रायपुर : छत्तीसगढ़ जैव विविधता (Chhattisgarh Bio diversity) से भरे करीब 55 फीसदी वन्य क्षेत्र वाला राज्य है. कोरबा में जैव विविधता की संपन्नता का प्रमाण एक बार फिर मिला है. कोरबा के जंगलों में मध्य भारत के सबसे दुर्लभ जीवों में शुमार यूरेशियन ऑटर (eurasian otter) यानी ऊदबिलाव पाया गया. इस पूरे मामले में सबसे हैरानी वाली बात ये है कि किसी ग्रामीण ने इसे मछली फंसाने वाले जाल में पकड़ लिया और फिर इसका महज 100 रुपये में सौदा कर दिया. जिस ग्रामीण ने इसे खरीदा था, उसकी मंशा क्या थी, ये फिलहाल साफ नहीं हो सकी है, लेकिन ये पूरा मामला तब खुला, जब वह इस दुर्लभ जीव को लेकर निहारिका क्षेत्र की एक पेट (pet shop) शॉप में पहुंचा. उसने दुकानदार से कुत्तों को दी जाने वाली दस्त की दवा मांगी.
ये था पूरा मामला
बुधवार रात दो लोग निहारिका क्षेत्र में संचालित लीला पेट शॉप पहुंचे. जिसका संचालन आनंद सिंह करते हैं. आनंद से दो अनजान ग्रामीणों ने कहा कि कुत्ते को दूध पिलाया था, जिससे उसका पेट खराब हो गया है, इसलिए दस्त की दवा दे दें. जब ग्रामीणों ने उस जीव को दिखाया, तब आनंद को समझते देर नहीं लगी कि ये कुत्ते की प्रजाति नहीं है. आनंद ने इस जीव का वीडियो बनाया और विज्ञान सभा के अविनाश यादव को शेयर किया. विज्ञान सभा के अन्य सदस्यों ने इसकी सूचना वन विभाग तक पहुंचाई और फिर जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Zoological Survey of India) को तस्वीरें भेजी गईं. जहां से ये कंफर्म किया गया कि ये मध्य भारत के सबसे दुर्लभ जीवों में शुमार यूरेशियन ऑटर (ऊदबिलाव) है.
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दुकानदार को दे रहे थे 70 रुपये का चेक
जिन परिस्थितियों में ऊदबिलाव पाया गया है, उससे कई तरह के संदेह पैदा हो रहे हैं. जिन ग्रामीणों ने इसे 100 रुपये में खरीदा था, वो पेट शॉप (pet shop) के संचालक को दस्त की दवा के लिए 70 रुपये का चेक दे रहे थे. ग्रामीण कहां से आए थे, उन्हें ये जीव कहां से मिला, किस क्षेत्र में इसकी अधिकता है, इस दिशा में वन विभाग ने पड़ताल शुरू कर दी है. वन विभाग ये भी पता लगाने में जुटा हुआ है कि कहीं इस तरह के जीवों की खरीद-फरोख्त तो नहीं हो रही है ?
कोरबा में मिला बेहद दुर्लभ प्रजाति का ऊदबिलाव, वन विभाग ने शुरू की पड़ताल
क्या होता है यूरेशियन ऑटर ?
मध्य प्रदेश के बाद कोरबा में जलीव जीवन शैली वाला यह प्राणी भारत के उत्तरी ठंडे पहाड़ी इलाके और दक्षिण के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है. मध्य भारत में दूसरी बार कोरबा में इसे पाया गया है. जो ऊदबिलाव वर्तमान में पाया गया है, उसकी उम्र महज एक महीना है. इसलिए ये भी संभावना है कि इसके माता-पिता और पूरा परिवार भी आसपास ही मौजूद हो सकता है.
विलुप्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल है ऊदबिलाव
इसके पहले जून 2016 में मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एरिया (Satpura Tiger Reserve Area) में ऊदबिलाव मिला था. यूरेशियन ऑटर झील, नदियों जैसे स्थानों पर रहते हैं. गर्मियों के दिनों में ये हिमालय में 3,669 मीटर तक चढ़ जाते हैं. यह जीव लड़ाई के दौरान बिल्ली की तरह आवाज निकालने में भी सक्षम होते हैं. ये मुख्य रूप से यूरेशिया में (पश्चिम में आयरलैंड से लेकर पूर्वी रूस एवं चीन तक) पाए जाते हैं. इसके अलावा ये उत्तरी अफ्रीका (मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया) और मध्य पूर्व (इजरायल, जॉर्डन, इराक और ईरान) में भी पाए जाते हैं. ऊदबिलाव के अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में निकट संकट (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया है और इसे CITES की परिशिष्ट I (Appendix I) में रखा गया है. जबकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची II में रखा गया है.