मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक इस बात की जांच कर रहा है कि क्या गूगल और अमेजन द्वारा स्वीकार की जा रही जमा तय कानूनों और नियमनों के तहत है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है. गूगलपे और अमेजन दोनों ने ऋणदाताओं के साथ भागीदारी में अपने मोबाइल फोन ऐप के जरिये जमा स्वीकार करने की घोषणा की है.
राव ने संवाददाताओं से कहा, 'हम नियामकीय प्रभाव की दृष्टि से इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं, यह जांच मौजूदा कानूनों और नियमनों के परिप्रेक्ष्य में की जा रही है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां उतर रही है। इस घटनाक्रम ने दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों का ध्यान खींचा है.
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इस साल जून में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को मंजूरी देने को लेकर आगाह किया था. रिजर्व बैंक ने कहा था कि इससे वित्तीय समावेशन को तो बढ़ावा मिलेगा. लेकिन इसके साथ ही बैंकों के साथ समान अवसर, परिचालन के जोखिम, विश्वास हनन नियमों, साइबर सुरक्षा और आंकड़ों की निजता का मुद्दा भी आएगा। रिजर्व बैंक द्वारा सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर चिंता जताए जाने के बाद गूगलपे और अमेजन दोनों ने जमा के संग्रह के लिए बैंकों के साथ भागीदारी की घोषणा की थी. अमेजन पे इंडिया ने कुवेराडॉटइन से तथा गूगलपे ने इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक से जमा के लिए करार किया है.
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(इनपुट-भाषा)