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कस्टमर की सहमति के बिना क्रेडिट कार्ड दिया तो बैंकों को देना होगा जुर्माना : RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बिना पूर्व सहमति के ग्राहकों को कार्ड जारी करने या अपग्रेड करने के लिए बैंकों के लिए दंड का प्रावधान करते हुए अवांछित डेबिट और क्रेडिट कार्ड को नियंत्रित करने वाले नियमों में भारी बदलाव किया है. अवांछित क्रेडिट कार्डों के दुरुपयोग से होने वाले किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेदारी केवल कार्ड जारीकर्ता अर्थात बैंक की होगी. जिस व्यक्ति के नाम पर कार्ड जारी किया गया है वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

भारतीय रिजर्व बैंक
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Published : Apr 22, 2022, 12:31 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 2:41 PM IST

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बिना पूर्व सहमति के ग्राहकों को क्रे़डिट कार्ड जारी करने या अपग्रेड करने के लिए बैंकों के लिए दंड का प्रावधान किया है. इसको ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को नियंत्रित करने वाले नियमों में भारी बदलाव किया है. इसने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए नियामक की पूर्व मंजूरी के साथ क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए एक विंडो भी खोली है. नियामक ने बैंकों से कहा है कि ऋण के मूलधन में अतिदेय ब्याज को समायोजित नहीं किया जाना चाहिए जिससे ऋणात्मक परिशोधन होता है. बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि ब्याज की चक्रवृद्धि के लिए हिडन शुल्क और लेवी को ब्याज में समायोजित नहीं किया जाए.

आरबीआई के नए निर्देश सभी अनुसूचित बैंकों और एनबीएफसी पर 01 जुलाई, 2022 से प्रभावी होंगे. 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक की कुल संपत्ति वाले बैंकों को क्रेडिट कार्ड व्यवसाय या तो स्वतंत्र रूप से या अन्य कार्ड जारी करने वाले बैंक/एनबीएफसी के साथ टाई-अप व्यवस्था में करने की अनुमति है. कम से कम 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और एक कोर बैंकिंग समाधान भी आरबीआई की मंजूरी के बाद ही क्रेडिट कार्ड जारी कर सकते हैं. एनबीएफसी को 100 करोड़ रुपये के न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व वाले फंड के साथ वास्तविक या भौतिक रूप से क्रेडिट, डेबिट या चार्ज कार्ड जारी करने के लिए आरबीआई की विशेष अनुमति लेनी आवश्यकता होगी.

आरबीआई ने इस तरह के बिना सहमति के जारी किए गए कार्ड से उत्पन्न होने वाली किसी भी देनदारी के लिए बैंकों को दोषी माना है. आरबीआई ने कहा हे कि यदि कोई बैंक अवांछित कार्ड जारी करता है या मौजूदा कार्ड को कस्टमर की सहमति के बिना अपग्रेड और सक्रिय करता है. भविष्य में उसके लिए कस्टमर को बिल भेजता है तो कार्ड-जारीकर्ता बैंक या संस्थान को न केवल शुल्क वापस करना होगा बल्कि अविलंब जुर्माने के रूप में कस्टमर को दोगुना भुगतान करना होगा. इसके अलावा कस्टमर अपने समय की हानि व उसके द्वारा किए गए खर्च, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए कार्ड जारी किए बैंक के खिलाफ बैंकिंग लोकपाल से इसकी शिकायत कर सकता है.

केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि ऐसे अवांछित कार्डों के दुरुपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी केवल कार्ड जारीकर्ता की होगी. जिस व्यक्ति के नाम पर कार्ड जारी किया गया है वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा. कार्ड-जारीकर्ता क्रेडिट कार्ड को सक्रिय करने के लिए कार्डधारक से वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आधारित सहमति मांगेंगे. कार्ड जारी करने की तारीख से 30 दिनों से अधिक समय तक ग्राहक द्वारा सक्रिय नहीं किया गया है या इसके लिए कोई सहमति प्राप्त नहीं होती है. तब बैंक कार्ड को सक्रिय करते हुए, कार्ड-जारीकर्ता ग्राहक से कंफर्म करने की तारीख से सात कार्य दिवसों के भीतर ग्राहक का बिना किसी लागत के क्रेडिट कार्ड खाता बंद कर देंगे.

