था कि लड़की ने अपनी इच्छा से उससे शादी की है ना कि वो लड़की को घर से भगाकर लेकर आया, उसके पास मैरिज सर्टिफिकेट भी है जोकि संबंधित थाने में दिखाया भी गया. इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे में युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता. वहीं कोर्ट तथा अधिकारियों के समक्ष लड़की ने अपने बयानों में कबूल किया कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से शादी की थी और वह अपने पति के साथ रह रही है और उसी के साथ रहना चाहती है.

कोर्ट ने कहा की लड़की कथित तौर पर शादी के समय नाबालिग थी लेकिन तथ्य यह भी कहते हैं कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपनी मर्जी से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि गार्जियनशिप एंड वाइज एक्ट 1890 के तहत माता-पिता कानूनी अभिभावक होते हैं और क्योंकि यह शादी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत अवैध ठहराए जाने योग्य है पर क्योंकि दंपत्ति ने माता-पिता की मर्जी के विरुद्ध जाकर अपने पार्टनर का चयन किया तथा दोनों साथ रहकर अपना रिश्ता निभा रहे हैं ऐसे में यह कोर्ट गार्जियंस एंड वार्डस एक्ट 1890 की धारा 25 के तहत इन तथ्यों का संज्ञान ले सकता है . क्योंकि लड़की का कल्याण सबसे ऊपर है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, ऐसे में क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपनी ससुराल में वह खुश है. इसलिए याचिकाकर्ता पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता.

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने अपनी इच्छा से एक पुरुष से शादी करने वाली नाबालिग लड़की से संबंधित मामले में व्यवस्था दी कि हिन्दू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के अनुसार, अगर पति का उस लड़की से रिश्ता जारी है तो व्यक्ति (पति) उस नाबालिग लड़की का स्वाभाविक अभिभावक का अधिकार रखता है. एक मुस्लिम नाबालिग लड़की से विवाह करने पर पानीपत के एक युवक के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज हुआ था. युवक ने इसे हाई कोर्ट में चुनाैती दी थी. हाई कोर्ट ने लड़के को राहत देते हुए अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद करने का आदेश दिया.

इस मामले में पानीपत में युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कहा गया था कि उसने नाबालिग मुस्लिम लड़की का अपहरण किया है. इसको रद्द करवाने के लिए युवक ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस गिल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि नाबालिग लड़की ने लड़के से अपनी इच्छा से विवाह किया है. ऐसे में हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के अनुसार युवक और लड़की का पति-पत्नी का रिश्ता है और युवक उस नाबालिग लड़की का एक अभिभावक का अधिकार रखता है.

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याचिका में युवक ने यह भी कहा था कि लड़की ने अपनी इच्छा से उससे शादी की है ना कि वो लड़की को घर से भगाकर लेकर आया, उसके पास मैरिज सर्टिफिकेट भी है जोकि संबंधित थाने में दिखाया भी गया. इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे में युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता. वहीं कोर्ट तथा अधिकारियों के समक्ष लड़की ने अपने बयानों में कबूल किया कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से शादी की थी और वह अपने पति के साथ रह रही है और उसी के साथ रहना चाहती है.

कोर्ट ने कहा की लड़की कथित तौर पर शादी के समय नाबालिग थी लेकिन तथ्य यह भी कहते हैं कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपनी मर्जी से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि गार्जियनशिप एंड वाइज एक्ट 1890 के तहत माता-पिता कानूनी अभिभावक होते हैं और क्योंकि यह शादी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत अवैध ठहराए जाने योग्य है पर क्योंकि दंपत्ति ने माता-पिता की मर्जी के विरुद्ध जाकर अपने पार्टनर का चयन किया तथा दोनों साथ रहकर अपना रिश्ता निभा रहे हैं ऐसे में यह कोर्ट गार्जियंस एंड वार्डस एक्ट 1890 की धारा 25 के तहत इन तथ्यों का संज्ञान ले सकता है . क्योंकि लड़की का कल्याण सबसे ऊपर है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, ऐसे में क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपनी ससुराल में वह खुश है. इसलिए याचिकाकर्ता पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता.

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