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फायदे में रहे यूपी में गठबंधन करने वाले क्षेत्रीय दल, मणिपुर और गोवा में भी बेहतर प्रदर्शन

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी ने चार राज्यों में बहुमत हासिल किया, जबकि कांग्रेस पांचों राज्यों में चुनाव हार गई. यूपी में बड़े दलों के साथ गठबंधन करने वाले जाति आधारित छोटे दलों ने शानदार प्रदर्शन किया. गोवा और मणिपुर में इन दलों ने अपने दम पर सीटें हासिल कीं.

Regional parties performance
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Published : Mar 11, 2022, 6:11 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 7:09 PM IST

नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बड़े दलों की हार जीत सुर्खियां बनीं. इस लड़ाई में कई छोटे दलों की चर्चा अनकही रह गई. जबकि उत्तर प्रदेश में इन क्षेत्रीय दलों ने शानदार प्रदर्शन किया. पंजाब में छोटे दल आप की आंधी का शिकार बन गए. उत्तराखंड में क्षेत्रीय दल हैं ही नहीं. मगर गोवा और मणिपुर की क्षेत्रीय पार्टियों ने शानदार प्रदर्शन किया.

पहले बात उत्तर प्रदेश की. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा 12 पार्टियां चुनाव मैदान में थी. इनमें से दो राजनीतिक दलों अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी ने एनडीए में शामिल होकर बीजेपी का नेतृत्व कबूल किया. जबकि आरएलडी, अपना दल (कमेरावादी), ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, गोंडवाना पार्टी, कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी ने समाजवादी पार्टी के गठबंधन किया. समाजवादी पार्टी ने अपना दल (कमेरावादी), आरएलडी और सुभासपा के साथ सीट शेयर भी किया था.

गठबंधन की राजनीति में फायदा अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा को हुआ. 2016 में बनी अपना दल (सोनेलाल) ने आज 12 सीटें जीत लीं. अपना दल (एस) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. निषाद पार्टी ने भी 6 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. सपा के साथी सुभासपा को भी 6 सीटों पर कामयाबी मिली. उसे 2017 के चुनाव में 4 सीटें मिली थीं. फिलहाल गठबंधन के आधार पर निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को उत्तरप्रदेश के नए मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी का तूफान आया और इसमें बड़े-बड़े दलों के सूरमा भी हवा हो गए. कांग्रेस, अकाली दल, बीजेपी गठबंधन के अलावा किसान विकास मोर्चा जैसे दल भी चुनाव मैदान में थे. किसान आंदोलन के बेअसर होने और आम आदमी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के कारण ये पार्टियां जमानत भी नहीं बचा पाई.

गोवा में भी बने सत्ता की चाबी : गोवा और मणिपुर के क्षेत्रीय दल अपनी हैसियत बनाए रखने में कामयाब हुए. गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) ने दो, गोवा फॉरवॉर्ड पार्टी (GFP) ने एक , रिवॉल्यूशनरी गोअन्स पार्टी (RGP) ने एक सीट हासिल कर ली. अब एमजीपी बहुमत से एक कदम दूर बीजेपी का सहारा बन गई है. हालांकि बीजेपी को निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दे दिया है. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी गोवा की मुक्ति के बाद गोवा विधानसभा में बहुमत प्राप्त करने वाला पहली पॉलिटिकल पार्टी थी. यह पार्टी 1979 तक सत्ता में बनी रही. गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने 2022 के चुनाव में कांग्रेस से समझौता किया था. इसके अध्यक्ष विजय सरदेसाई (Vijai Sardesai ) फैटोर्डा से जीत दर्ज की. एक नए राजनीतिक संगठन रिवोल्यूशनरी गोअन्स पार्टी (आरजीपी) ने इस चुनाव में एक सीट जीतकर उपस्थिति दर्ज कराई.

मणिपुर में अपने दम पर जीते क्षेत्रीय दल : मणिपुर में बीजेपी ने 32 सीट जीतकर 60 सदस्यों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) 7 सीटें पर कब्जा कर दूसरे पायदान पर रही. नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) ने कांग्रेस के बराबर 5 सीटों पर जीत दर्ज की. कूकी पीपुल्स अलायंस (KPA) ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की. इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड ने भी 6 सीटों पर कब्जा किया. एनपीपी और एनपीएफ पहले भी मणिपुर में चुनाव लड़ चुकी है. 2017 में बीजेपी ने नेशनल पीपल्स पार्टी और नगा पीपल्स फ्रंट की मदद से सरकार बनाई थी. मगर दो महीने पुराने कूकी पीपुल्स अलायंस (KPA) की दो सीटों पर जीत हैरत भरी है. इस पार्टी की स्थापना एक डॉक्टर और एक वकील ने चुनाव से दो महीने पहले की थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 पर्सेंट रहा.