आरबीआई ने बैंकों को कार्ड के सक्रिय होने से पहले क्रेडिट सूचना कंपनियों के साथ कोई भी जानकारी साझा करने से भी मना किया है. साथ ही ऐसे निष्क्रिय क्रेडिट कार्ड से संबंधित किसी भी क्रेडिट जानकारी यदि बैंक ने पहले से ही शेयर किया है तो बैंक उसे अविलंब वापस लें. कार्ड-जारीकर्ता के प्रतिनिधि केवल सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहकों से संपर्क कर सकते हैं. बैंकों को क्रेडिट कार्ड बंद करने के अनुरोध का सम्मान करना होगा, ईमेल, एसएमएस आदि के माध्यम से ग्राहक को तुरंत बंद करने की सूचना देनी होगी. बैंकों को ग्राहकों को हेल्पलाइन, समर्पित ईमेल-आईडी, इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआर) जैसी सुविधाएं प्रमुखता से देने होंगे. अपने कार्ड बंद करने के लिए वेबसाइट, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल-ऐप या किसी अन्य मोड पर दिखाई देने वाली लिंक और किसी भी चैनल पर क्लिक के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

यदि कार्ड जारी करने वाले बैंक सात कार्य दिवसों के भीतर क्रे़डिट कार्ड को बंद करने में विफल रहती है तो बैंक को 500 रुपये प्रति दिन जुर्माना के रूप में उस कस्टमर को देना होगा. जब तक कि खाता बंद नहीं किया जाता है बशर्ते कि खाते को उपर कोई बकाया न हो. यदि कस्टमर ने अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग एक वर्ष से अधिक की अवधि में नहीं किया है तो बैंक कस्टमर को सूचित करके कार्ड बंद करने की प्रक्रिया शुरू करेगी. यदि कस्टमर से 30 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है तो बैंक के लिए कस्टमर का कार्ड बंद करना अनिवार्य होगा. हालांकि कस्टमर को उस कार्ड पर देय भुगतान अदा करना होगा. क्रेडिट कार्ड खाता बंद करने के बाद क्रेडिट कार्ड खातों में उपलब्ध कोई भी क्रेडिट शेष कार्डधारक के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें-रिजर्व बैंक ने TCPSL पर दो करोड़, ATPL पर 54.93 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बिना पूर्व सहमति के ग्राहकों को क्रे़डिट कार्ड जारी करने या अपग्रेड करने के लिए बैंकों के लिए दंड का प्रावधान किया है. इसको ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को नियंत्रित करने वाले नियमों में भारी बदलाव किया है. इसने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए नियामक की पूर्व मंजूरी के साथ क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए एक विंडो भी खोली है. नियामक ने बैंकों से कहा है कि ऋण के मूलधन में अतिदेय ब्याज को समायोजित नहीं किया जाना चाहिए जिससे ऋणात्मक परिशोधन होता है. बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि ब्याज की चक्रवृद्धि के लिए हिडन शुल्क और लेवी को ब्याज में समायोजित नहीं किया जाए.

आरबीआई के नए निर्देश सभी अनुसूचित बैंकों और एनबीएफसी पर 01 जुलाई, 2022 से प्रभावी होंगे. 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक की कुल संपत्ति वाले बैंकों को क्रेडिट कार्ड व्यवसाय या तो स्वतंत्र रूप से या अन्य कार्ड जारी करने वाले बैंक/एनबीएफसी के साथ टाई-अप व्यवस्था में करने की अनुमति है. कम से कम 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और एक कोर बैंकिंग समाधान भी आरबीआई की मंजूरी के बाद ही क्रेडिट कार्ड जारी कर सकते हैं. एनबीएफसी को 100 करोड़ रुपये के न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व वाले फंड के साथ वास्तविक या भौतिक रूप से क्रेडिट, डेबिट या चार्ज कार्ड जारी करने के लिए आरबीआई की विशेष अनुमति लेनी आवश्यकता होगी.

