ETV Bharat / bharat

वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी कंपनियों की उपस्थिति की जांच कर रहे हैं: रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर

author img

By

Published : Oct 8, 2021, 7:17 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक इस बात की जांच कर रहा है कि क्या गूगल और अमेजन द्वारा स्वीकार की जा रही जमा तय कानूनों और नियमनों के तहत है.

रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर
रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक इस बात की जांच कर रहा है कि क्या गूगल और अमेजन द्वारा स्वीकार की जा रही जमा तय कानूनों और नियमनों के तहत है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है. गूगलपे और अमेजन दोनों ने ऋणदाताओं के साथ भागीदारी में अपने मोबाइल फोन ऐप के जरिये जमा स्वीकार करने की घोषणा की है.

राव ने संवाददाताओं से कहा, 'हम नियामकीय प्रभाव की दृष्टि से इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं, यह जांच मौजूदा कानूनों और नियमनों के परिप्रेक्ष्य में की जा रही है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां उतर रही है। इस घटनाक्रम ने दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों का ध्यान खींचा है.

ये भी पढ़ें: 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाना असंभव : रंगराजन

इस साल जून में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को मंजूरी देने को लेकर आगाह किया था. रिजर्व बैंक ने कहा था कि इससे वित्तीय समावेशन को तो बढ़ावा मिलेगा. लेकिन इसके साथ ही बैंकों के साथ समान अवसर, परिचालन के जोखिम, विश्वास हनन नियमों, साइबर सुरक्षा और आंकड़ों की निजता का मुद्दा भी आएगा। रिजर्व बैंक द्वारा सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर चिंता जताए जाने के बाद गूगलपे और अमेजन दोनों ने जमा के संग्रह के लिए बैंकों के साथ भागीदारी की घोषणा की थी. अमेजन पे इंडिया ने कुवेराडॉटइन से तथा गूगलपे ने इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक से जमा के लिए करार किया है.

ये भी पढ़ें: नोबेल शांति पुरस्कार : मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को मिला सम्मान

(इनपुट-भाषा)

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक इस बात की जांच कर रहा है कि क्या गूगल और अमेजन द्वारा स्वीकार की जा रही जमा तय कानूनों और नियमनों के तहत है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है. गूगलपे और अमेजन दोनों ने ऋणदाताओं के साथ भागीदारी में अपने मोबाइल फोन ऐप के जरिये जमा स्वीकार करने की घोषणा की है.

राव ने संवाददाताओं से कहा, 'हम नियामकीय प्रभाव की दृष्टि से इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं, यह जांच मौजूदा कानूनों और नियमनों के परिप्रेक्ष्य में की जा रही है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां उतर रही है। इस घटनाक्रम ने दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों का ध्यान खींचा है.

ये भी पढ़ें: 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाना असंभव : रंगराजन

इस साल जून में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को मंजूरी देने को लेकर आगाह किया था. रिजर्व बैंक ने कहा था कि इससे वित्तीय समावेशन को तो बढ़ावा मिलेगा. लेकिन इसके साथ ही बैंकों के साथ समान अवसर, परिचालन के जोखिम, विश्वास हनन नियमों, साइबर सुरक्षा और आंकड़ों की निजता का मुद्दा भी आएगा। रिजर्व बैंक द्वारा सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर चिंता जताए जाने के बाद गूगलपे और अमेजन दोनों ने जमा के संग्रह के लिए बैंकों के साथ भागीदारी की घोषणा की थी. अमेजन पे इंडिया ने कुवेराडॉटइन से तथा गूगलपे ने इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक से जमा के लिए करार किया है.

ये भी पढ़ें: नोबेल शांति पुरस्कार : मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को मिला सम्मान

(इनपुट-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.