जयपुर: राजस्थान का झालाना लेपर्ड रिजर्व पार्क (Jhalana Leopard Reserve) इन दिनों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है. ये रिजर्व पार्क पर्यटकों के साथ ही जीव-जंतुओं के लिए भी पसंदीदा स्पॉट बन गया है. रिजर्व में ग्रासलैंड डेवलपमेंट का असर देखने को मिल रहा है.
लेपर्ड रिजर्व में पहली बार यूरेशियन मार्श हैरियर बर्ड (marsh harrier) को देखा गया है. झालाना के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी और वन कर्मचारियों के प्रयास रंग ला रहे हैं. वाइल्ड लाइफर डॉ. महेश बगड़ी ने दुर्लभ प्रजाति की बर्ड यूरेशियन मार्श हैरियर को अपने कैमरे में कैद किया है.
शहर के बीच बसे झालाना लेपर्ड रिजर्व की खास पहचान बन चुकी है. यहां पर आम पर्यटकों के अलावा बड़ी सेलिब्रिटी और वाइल्ड लाइफर भी पहुंचते हैं. झालाना लेपर्ड रिजर्व वन्यजीवों से गुलजार हो रहा है. रिजर्व में सफारी (Safari in Jhalana) के दौरान वन्यजीव प्रेमियों को लेपर्ड, सियार, जरख, नीलगाय समेत विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने को मिलते हैं. यहां ग्रासलैंड डेवलप होने से कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का भी आना शुरू हो गया है.
पहली बार देखी गई यूरेशियन मार्श हैरियर
झालाना में शिकारी पक्षी यूरेशियन मार्श हैरियर पहली बार देखा गया है. यह पक्षी आमतौर पर ग्रास लैंड एरिया में ही देखने को मिलता है. पक्षी प्रेमियों की माने तो प्रवासी पक्षी यूरेशियन मार्श हैरियर यहां ग्रास लैंड की वजह से रुक सकता है. इससे पहले भी झालाना में कई प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं.
झालाना में देखे गए पक्षी
झालाना लेपर्ड रिजर्व में यूरेशियन मार्श हैरियर, वाइट आई बजर्ड, सिकरा, गोल्डन ओरियल, पाइड कुकू, पेरेडाईल फ्लाई कैचर, यूरोपियन रोलर, इंडियन रोलर, स्केली बस्टर्ड मुनिया समेत विभिन्न प्रजातियों के बर्ड्स दिखाई दे चुके हैं. बर्ड्स एक्सपर्ट्स की मानें तो ग्रास लैंड एरिया पक्षियों को काफी पसंद आता है. इसलिए झालाना लेपर्ड रिजर्व में डेवलप की गई ग्रास लैंड पक्षियों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है.
45 हेक्टेयर में डेवलप की गई ग्रासलैंड
वन विभाग के डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि झालाना जंगल में करीब 45 हेक्टेयर ग्रास लैंड डेवलप की गई है. ग्रास लैंड डेवलपमेंट के बाद धीरे-धीरे शाकाहारी वन्यजीवो की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही पक्षियों की प्रजातियां भी बढ़ने लगी है. कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी झालाना में पहुंचने लगे हैं. ग्रास लैंड डेवलप होने से पक्षियों को भी पर्याप्त भोजन मिल पा रहा है.
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बायोडायवर्सिटी के रूप में महत्वपूर्ण है ग्रास लैंड
डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि कुछ ग्रास लैंड बर्ड्स होते है, जो घास पर बैठना पसंद करते हैं. यह पक्षी जमीन पर ही अंडे देते हैं. ग्रास लैंड होने से जमीन पर अंडे देने वाले पक्षियों के अंडे सुरक्षित रहते हैं. अगर ग्रास लैंड नहीं हो तो दूसरे एनिमल्स पक्षियों के अंडों को नष्ट कर देते हैं. ग्रास लैंड डेवलप होने से पक्षियों के अंडे भी सुरक्षित रहते हैं. बायोडायवर्सिटी के रूप में ग्रास लैंड बहुत इंपॉर्टेंट है.
पक्षियों के लिए ग्रास लैंड के साथ-साथ फलदार पौधे भी विकसित
वन कर्मचारी विकास मीणा बताया कि झालाना लेपर्ड रिजर्व में विकसित की गई ग्रास लैंड के काफी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. ग्रास लैंड पशु पक्षियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती जा रही है. यह ग्रास लैंड डेवलप होने का ही नतीजा है कि झालाना में पहली बार दुर्लभ प्रजाति के पक्षी देखने को मिली है. विकास मीणा ने बताया कि झालाना जंगल में पक्षियों के लिए ग्रास लैंड के साथ-साथ फलदार पौधे भी विकसित गए हैं.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ), डीसीएफ, एसीएफ और रेंजर के निर्देशन में लगातार झालाना को विकसित किया जा रहा है. ग्रास लैंड डवलप होने से पारिस्थितिकी तंत्र भी अच्छे से चलता है. ग्रास लैंड से शाकाहारी वन्यजीवों की तादाद बढ़ रही है, जिससे लेपर्ड को भी अच्छा भोजन मिल पा रहा है. ग्रास लैंड में काफी पक्षी देखने को मिल रहे हैं.
ग्रास लैंड से जंगल का नजारा भी लगता है सुंदर
वाइल्ड लाइफर सुमित जुनेजा ने बताया कि झालाना जंगल में धामन प्रजाति की ग्रास लैंड डेवलप की गई है. ग्रास लैंड होने से जंगल का नजारा भी काफी सुंदर लगता है. जब भी कोई पर्यटक आता है तो जंगल का माहौल देखता है, जो कि काफी बेहतरीन हो चुका है. बहुत सारी ऐसी बर्ड्स की प्रजातियां हैं, जो पहली बार झालाना में देखी गई है. ऐसे कई विदेशी माइग्रेटर बर्ड्स भी है, जो झालाना में आना शुरू हो गए है. वन विभाग ने झालाना में फलदार पौधों का भी प्लांटेशन किया है, जो कि पक्षियों के लिए काफी फायदेमंद है.
झालाना में बढ़ रहा बघेरों का कुनबा
झालाना जंगल में बघेरों (panthers in Jhalana) का कुनबा बढ़ रहा है. साल 2021 में नए शावकों का जन्म हुआ है. झालाना लेपर्ड रिजर्व की शुरुआत के समय यहां करीब 20 लेपर्ड थे. जिनकी संख्या बढ़कर अब करीब 40 से अधिक हो गई है. नए शावकों की अठखेलियां पर्यटकों को रोमांचित कर रही है.
झालाना जंगल में बघेरा यानी लेपर्ड्स का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की तरफ से भी विशेष इंतजाम किए गए हैं. यहां पर वन्यजीव के भोजन के लिए प्रेबेस बढ़ाने का भी लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही पानी के लिए जगह जगह पर वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. झालाना प्रबंधन ने जयपुर और आसपास के क्षेत्र में दखल दे रहे लेपर्डस को फिर से वनों तक सीमित करके उनके कुनबे में इजाफा करने में सफलता हासिल की है.