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RBI ने रेपो दर 0.40 प्रतिशत बढ़ाई, कर्ज होगा महंगा - आरबीआई न्यूज़

आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि एमपीसी ने तत्काल प्रभाव से नीतिगत रेपो दरों में 40 बीपीएस की वृद्धि के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया है.

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आरबीआई गर्वनर
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Published : May 4, 2022, 12:45 PM IST

Updated : May 4, 2022, 3:41 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया. मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है. इस कदम से कंपनियों और लोगों के लिये कर्ज लेना महंगा होगा. खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बिना तय कार्यक्रम के बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया. इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी. सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है. नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी. यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली वृद्धि है. इसी तरह यह पहला उदाहरण है, जब एमपीसी ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं. रेपो वह दर है जिस पर बैंक तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये आरबीआई से कर्ज लेते हैं.

  • MPC votes unannimously to increase policy repo rates by 40 bps with immediate effect: RBI Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/JWM6ZwKTo3

    — ANI (@ANI) May 4, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया. दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है. दास ने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. अप्रैल महीने में भी इसके ऊंचे रहने की संभावना है. मार्च महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रही थी. इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के 22 मई, 2020 को रेपो दर में संशोधन किया था. इसके तहत मांग बढ़ाने के इरादे से रेपो दर को घटाकर अबतक के सबसे निचले स्तर चार प्रतिशत पर लाया गया था.

यह घोषणा रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों की 595वीं बैठक के कुछ दिन बाद हुई है. सोमवार को केंद्रीय निदेशक मंडल ने एमपीसी के सदस्य के रूप में राजीव रंजन की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी. रंजन ने मृदुल सागर का स्थान लिया जो 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए. रंजन एमपीसी के तीसरे आतंरिक सदस्य (पदेन) हैं. मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक समीक्षा बैठक 6-8 जून को होनी है.

पढ़ें- रेपो रेट में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं, रेपो दर 4% पर बरकरार, महंगाई बढ़ी

पहले ही रेपो रेट बढ़ाने के भी कयास लगाए जा रहे थे. हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई- Reserve Bank Of India) ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (First monetary review meeting of the current financial year) में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा था. नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं.

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को घटा दिया जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को बरकरार रखने के लिए केंद्रीय बैंक अपने नरम रुख में थोड़ा बदलाव करेगा.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया. मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है. इस कदम से कंपनियों और लोगों के लिये कर्ज लेना महंगा होगा. खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बिना तय कार्यक्रम के बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया. इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी. सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है. नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी. यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली वृद्धि है. इसी तरह यह पहला उदाहरण है, जब एमपीसी ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं. रेपो वह दर है जिस पर बैंक तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये आरबीआई से कर्ज लेते हैं.

  • MPC votes unannimously to increase policy repo rates by 40 bps with immediate effect: RBI Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/JWM6ZwKTo3

    — ANI (@ANI) May 4, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया. दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है. दास ने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. अप्रैल महीने में भी इसके ऊंचे रहने की संभावना है. मार्च महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रही थी. इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के 22 मई, 2020 को रेपो दर में संशोधन किया था. इसके तहत मांग बढ़ाने के इरादे से रेपो दर को घटाकर अबतक के सबसे निचले स्तर चार प्रतिशत पर लाया गया था.

यह घोषणा रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों की 595वीं बैठक के कुछ दिन बाद हुई है. सोमवार को केंद्रीय निदेशक मंडल ने एमपीसी के सदस्य के रूप में राजीव रंजन की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी. रंजन ने मृदुल सागर का स्थान लिया जो 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए. रंजन एमपीसी के तीसरे आतंरिक सदस्य (पदेन) हैं. मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक समीक्षा बैठक 6-8 जून को होनी है.

पढ़ें- रेपो रेट में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं, रेपो दर 4% पर बरकरार, महंगाई बढ़ी

पहले ही रेपो रेट बढ़ाने के भी कयास लगाए जा रहे थे. हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई- Reserve Bank Of India) ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (First monetary review meeting of the current financial year) में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा था. नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं.

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को घटा दिया जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को बरकरार रखने के लिए केंद्रीय बैंक अपने नरम रुख में थोड़ा बदलाव करेगा.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : May 4, 2022, 3:41 PM IST
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