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भविष्य के लिए खतरा हो सकती हैं ग्लेशियर झीलें, उच्च हिमालई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही संख्या

lakes growing in glaciers उच्च हिमालई क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियरों में झीलें बढ़ती जा रही हैं. वैज्ञानिक ग्लेशियरों में बढ़ती झीलों और उसके आकार को भविष्य के लिए खतरनाक बता रहे हैं. ऐसे में इन झीलों पर नजर रखने के लिए सेटेलाइट इमेज के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
भविष्य के लिए खतरा हो सकती हैं ग्लेशियर झीलें,
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2023, 4:46 PM IST

Updated : Sep 3, 2023, 10:09 PM IST

भविष्य के लिए खतरा हो सकती हैं ग्लेशियर झीलें

देहरादून: उच्च हिमालई क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. लगातार हो रहे क्लाइमेट चेंज की वजह से एक ओर ग्लेशियर में मौजूद झीलों का आकार बढ़ रहा है, वहीं, दूसरी ओर नई-नई झीलें भी बन रही हैं. लगातार बढ़ रही ग्लेशियर झीलों का आकार, भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है. अगर ये ग्लेशियर लेक कभी टूटे तो बड़ी तबाही मचेगी. वैज्ञानिकों के अनुसार गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में मौजूद कुछ झीलों का आकार लगातार बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
पिघलते ग्लेशियर

झीलों के बढ़ने के तीन कारण : उत्तराखंड रीजन में करीब एक हजार ग्लेशियर हैं. इन ग्लेशियर में करीब 1400 से 1500 ग्लेशियर झील मौजूद हैं. ग्लेशियर में किसी जगह पर पानी के एकत्र होने को ही ग्लेशियर झील कहते हैं. ग्लेशियर झील में पानी बढ़ने के मुख्य रूप में तीन कारण होते हैं. जिसमें मुख्य कारण ग्लेशियर के पिघलने के कारण जमा पानी होता है. दूसरा कारण स्नो फॉल है. तीसरा कारण बारिश है. इन तीनों ही वजहों से झीलों का आकार बढ़ता है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलों के प्रकार

पढ़ें- उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों से खतरा नहीं! ये लेक मचाते हैं तबाही

सेटेलाइट इमेज के जरिए हो रही मॉनिटरिंग: ग्लेशियर में मौजूद झीलों की सेटेलाइट इमेज के जरिए मॉनिटरिंग की जाती है. वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया सेटेलाइट इमेज के जरिए की जा रही मॉनिटरिंग से लेक की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. साथ ही झील में पानी की मात्रा को भी आंका जाता है. झील के चारों तरफ जो वॉल होती है वो किसी हार्ड मटेरियल की नहीं बल्कि लूज मटेरियल से बनी होती है. यही वजह है कि जब भी झील में पानी का दबाव बढ़ता तो ये वॉल टूट जाती है. जिसको देखते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ग्लेशियर में मौजूद ग्लेशियर झीलों का अध्ययन कर रहा है. इस अध्यन में झीलों में पानी की मात्रा के साथ ही झील की वॉल की क्षमता का भी पता चल सकेगा.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलें

पढ़ें- केदारनाथ पैदल मार्ग पर मुसीबत बने ग्लेशियर प्वाइंट, मॉनसून से पहले ही बढ़ी मुश्किलें

भूकंप से ग्लेशियर झील की वॉल पर पड़ता है असर: वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया वॉल की क्षमता से अधिक पानी झील में एकत्र होता है, तो वह टूट जाएगा. जिससे नीचे रहने वाले लोगों या फिर पावर प्रोजेक्ट्स और विकास कार्यों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. यही नहीं, ग्लेशियर झील के वॉल के टूटने में भूकंप भी एक बड़ा रोल अदा करता है. भूकंप आने से झील की वॉल पर कई बार दरारें पड़ जाती हैं. जिसके कारण इससे पानी रिसने लगता है, जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलें

पढ़ें- 2013 की आपदा से सबक, सभी ग्लेशियर झीलों पर लगेंगे वेदर सेंसर, हर गतिविधि पर रहेगी पैनी नजर


ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रही लेक: ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं. ऐसे में ग्लेशियर के लगातार पिघलने के चलते ग्लेशियर में झील बने की घटना भी अधिक हो रही है. इसके अलावा क्लाइमेट चेंज होने की वजह से कई बार उच्च हिमालय क्षेत्र पर बहुत अधिक बर्फबारी होती है, लिहाजा गर्मियों के मौसम में बर्फ पिघलती है. जिसके चलते ग्लेशियर पर झील बढ़ने लगती है. वर्तमान समय में ग्लेशियर में झीलें बढ़ रही हैं. यही नहीं, इन सभी फैक्टर्स की वजह से न सिर्फ नए-नए झीलें बन रहे हैं बल्कि पहले से मौजूद झीलों के आकार में भी बढ़ोतरी हो रही है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियलरों की स्थिति

पढ़ें- एशिया के वाटर टावर हिमालय को हीट वेव से खतरा, जानें वजह


गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में बढ़ रहा है ग्लेशियर झीलों का आकार: वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में काम करने के लिए आपदा विभाग से प्रोजेक्ट्स लिया था. जिसके अध्ययन में पता चला है कि इन दोनों बेसिन की कुछ झीलों का आकार बढ़ रहा है. इन झीलों का आकार धीमी गति से बढ़ रहा है. गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में मौजूद किसी भी लेक की अभी टूटने की संभावना नहीं है.

