रवि प्रदोष व्रत : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब रविवार के दिन प्रदोष व्रत होता है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार आते हैं. प्रदोष का व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता और संतान-सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है.प्रदोष व्रत शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, इस बार 30 जुलाई 2023 को Ravi Pradosh Vrat है. वैसे तो प्रदोष व्रत 1 साल में चौबीस बार आते हैं, लेकिन जिस वर्ष अधिक मास या मलमास होता है तब प्रदोष व्रत की संख्या बढ़ जाती है और कुल 26 प्रदोष व्रत होते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व : Ravi Pradosh Vrat Significance
भगवान शिव की पूजा के लिए सावन का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है और अधिक मास या मलमास होने से प्रदोष व्रत का महत्व बढ़ जाता है. दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व अलग-अलग होता है, इस बार का प्रदोष व्रत रविवार को पड़ने से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित है.यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह का प्रभाव कमजोर है या खराब प्रभाव है तो उसको रवि प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए, जिस कारण उसे भगवान सूर्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा. भगवान शिव भगवान शिव चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं इसलिए किसी भी प्रदोष व्रत को करने से भगवान चंद्र देव का आशीर्वाद स्वत: ही प्राप्त हो जाता है.प्रदोष व्रत का नियम पूर्वक पालन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं नवग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में धन धान्य मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं Ravi Pradosh Vrat का शुभ मुहूर्त...
- सावन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभ: 30 जुलाई 2023 रविवार सुबह 10:35 बजे.
- त्रयोदशी समाप्त: 31 जुलाई शाम 07 : 25 बजे.
- प्रदोष व्रत रविवार 30 जुलाई 2023 को है.
ऐसे करें प्रदोष व्रत की पूजा
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक, जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक करने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है.
- खासतौर से सावन में प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव का पूजन-अर्चन,अभिषेक अथवा रुद्राभिषेक करने का पुण्य कई गुना तक बढ़ जाता है.
- इस दिन सुबह उठकर स्नान करें, उसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं और हाथ में अक्षत लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लें.
- उसके बाद किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान की पूजा-अर्चना,जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक और आरती करें.
- पूरे दिन निराहार व्रत रहे और जहां तक संभव हो लगातार ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहे.
- भगवान भगवान शिव का दूध, दही, गंगाजल आदि से अभिषेक करें, भांग,बेलपत्र, धतूरा, नैवेद्य आदि भगवान शिव को अर्पित करें.
- इसके साथ ही भगवान शिव के परिवार और नंदीगढ़ नंदीगण आदि की भी पूजा करें. Ravi Pradosh Vrat की कथा पढ़ें अथवा सुने और फिर उसके बाद आरती करें.