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भटकते हुए बांग्लादेश पहुंच गए थे रामसुंदर, जानें कैसे हुई वतन वापसी - Bangladesh reached while wandering

मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के बुजुर्ग की पांच साल बाद वतन वापसी हुई है. 2016 में भटकते हुए बॉर्डर पार कर गए थे और बांग्लादेश पहुंच गए थे. बांग्लादेश में जवानों ने उनको जासूस समझकर पकड़ा और जेल में डाल दिया था. पढ़ें रिपोर्ट..

भटकते
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Published : Sep 21, 2021, 8:52 PM IST

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले के एक बुजुर्ग की वतन वापसी हुई है. वो बांग्लादेश (Bangladesh) की जेल से रिहा होकर सोमवार को घर पहुंचे.

बुजुर्ग पिछले पांच साल से बांग्लादेश की जेल में बंद थे. लंबे समय और अथक प्रयास के बाद जब वतन लौटे तो उनके गांव में उत्सव सा माहौल हो गया. 60 वर्षीय रामसुंदर पासवान सकरा थाना क्षेत्र के महमदपुर बनवारी गांव के रहने वाले हैं.

दरअसल, रामसुंदर पासवान भटकते हुए 2016 में बॉर्डर पार करते हुए बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर गए थे. वहां की पुलिस ने जासूस समझकर उन्हें जेल में डाल दिया था.

वतन वापसी के लिए दी गई अर्जी
वतन वापसी के लिए दी गई अर्जी

अचानक से लापता होने के बाद बुजुर्ग के भाई शंकर पासवान समेत अन्य परिजन उनकी खोजबीन में जुटे रहे. करीब 13 महीने बाद उन लोगों को पता लगा कि रामसुंदर बांग्लादेश की जेल में बंद हैं. इसके बाद परिजनों ने सांसद, विधायक और डीएम को आवेदन सौंपा. पांच साल के प्रयासों के बाद अब जाकर उनकी रिहाई हो सकी है.

भटकते हुए बांग्लादेश पहुंच गए थे रामसुंदर

शंकर पासवान ने कहा कि बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें पश्चिम बंगाल के मालदह जिले के इंग्लिश बाजार थाने के सुपुर्द कर दिया था. इसकी सूचना बरियारपुर पुलिस को दी गयी. तब यहां से हम सब उन्हें लेने के लिए गए और रामसुंदर पासवान को वहां से घर लेकर आये.

ये भी पढ़ें : भारत सरकार की मदद से मुजफ्फरपुर के डॉ. आबिद हुसैन की अफगानिस्तान से हुई वतन वापसी

बुजुर्ग रामसुंदर पासवान की वतन वापसी की बात सुनकर गांव के लोगों की भीड़ उनको देखने के लिए जुट गई. रामसुंदर अब तक सदमे में हैं. वो ठीक से बोल भी नहीं पा रहे हैं. अपने साथ घटी घटना को लेकर उन्होंने बताया कि वो अपने घर से काम की तलाश में निकले थे और भटकते हुए सीमा पार कर बैठे थे. बांग्लादेश की जेल में बिताए गए दिनों को याद करके वो सहम जाते हैं.

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले के एक बुजुर्ग की वतन वापसी हुई है. वो बांग्लादेश (Bangladesh) की जेल से रिहा होकर सोमवार को घर पहुंचे.

बुजुर्ग पिछले पांच साल से बांग्लादेश की जेल में बंद थे. लंबे समय और अथक प्रयास के बाद जब वतन लौटे तो उनके गांव में उत्सव सा माहौल हो गया. 60 वर्षीय रामसुंदर पासवान सकरा थाना क्षेत्र के महमदपुर बनवारी गांव के रहने वाले हैं.

दरअसल, रामसुंदर पासवान भटकते हुए 2016 में बॉर्डर पार करते हुए बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर गए थे. वहां की पुलिस ने जासूस समझकर उन्हें जेल में डाल दिया था.

वतन वापसी के लिए दी गई अर्जी
वतन वापसी के लिए दी गई अर्जी

अचानक से लापता होने के बाद बुजुर्ग के भाई शंकर पासवान समेत अन्य परिजन उनकी खोजबीन में जुटे रहे. करीब 13 महीने बाद उन लोगों को पता लगा कि रामसुंदर बांग्लादेश की जेल में बंद हैं. इसके बाद परिजनों ने सांसद, विधायक और डीएम को आवेदन सौंपा. पांच साल के प्रयासों के बाद अब जाकर उनकी रिहाई हो सकी है.

भटकते हुए बांग्लादेश पहुंच गए थे रामसुंदर

शंकर पासवान ने कहा कि बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें पश्चिम बंगाल के मालदह जिले के इंग्लिश बाजार थाने के सुपुर्द कर दिया था. इसकी सूचना बरियारपुर पुलिस को दी गयी. तब यहां से हम सब उन्हें लेने के लिए गए और रामसुंदर पासवान को वहां से घर लेकर आये.

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बुजुर्ग रामसुंदर पासवान की वतन वापसी की बात सुनकर गांव के लोगों की भीड़ उनको देखने के लिए जुट गई. रामसुंदर अब तक सदमे में हैं. वो ठीक से बोल भी नहीं पा रहे हैं. अपने साथ घटी घटना को लेकर उन्होंने बताया कि वो अपने घर से काम की तलाश में निकले थे और भटकते हुए सीमा पार कर बैठे थे. बांग्लादेश की जेल में बिताए गए दिनों को याद करके वो सहम जाते हैं.

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