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Rajasthan : चित्तौड़गढ़ के बेगूं क्षेत्र में नजर आए दुर्लभ अफ्रीकन इजिप्शियन गिद्ध समूह, इनकी घटती संख्या पर क्षेत्रीय वन अधिकारी ने कही ये बड़ी बात

चित्तौड़गढ़ के बेगूं क्षेत्र की आबो हवा इन दिनों इजिप्शियन गिद्धों को खासा रास आ रही है. यही वजह है कि ये अपने निर्धारित समयावधि से पहले ही यहां आ गए हैं.

Egyptian vulture group seen in Begun
Egyptian vulture group seen in Begun
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Published : Aug 12, 2023, 1:31 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 1:38 PM IST

बेगूं में नजर आए दुर्लभ अफ्रीकन इजिप्शियन गिद्ध समूह

चित्तौड़गढ़. जिले की आबो हवा सात समंदर पार पक्षियों को भी रास आने लगी है. यही वजह है कि इन दिनों जिले के बेगूं इलाके में इजिप्शियन गिद्धों का झुंड देखने को मिल रहा है. हालांकि ये अफ्रीका में पाए जाते हैं और इन्हें काफी दुर्लभ माना गया है. बेगूं के क्षेत्रीय वन अधिकारी मदनलाल धाकड़ ने इन दुर्लभ इजिप्शियन वल्चर के समूह को अपने कमरे में कैद किया. उन्होंने बताया कि तेजपुर रीको इंडस्ट्रीज एरिया में 6 इजिप्शियन वल्चर देखे गए हैं. इनमें काले रंग में नर और सफेद में मादा गिद्ध हैं. मूलत: इस प्रकार के वल्चर उत्तरी अफ्रीका में पाए जाते हैं. इसके अलावा इजिप्ट, मोरक्को और ट्यूनीशिया में भी इजिप्शियन वल्चर की अच्छी खासी आबादी है.

इस वजह से घट रही इनकी संख्या - उन्होंने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम नियोफरोन पर्कनोप्टेरस है. धाकड़ ने आगे बताया कि हमारे देश में गिद्धों की कुल 9 प्रजातियां हैं, जिनमें इजिप्शियन वल्चर प्रमुख है. इसे आईयूसीएन अर्थात इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने संकटग्रस्त पक्षियों की सूची में शामिल कर रखा है. भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत ये शेड्यूल 4 के प्राणी हैं. धाकड़ ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी कमी आई है. इसका मुख्य कारण पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवाएं हैं, जो मृत पशुओं को खाने से उनके शरीर में पहुंच जाती है और उनकी मौत हो जाती है.

इसे भी पढ़ें - जोधपुर लाया गया सिनेरियस गिद्ध ओखी, प्रवासी पक्षियों के अध्ययन में होगा उपयोगी

खुले में रहते हैं इजिप्शियन गिद्ध - क्षेत्रीय वन अधिकारी मदनलाल धाकड़ ने बताया कि इन्हें खुले में रहना पसंद आता है. खासकर चट्टानी और पठारी इलाकों में इनकी आबादी अधिक देखी गई है. इसका कारण यह है कि पठारी और चट्टानी क्षेत्रों में इनका मनपसंद भोजन मिल जाता है. मरे हुए मवेशियों के अलावा उनकी पसंद के शिकार भी आसानी से मिल जाते हैं. इसी कारण है कि ये इस प्रकार के एरिया में रहना अधिक पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि गाजियाबाद बेल्ट में भी इनकी अच्छी खासी संख्या पाई जाती है. वैसे विदेशी पक्षियों के आगमन का समय नवंबर माना जाता है, लेकिन पहली बार किसी विदेशी पक्षी को उससे पहले यहां देखा गया है.

बेगूं में नजर आए दुर्लभ अफ्रीकन इजिप्शियन गिद्ध समूह

चित्तौड़गढ़. जिले की आबो हवा सात समंदर पार पक्षियों को भी रास आने लगी है. यही वजह है कि इन दिनों जिले के बेगूं इलाके में इजिप्शियन गिद्धों का झुंड देखने को मिल रहा है. हालांकि ये अफ्रीका में पाए जाते हैं और इन्हें काफी दुर्लभ माना गया है. बेगूं के क्षेत्रीय वन अधिकारी मदनलाल धाकड़ ने इन दुर्लभ इजिप्शियन वल्चर के समूह को अपने कमरे में कैद किया. उन्होंने बताया कि तेजपुर रीको इंडस्ट्रीज एरिया में 6 इजिप्शियन वल्चर देखे गए हैं. इनमें काले रंग में नर और सफेद में मादा गिद्ध हैं. मूलत: इस प्रकार के वल्चर उत्तरी अफ्रीका में पाए जाते हैं. इसके अलावा इजिप्ट, मोरक्को और ट्यूनीशिया में भी इजिप्शियन वल्चर की अच्छी खासी आबादी है.

इस वजह से घट रही इनकी संख्या - उन्होंने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम नियोफरोन पर्कनोप्टेरस है. धाकड़ ने आगे बताया कि हमारे देश में गिद्धों की कुल 9 प्रजातियां हैं, जिनमें इजिप्शियन वल्चर प्रमुख है. इसे आईयूसीएन अर्थात इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने संकटग्रस्त पक्षियों की सूची में शामिल कर रखा है. भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत ये शेड्यूल 4 के प्राणी हैं. धाकड़ ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी कमी आई है. इसका मुख्य कारण पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवाएं हैं, जो मृत पशुओं को खाने से उनके शरीर में पहुंच जाती है और उनकी मौत हो जाती है.

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खुले में रहते हैं इजिप्शियन गिद्ध - क्षेत्रीय वन अधिकारी मदनलाल धाकड़ ने बताया कि इन्हें खुले में रहना पसंद आता है. खासकर चट्टानी और पठारी इलाकों में इनकी आबादी अधिक देखी गई है. इसका कारण यह है कि पठारी और चट्टानी क्षेत्रों में इनका मनपसंद भोजन मिल जाता है. मरे हुए मवेशियों के अलावा उनकी पसंद के शिकार भी आसानी से मिल जाते हैं. इसी कारण है कि ये इस प्रकार के एरिया में रहना अधिक पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि गाजियाबाद बेल्ट में भी इनकी अच्छी खासी संख्या पाई जाती है. वैसे विदेशी पक्षियों के आगमन का समय नवंबर माना जाता है, लेकिन पहली बार किसी विदेशी पक्षी को उससे पहले यहां देखा गया है.

Last Updated : Aug 12, 2023, 1:38 PM IST
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