भविष्य के लिए खतरा हो सकती हैं ग्लेशियर झीलें

देहरादून: उच्च हिमालई क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. लगातार हो रहे क्लाइमेट चेंज की वजह से एक ओर ग्लेशियर में मौजूद झीलों का आकार बढ़ रहा है, वहीं, दूसरी ओर नई-नई झीलें भी बन रही हैं. लगातार बढ़ रही ग्लेशियर झीलों का आकार, भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है. अगर ये ग्लेशियर लेक कभी टूटे तो बड़ी तबाही मचेगी. वैज्ञानिकों के अनुसार गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में मौजूद कुछ झीलों का आकार लगातार बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
पिघलते ग्लेशियर

झीलों के बढ़ने के तीन कारण : उत्तराखंड रीजन में करीब एक हजार ग्लेशियर हैं. इन ग्लेशियर में करीब 1400 से 1500 ग्लेशियर झील मौजूद हैं. ग्लेशियर में किसी जगह पर पानी के एकत्र होने को ही ग्लेशियर झील कहते हैं. ग्लेशियर झील में पानी बढ़ने के मुख्य रूप में तीन कारण होते हैं. जिसमें मुख्य कारण ग्लेशियर के पिघलने के कारण जमा पानी होता है. दूसरा कारण स्नो फॉल है. तीसरा कारण बारिश है. इन तीनों ही वजहों से झीलों का आकार बढ़ता है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलों के प्रकार

पढ़ें- उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों से खतरा नहीं! ये लेक मचाते हैं तबाही

सेटेलाइट इमेज के जरिए हो रही मॉनिटरिंग: ग्लेशियर में मौजूद झीलों की सेटेलाइट इमेज के जरिए मॉनिटरिंग की जाती है. वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया सेटेलाइट इमेज के जरिए की जा रही मॉनिटरिंग से लेक की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. साथ ही झील में पानी की मात्रा को भी आंका जाता है. झील के चारों तरफ जो वॉल होती है वो किसी हार्ड मटेरियल की नहीं बल्कि लूज मटेरियल से बनी होती है. यही वजह है कि जब भी झील में पानी का दबाव बढ़ता तो ये वॉल टूट जाती है. जिसको देखते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ग्लेशियर में मौजूद ग्लेशियर झीलों का अध्ययन कर रहा है. इस अध्यन में झीलों में पानी की मात्रा के साथ ही झील की वॉल की क्षमता का भी पता चल सकेगा.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलें

पढ़ें- केदारनाथ पैदल मार्ग पर मुसीबत बने ग्लेशियर प्वाइंट, मॉनसून से पहले ही बढ़ी मुश्किलें

भूकंप से ग्लेशियर झील की वॉल पर पड़ता है असर: वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया वॉल की क्षमता से अधिक पानी झील में एकत्र होता है, तो वह टूट जाएगा. जिससे नीचे रहने वाले लोगों या फिर पावर प्रोजेक्ट्स और विकास कार्यों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. यही नहीं, ग्लेशियर झील के वॉल के टूटने में भूकंप भी एक बड़ा रोल अदा करता है. भूकंप आने से झील की वॉल पर कई बार दरारें पड़ जाती हैं. जिसके कारण इससे पानी रिसने लगता है, जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियर झीलें

पढ़ें- 2013 की आपदा से सबक, सभी ग्लेशियर झीलों पर लगेंगे वेदर सेंसर, हर गतिविधि पर रहेगी पैनी नजर


ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रही लेक: ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं. ऐसे में ग्लेशियर के लगातार पिघलने के चलते ग्लेशियर में झील बने की घटना भी अधिक हो रही है. इसके अलावा क्लाइमेट चेंज होने की वजह से कई बार उच्च हिमालय क्षेत्र पर बहुत अधिक बर्फबारी होती है, लिहाजा गर्मियों के मौसम में बर्फ पिघलती है. जिसके चलते ग्लेशियर पर झील बढ़ने लगती है. वर्तमान समय में ग्लेशियर में झीलें बढ़ रही हैं. यही नहीं, इन सभी फैक्टर्स की वजह से न सिर्फ नए-नए झीलें बन रहे हैं बल्कि पहले से मौजूद झीलों के आकार में भी बढ़ोतरी हो रही है.

Glacier lakes in high Himalayan regions
ग्लेशियलरों की स्थिति

पढ़ें- एशिया के वाटर टावर हिमालय को हीट वेव से खतरा, जानें वजह


गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में बढ़ रहा है ग्लेशियर झीलों का आकार: वाडिया निदेशक डॉ कालाचंद साईं ने बताया गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में काम करने के लिए आपदा विभाग से प्रोजेक्ट्स लिया था. जिसके अध्ययन में पता चला है कि इन दोनों बेसिन की कुछ झीलों का आकार बढ़ रहा है. इन झीलों का आकार धीमी गति से बढ़ रहा है. गंगोत्री और भागीरथी बेसिन में मौजूद किसी भी लेक की अभी टूटने की संभावना नहीं है.

Last Updated : Sep 3, 2023, 10:09 PM IST
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