जगदलपुर: नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में दुनिया के सबसे छोटे प्रजाति का माउस हिरणों का झुंड दिखा है. इनकी तस्वीर कांगेर वैली में लगाये गए ट्रैप कैमरे में कैद हुई है. माउस डियर की मौजूदगी से वन विभाग भी उत्साहित है और इसे नेशनल पार्क के लिए अच्छा संकेत मान रहा है.
कैमेरा ट्रेप में कैद हुई दुर्लभ तस्वीर: कांगेर वैली नेशनल पार्क प्रबंधन लगातर वन्यजीवों के संरक्षण का काम कर रहा है. यह कारण है बीते दिनों से लगातार दुर्लभ प्रजातियों के जीवों की मौजूदगी कांगेर वैली में देखने को मिल रही है. हाल ही में राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाति के माउस डियर की तस्वीर कैमेरा ट्रेप में कैद हुई है. नेशनल पार्क प्रबंधन स्थानीय युवाओं को पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में रोजगार उपलब्ध कराया है. इस वजह से लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कर वन्यजीवों के रहवास का संरक्षण किया जा रहा है.
माउस डियर सबसे छोटी प्रजाती: भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरणों के समूह में से एक है. भारतीय माउस डियर (Mosechiola indica) रहवास विषेश रूप से घने झाड़ियों और नमी वाले जंगलों में होता है. माउस डियर में चूहे- सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है. बिना सींग वाले हिरण का यह एकमात्र समूह है. माउस डियर शर्मीले मिजाज के होते हैं और रात में ही निकलते हैं. यही वजह है कि इन पर कोई विशेष रिसर्च नहीं हुआ है.
"कांगेर वैली नेशनल पार्क में ऐसे वन्यजीवों के लिए उपयुक्त रहवास है. राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन वन्य जीवों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है. जागरूकता अभियान के प्रयास और स्थानीय लोगों की सहभागिता से माउस डियर जैसी दुर्लभ प्रजातियों की वापसी देखी गई है. राज्य शासन के वन्यजीव संरक्षण का उद्देश साकार हो रहा है." -धम्मशील गणवीर, कांगेर वैली नेशनल पार्क के संचालक
माउस डियर पर मंडरा रहा खतरा: मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वनों में माउस डियर पाए जाते हैं. जंगलों में लगने वाली आग, बढ़ते हुए अतिक्रमण और शिकार के दबाव से भारतीय माउस डियर की आबादी को शायद गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में इन प्रजातियों को बचाने के प्रयास की जरूरत है.