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पुरी रथयात्रा: 'नवयौवन' पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़ - Rath Yatra 2022

पुरी स्थित श्री मंदिर में अणसरा गृह में 14 दिनों के आराम के बाद भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा और सुदर्शन के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं.

Rath Yatra 2022
पुरी रथयात्रा
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Published : Jun 29, 2022, 5:53 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 11:04 PM IST

पुरी: ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी में स्थापित श्री मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने बुधवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के 'नवयौवन' स्वरूप के दर्शन किए. श्रद्धालुओं ने करीब दो साल के बाद भगवान के इस स्वरूप के दर्शन किए क्योंकि कोविड-19 महामारी की वजह से श्रद्धालुओं के एकत्रित होने पर पाबंदियां लागू थीं. राज्य सरकार ने कोविड-19 के मामलों में कमी आने के बाद लोगों को मंदिर में आने की अनुमति दी है.

'नवयौवन' पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

परंपरा के अनुसार भगवान पूर्णिमा के स्नान के बाद से मंदिर के 'अणसर गृह' (अस्वस्थ होने पर जिस कक्ष में रखा जाता है) में रहते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान स्नान के बाद हुए ज्वर से मुक्त होने के बाद युवा दिखते हैं. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) द्वारा जारी समय सारिणी के अनुसार परिमाणिक (भुगतान) दर्शन सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच मंदिर खुलने के बाद हुए. इसके बाद सुबह नौ बजे से साढ़े दस बजे तक आम श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई.

एसजेटीए के मुताबिक आम श्रद्धालु उपराह्न दो से तीन बजे, फिर शाम को छह से साढ़े छह बजे, रात नौ से साढ़े 10 बजे और फिर देर रात साढ़े ग्यारह से रात साढ़े बारह बजे तक भगवान के दर्शन कर सकते हैं. मंदिर प्रशासन के मुताबिक 30 जून को 'उभा यात्रा' (रथ यात्रा से पहले की यात्रा) होगी. इस साल पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा एक जुलाई को होगी.

बता दें कि अणसरा गृह में 14 दिनों के आराम के बाद भगवान श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा और सुदर्शन के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं. इसके पहले भगवान को बुखार से उबरने के राजवैद्य राजा दिव्यसिंह देव द्वारा सुझाव दिया गया उपचार दिया जाता है जिसमें फुलूरी औषधीय तेल और दसमुला शामिल होता है.

यह भी पढ़ें- नवयौवन दर्शन के लिए खुलेंगे श्री जगन्नाथ मंदिर के कपाट, जानें दर्शन का समय

पुरी: ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी में स्थापित श्री मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने बुधवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के 'नवयौवन' स्वरूप के दर्शन किए. श्रद्धालुओं ने करीब दो साल के बाद भगवान के इस स्वरूप के दर्शन किए क्योंकि कोविड-19 महामारी की वजह से श्रद्धालुओं के एकत्रित होने पर पाबंदियां लागू थीं. राज्य सरकार ने कोविड-19 के मामलों में कमी आने के बाद लोगों को मंदिर में आने की अनुमति दी है.

'नवयौवन' पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

परंपरा के अनुसार भगवान पूर्णिमा के स्नान के बाद से मंदिर के 'अणसर गृह' (अस्वस्थ होने पर जिस कक्ष में रखा जाता है) में रहते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान स्नान के बाद हुए ज्वर से मुक्त होने के बाद युवा दिखते हैं. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) द्वारा जारी समय सारिणी के अनुसार परिमाणिक (भुगतान) दर्शन सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच मंदिर खुलने के बाद हुए. इसके बाद सुबह नौ बजे से साढ़े दस बजे तक आम श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई.

एसजेटीए के मुताबिक आम श्रद्धालु उपराह्न दो से तीन बजे, फिर शाम को छह से साढ़े छह बजे, रात नौ से साढ़े 10 बजे और फिर देर रात साढ़े ग्यारह से रात साढ़े बारह बजे तक भगवान के दर्शन कर सकते हैं. मंदिर प्रशासन के मुताबिक 30 जून को 'उभा यात्रा' (रथ यात्रा से पहले की यात्रा) होगी. इस साल पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा एक जुलाई को होगी.

बता दें कि अणसरा गृह में 14 दिनों के आराम के बाद भगवान श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा और सुदर्शन के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं. इसके पहले भगवान को बुखार से उबरने के राजवैद्य राजा दिव्यसिंह देव द्वारा सुझाव दिया गया उपचार दिया जाता है जिसमें फुलूरी औषधीय तेल और दसमुला शामिल होता है.

यह भी पढ़ें- नवयौवन दर्शन के लिए खुलेंगे श्री जगन्नाथ मंदिर के कपाट, जानें दर्शन का समय

Last Updated : Jun 30, 2022, 11:04 PM IST
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