श्रीनगर/गांदरबल : नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी (National Conference and PDP ) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर के दौरे और पहाड़ी आबादी को आरक्षण देने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया (reaction of political parties) व्यक्त करते हुए कहा कि शाह ने जम्मू-कश्मीर के समग्र विकास पर चर्चा नहीं की. बल्कि उन्होंने लोगों को बांटने की कोशिश की. उनका कहना है कि अमित शाह ने आरक्षण के मुद्दे पर गुर्जरों, बकरवालों और पहाड़ी लोगों के बीच बंटवारा किया है. वहीं पहाड़ी वर्ग में फैसले से खुशी है.
नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि गृह मंत्री ने केवल जम्मू-कश्मीर, खासकर गुर्जर बकरवाल और पहाड़ी लोगों के बीच दरार पैदा की हैं. पीडीपी प्रवक्ता रऊफ बट ने कहा कि राजौरी रैली में पहाडि़यों को आरक्षण देने की गृह मंत्री की घोषणा गुर्जर बकरवाल और पहड़ियों से लड़ने की साजिश है.
गौरतलब है कि राजौरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को जस्टिस जीडी शर्मा आयोग की सिफारिशों के अनुसार आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन आरक्षण का एक प्रतिशत भी नहीं. उनसे गुर्जर बकरवाल समाज को छीन लिया गया है.
गांदरबल में पहाड़ी वर्ग ने मनाया जश्न : राजौरी रैली में पहाड़ी समुदायों को आरक्षण देने की घोषणा के बाद गांदरबल के चोंटवालीवार लोगों ने जश्न मनाया और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया. इस मौके पर क्षेत्र के सरपंच फारूक अहमद ने कहा कि अमित शाह की घोषणा के बाद हमें लगा कि आज जम्मू-कश्मीर के अठारह लाख पहाड़ी लोगों को आजाद कर दिया गया है. एक पहाड़ी युवक ने कहा कि यह हमारा अधिकार है और हालांकि पूर्ण घोषणा के लिए कुछ कागजी कार्रवाई बाकी है. उन्होंने कहा है कि गांदरबल पहाड़ी फोरमकी ओर से हम अमित शाह को बधाई देते हैं.
शिवसेना ने किया प्रदर्शन : उधर, शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और संविधान के अनुच्छेद-371 का दायरा केंद्रशासित प्रदेश तक बढ़ाने की मांग को लेकर यहां प्रदर्शन किया. शिवसेना की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष मनीष साहनी के नेतृत्व में चन्नी चौक पर स्थित पार्टी मुख्यालय के निकट विरोध प्रदर्शन किया गया. यह प्रदर्शन ऐसे समय किया गया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रशासित प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. हाथ में तिरंगा लिए शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने अनुच्छेद-371 के तहत विशेष दर्जा, राज्य का दर्जा बहाल किए जाने और कश्मीर में हिंदुओं के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाए.
साहनी ने कहा, 'पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ, केंद्र सरकार ने हमारी सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ विकास, रोजगार का वादा किया था. इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया.' उन्होंने कहा कि वह गृह मंत्री को जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए वादों की याद दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं. साहनी ने कहा कि सरकार स्थानीय युवाओं के लिए विकास, शांति और पर्याप्त रोजगार के अवसरों के अपने वादे को पूरा करे. उन्होंने कहा, 'पिछले तीन वर्षों से, जम्मू-कश्मीर के लोगों को केंद्रशासित प्रदेश होने का कोई लाभ नहीं मिला है.'
शिवसेना के एक नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी अनुच्छेद-371 के तहत पूर्वोत्तर और देश के अन्य सीमावर्ती राज्यों की तरह कुछ विशेषाधिकार प्राप्त करने का अधिकार है. उन्होंने कहा, 'हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान के अलावा भूमि और नौकरियों पर अपने अधिकारों की सुरक्षा की जरूरत है.'
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