आरबीआई ने इस तरह के बिना सहमति के जारी किए गए कार्ड से उत्पन्न होने वाली किसी भी देनदारी के लिए बैंकों को दोषी माना है. आरबीआई ने कहा हे कि यदि कोई बैंक अवांछित कार्ड जारी करता है या मौजूदा कार्ड को कस्टमर की सहमति के बिना अपग्रेड और सक्रिय करता है. भविष्य में उसके लिए कस्टमर को बिल भेजता है तो कार्ड-जारीकर्ता बैंक या संस्थान को न केवल शुल्क वापस करना होगा बल्कि अविलंब जुर्माने के रूप में कस्टमर को दोगुना भुगतान करना होगा. इसके अलावा कस्टमर अपने समय की हानि व उसके द्वारा किए गए खर्च, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए कार्ड जारी किए बैंक के खिलाफ बैंकिंग लोकपाल से इसकी शिकायत कर सकता है.

केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि ऐसे अवांछित कार्डों के दुरुपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी केवल कार्ड जारीकर्ता की होगी. जिस व्यक्ति के नाम पर कार्ड जारी किया गया है वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा. कार्ड-जारीकर्ता क्रेडिट कार्ड को सक्रिय करने के लिए कार्डधारक से वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आधारित सहमति मांगेंगे. कार्ड जारी करने की तारीख से 30 दिनों से अधिक समय तक ग्राहक द्वारा सक्रिय नहीं किया गया है या इसके लिए कोई सहमति प्राप्त नहीं होती है. तब बैंक कार्ड को सक्रिय करते हुए, कार्ड-जारीकर्ता ग्राहक से कंफर्म करने की तारीख से सात कार्य दिवसों के भीतर ग्राहक का बिना किसी लागत के क्रेडिट कार्ड खाता बंद कर देंगे.

आरबीआई ने बैंकों को कार्ड के सक्रिय होने से पहले क्रेडिट सूचना कंपनियों के साथ कोई भी जानकारी साझा करने से भी मना किया है. साथ ही ऐसे निष्क्रिय क्रेडिट कार्ड से संबंधित किसी भी क्रेडिट जानकारी यदि बैंक ने पहले से ही शेयर किया है तो बैंक उसे अविलंब वापस लें. कार्ड-जारीकर्ता के प्रतिनिधि केवल सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहकों से संपर्क कर सकते हैं. बैंकों को क्रेडिट कार्ड बंद करने के अनुरोध का सम्मान करना होगा, ईमेल, एसएमएस आदि के माध्यम से ग्राहक को तुरंत बंद करने की सूचना देनी होगी. बैंकों को ग्राहकों को हेल्पलाइन, समर्पित ईमेल-आईडी, इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआर) जैसी सुविधाएं प्रमुखता से देने होंगे. अपने कार्ड बंद करने के लिए वेबसाइट, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल-ऐप या किसी अन्य मोड पर दिखाई देने वाली लिंक और किसी भी चैनल पर क्लिक के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

यदि कार्ड जारी करने वाले बैंक सात कार्य दिवसों के भीतर क्रे़डिट कार्ड को बंद करने में विफल रहती है तो बैंक को 500 रुपये प्रति दिन जुर्माना के रूप में उस कस्टमर को देना होगा. जब तक कि खाता बंद नहीं किया जाता है बशर्ते कि खाते को उपर कोई बकाया न हो. यदि कस्टमर ने अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग एक वर्ष से अधिक की अवधि में नहीं किया है तो बैंक कस्टमर को सूचित करके कार्ड बंद करने की प्रक्रिया शुरू करेगी. यदि कस्टमर से 30 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है तो बैंक के लिए कस्टमर का कार्ड बंद करना अनिवार्य होगा. हालांकि कस्टमर को उस कार्ड पर देय भुगतान अदा करना होगा. क्रेडिट कार्ड खाता बंद करने के बाद क्रेडिट कार्ड खातों में उपलब्ध कोई भी क्रेडिट शेष कार्डधारक के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें-रिजर्व बैंक ने TCPSL पर दो करोड़, ATPL पर 54.93 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

Last Updated : Apr 22, 2022, 2:41 PM IST
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