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नाबालिग लड़की की बरामदगी: SC ने यूपी में दर्ज FIR की जांच दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की

यूपी के गोरखपुर से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता होने के बाद बरामद की गई नाबालिग का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर करने का आदेश दिया. लड़की की मां की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है.

Supreme Court
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Published : Sep 7, 2021, 3:10 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में दर्ज एक मामले की जांच (investigation) मंगलवार को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की. मामला 8 जुलाई को गोरखपुर से 13 साल की लड़की की गुमशुदगी से जुड़ा है. उसे दिल्ली पुलिस ने बरामद करने के साथ ही कथित अपहरणकर्ता को गिरफ्तार किया था.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच को स्थानांतरित कर दिया और कहा कि यूपी पुलिस द्वारा एकत्र किए गए मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड दिल्ली पुलिस को सौंपे जाएं.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) आरएस सूरी ने पीठ को बताया कि नाबालिग लड़की को बरामद (Recovery of minor girl) कर लिया गया है और कथित तौर पर उसका अपहरण करने वाले व्यक्ति को 2 सितंबर को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया. उन्हें 4 सितंबर को यहां लाया गया था. उसके बाद नाबालिग की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जांच की गई.

जस्टिस हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार की बेंच को सूरी ने बताया कि ऐसा लगता है कि 15 जुलाई को उसने शादी की थी और उसने अपनी मां के साथ जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि लड़की को गोरखपुर पुलिस को सौंप दिया गया है क्योंकि वे चाहते हैं कि उसे वहां मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए. यह तर्क देते हुए कि जांच दिल्ली पुलिस को सौंपी जानी चाहिए, सूरी ने पीठ से कहा कि नाबालिग ने अपनी मां के साथ जाने से इनकार कर दिया क्योंकि वह अपने माता-पिता से परेशान है.

यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस को अपनी बेटी का पता लगाने के निर्देश देने के लिए याचिका दायर करने वाली लड़की की मां की ओर से पेश अधिवक्ता पाई अमित ने पीठ से कहा कि उसका गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक है ऐसे में अगर कुछ करना है, तो उसे तत्काल करना होगा. उन्होंने कहा कि लड़की की उम्र करीब 15-16 साल है लेकिन उसके आधार में उसकी उम्र 13 बताई गई है.

एम्स में होगी उम्र की जांच
सूरी ने कहा कि लड़की का दावा है कि वह 17 साल की है और एम्स ने उसकी उम्र के आकलन के लिए उसे फोरेंसिक विभाग में भेज दिया है. पीठ ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से पूछा कि वह जांच दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर रही है क्या उन्हें कोई आपत्ति है. वकील ने कहा जैसा आप उचित समझें. एएसजी द्वारा काउंसलिंग की रिपोर्ट भेजे जाने के बाद पीठ ने कहा, उसने यौन उत्पीड़न की बात स्वीकार की है. सूरी ने हां में जवाब दिया जिसके बाद पीठ ने कहा, इसके बारे में कुछ करने की जरूरत है. पीठ ने मामले की सुनवाई 14 सितंबर को तय की है.

कोर्ट ने लगाई थी फटकार
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 1 सितंबर को मामले की जांच में ढिलाई बरतने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की थी, और उसे तुरंत दिल्ली पुलिस के साथ जांच रिपोर्ट साझा करने का निर्देश दिया था. दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली मां ने अपनी याचिका में दावा किया था कि बेटी का उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक व्यक्ति ने उस दौरान अपहरण कर लिया था, जब उसके परिवार के सदस्य वहां एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे. इस मामले में गोरखपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

पढ़े- नाबालिग लड़की विवाह करती है तो ऐसे में पुरुष को उसका स्वाभाविक अभिभावक होने का अधिकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में दर्ज एक मामले की जांच (investigation) मंगलवार को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की. मामला 8 जुलाई को गोरखपुर से 13 साल की लड़की की गुमशुदगी से जुड़ा है. उसे दिल्ली पुलिस ने बरामद करने के साथ ही कथित अपहरणकर्ता को गिरफ्तार किया था.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच को स्थानांतरित कर दिया और कहा कि यूपी पुलिस द्वारा एकत्र किए गए मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड दिल्ली पुलिस को सौंपे जाएं.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) आरएस सूरी ने पीठ को बताया कि नाबालिग लड़की को बरामद (Recovery of minor girl) कर लिया गया है और कथित तौर पर उसका अपहरण करने वाले व्यक्ति को 2 सितंबर को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया. उन्हें 4 सितंबर को यहां लाया गया था. उसके बाद नाबालिग की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जांच की गई.

जस्टिस हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार की बेंच को सूरी ने बताया कि ऐसा लगता है कि 15 जुलाई को उसने शादी की थी और उसने अपनी मां के साथ जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि लड़की को गोरखपुर पुलिस को सौंप दिया गया है क्योंकि वे चाहते हैं कि उसे वहां मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए. यह तर्क देते हुए कि जांच दिल्ली पुलिस को सौंपी जानी चाहिए, सूरी ने पीठ से कहा कि नाबालिग ने अपनी मां के साथ जाने से इनकार कर दिया क्योंकि वह अपने माता-पिता से परेशान है.

यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस को अपनी बेटी का पता लगाने के निर्देश देने के लिए याचिका दायर करने वाली लड़की की मां की ओर से पेश अधिवक्ता पाई अमित ने पीठ से कहा कि उसका गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक है ऐसे में अगर कुछ करना है, तो उसे तत्काल करना होगा. उन्होंने कहा कि लड़की की उम्र करीब 15-16 साल है लेकिन उसके आधार में उसकी उम्र 13 बताई गई है.

एम्स में होगी उम्र की जांच
सूरी ने कहा कि लड़की का दावा है कि वह 17 साल की है और एम्स ने उसकी उम्र के आकलन के लिए उसे फोरेंसिक विभाग में भेज दिया है. पीठ ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से पूछा कि वह जांच दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर रही है क्या उन्हें कोई आपत्ति है. वकील ने कहा जैसा आप उचित समझें. एएसजी द्वारा काउंसलिंग की रिपोर्ट भेजे जाने के बाद पीठ ने कहा, उसने यौन उत्पीड़न की बात स्वीकार की है. सूरी ने हां में जवाब दिया जिसके बाद पीठ ने कहा, इसके बारे में कुछ करने की जरूरत है. पीठ ने मामले की सुनवाई 14 सितंबर को तय की है.

कोर्ट ने लगाई थी फटकार
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 1 सितंबर को मामले की जांच में ढिलाई बरतने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की थी, और उसे तुरंत दिल्ली पुलिस के साथ जांच रिपोर्ट साझा करने का निर्देश दिया था. दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली मां ने अपनी याचिका में दावा किया था कि बेटी का उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक व्यक्ति ने उस दौरान अपहरण कर लिया था, जब उसके परिवार के सदस्य वहां एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे. इस मामले में गोरखपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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