पढ़ें : राजनीतिक पार्टियां जो बीजेपी से लड़ना चाहती हैं, उन्हें साथ चलना चाहिए : सीएम ममता

नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बड़े दलों की हार जीत सुर्खियां बनीं. इस लड़ाई में कई छोटे दलों की चर्चा अनकही रह गई. जबकि उत्तर प्रदेश में इन क्षेत्रीय दलों ने शानदार प्रदर्शन किया. पंजाब में छोटे दल आप की आंधी का शिकार बन गए. उत्तराखंड में क्षेत्रीय दल हैं ही नहीं. मगर गोवा और मणिपुर की क्षेत्रीय पार्टियों ने शानदार प्रदर्शन किया.

पहले बात उत्तर प्रदेश की. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा 12 पार्टियां चुनाव मैदान में थी. इनमें से दो राजनीतिक दलों अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी ने एनडीए में शामिल होकर बीजेपी का नेतृत्व कबूल किया. जबकि आरएलडी, अपना दल (कमेरावादी), ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, गोंडवाना पार्टी, कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी ने समाजवादी पार्टी के गठबंधन किया. समाजवादी पार्टी ने अपना दल (कमेरावादी), आरएलडी और सुभासपा के साथ सीट शेयर भी किया था.

गठबंधन की राजनीति में फायदा अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा को हुआ. 2016 में बनी अपना दल (सोनेलाल) ने आज 12 सीटें जीत लीं. अपना दल (एस) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. निषाद पार्टी ने भी 6 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. सपा के साथी सुभासपा को भी 6 सीटों पर कामयाबी मिली. उसे 2017 के चुनाव में 4 सीटें मिली थीं. फिलहाल गठबंधन के आधार पर निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को उत्तरप्रदेश के नए मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी का तूफान आया और इसमें बड़े-बड़े दलों के सूरमा भी हवा हो गए. कांग्रेस, अकाली दल, बीजेपी गठबंधन के अलावा किसान विकास मोर्चा जैसे दल भी चुनाव मैदान में थे. किसान आंदोलन के बेअसर होने और आम आदमी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के कारण ये पार्टियां जमानत भी नहीं बचा पाई.

गोवा में भी बने सत्ता की चाबी : गोवा और मणिपुर के क्षेत्रीय दल अपनी हैसियत बनाए रखने में कामयाब हुए. गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) ने दो, गोवा फॉरवॉर्ड पार्टी (GFP) ने एक , रिवॉल्यूशनरी गोअन्स पार्टी (RGP) ने एक सीट हासिल कर ली. अब एमजीपी बहुमत से एक कदम दूर बीजेपी का सहारा बन गई है. हालांकि बीजेपी को निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दे दिया है. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी गोवा की मुक्ति के बाद गोवा विधानसभा में बहुमत प्राप्त करने वाला पहली पॉलिटिकल पार्टी थी. यह पार्टी 1979 तक सत्ता में बनी रही. गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने 2022 के चुनाव में कांग्रेस से समझौता किया था. इसके अध्यक्ष विजय सरदेसाई (Vijai Sardesai ) फैटोर्डा से जीत दर्ज की. एक नए राजनीतिक संगठन रिवोल्यूशनरी गोअन्स पार्टी (आरजीपी) ने इस चुनाव में एक सीट जीतकर उपस्थिति दर्ज कराई.

मणिपुर में अपने दम पर जीते क्षेत्रीय दल : मणिपुर में बीजेपी ने 32 सीट जीतकर 60 सदस्यों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) 7 सीटें पर कब्जा कर दूसरे पायदान पर रही. नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) ने कांग्रेस के बराबर 5 सीटों पर जीत दर्ज की. कूकी पीपुल्स अलायंस (KPA) ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की. इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड ने भी 6 सीटों पर कब्जा किया. एनपीपी और एनपीएफ पहले भी मणिपुर में चुनाव लड़ चुकी है. 2017 में बीजेपी ने नेशनल पीपल्स पार्टी और नगा पीपल्स फ्रंट की मदद से सरकार बनाई थी. मगर दो महीने पुराने कूकी पीपुल्स अलायंस (KPA) की दो सीटों पर जीत हैरत भरी है. इस पार्टी की स्थापना एक डॉक्टर और एक वकील ने चुनाव से दो महीने पहले की थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 पर्सेंट रहा.

पढ़ें : राजनीतिक पार्टियां जो बीजेपी से लड़ना चाहती हैं, उन्हें साथ चलना चाहिए : सीएम ममता

Last Updated : Mar 11, 2022, 7:09 PM IST
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