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राम मंदिर में होंगे 12 द्वार, 50 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन कर सकेंगे दर्शन

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में बनने वाले राम मंदिर में 12 द्वार होंगे. इसके अलावा मंदिर में मुख्य शिखर सहित पांच मंडप होंगे. करीब 50 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन रामलला के दर्शन कर सकेंगे.

राम मंदिर
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Published : Jan 2, 2021, 10:48 PM IST

अयोध्या : राम मंदिर की नींव का निर्माण कार्य मकर संक्रांति से होने जा रहा है. इस बीच मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों की कोडिंग की जा रही है. मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के बंशीपुर से व नींव के लिए मिर्जापुर के पहाड़ से पत्थर लाने की तैयारी की जा रही है.

राम मंदिर कैसा होगा, इसकी रूपरेखा स्वीकृत हो चुकी है. इसमें मुख्य शिखर सहित पांच मंडप होंगे. इसके अलावा राम मंदिर में 12 द्वार भी बनाए जाएंगे. करीब 50 हजार लोग प्रतिदिन रामलला के दर्शन कर सकेंगे.

57 हजार 400 वर्गफीट में होगा मंदिर निर्माण का एरिया

मुख्य मंदिर के अलावा रामजन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ क्षेत्र में धरोहर संर्वधन के तहत सत्संग भवन, थियेटर और संग्रहालय के अलावा राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में बलिदान देने वाले शहीदों का स्मारक भी बनेगा. मंदिर के निर्माण का एरिया 57 हजार 400 वर्ग फीट में होगा. राम मंदिर निर्माण में प्राकृतिक सामग्री का अधिकतम उपयोग किया जाएगा. इसमें बनने वाले भवनों का निर्माण पर्यावरण मानकों के अनुसार होगा. साथ ही कलाकृतियों, धरोहरों का संरक्षण होगा.

तीन तल वाला होगा मंदिर

राम मंदिर की लंबाई 360 फिट व चौड़ाई 235 फिट होगी. मंदिर की शिखर सहित ऊंचाई 161 फीट तय की गई है. मंदिर में कुल तीन तल होंगे, जिसमें प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर के भूतल में स्तंभों की संख्या 160, प्रथम तल में स्तंभों की संख्या 132 व दूसरे तल में 74 स्तंभ रहेंगे.

इतने श्रद्धालु पहुंचेंगे अयोध्या

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, राम मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या वर्तमान में 10 हजार के करीब है, जो तीर्थयात्री रोज राम जन्मभूमि पहुंच रहे हैं. निर्माण के बाद रोजाना 50 हजार तीर्थयात्रियों की संख्या अपेक्षित मानी जा रही है. प्रमुख पर्वों पर 20 लाख के करीब श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं, जिसकी अपेक्षित संख्या 50 लाख होगी.

उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की होगी प्रदर्शनी

राम मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे राम मंदिर एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रह सकेगा. राम मंदिर में प्राकृतिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाएगा. जल निकायों का निर्माण और संरक्षण किया जाएगा. मंदिर का जल प्रबंधन भूमिगत होगा. श्रीरामलला पुराकालिक दर्शनमंडल प्रकल्प में जन्मभूमि संग्रहालय होगा, जिसमें उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की प्रदर्शनी होगी.

मंदिर में होगा अध्ययन अनुसंधान क्षेत्र

श्रीरामकीर्ति में सत्संग भवन सभागार, गुरु वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान अनुक्षेत्र होगा. भक्तिटीला में ध्यान एवं मनन निकुंज, तुलसी प्रकल्प में रामलीला केंद्र, 360 डिग्री थियेटर, रामदरबार में प्रोजेक्शन थियेटर, माता कौशल्या वात्सल्य मंडप में प्रदर्शनी कक्ष होंगे. झांकियों का परिसर, रामांगण में बहुआयामी चलचित्रशाला, रामायण प्रकल्प में आधुनिक सुविधा संपन्न पुस्तकालय, ग्रंथागार एवं वाचनालय होगा.

पढ़ें- कृष्णागिरी : एक अनोखा उत्सव जिसमें भगवान को चढ़ाई जाती है मूंगफली

बनेगा भव्य स्मारक

मंदिर परिसर में मंदिर आंदोलन के बलिदानी लोगों की याद में भव्य स्मारक भी होगा. आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के विशेष इंतजाम भी किए जाएंगे. उनकी सुविधा के लिए अमानती कक्ष, सौर ऊर्जा पटल, जनरेटर, ऊर्जा उत्पादन केंद्र, स्वाचलित सीढ़ियां, लिफ्ट, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र आदि की व्यवस्था रहेगी.

अयोध्या : राम मंदिर की नींव का निर्माण कार्य मकर संक्रांति से होने जा रहा है. इस बीच मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों की कोडिंग की जा रही है. मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के बंशीपुर से व नींव के लिए मिर्जापुर के पहाड़ से पत्थर लाने की तैयारी की जा रही है.

राम मंदिर कैसा होगा, इसकी रूपरेखा स्वीकृत हो चुकी है. इसमें मुख्य शिखर सहित पांच मंडप होंगे. इसके अलावा राम मंदिर में 12 द्वार भी बनाए जाएंगे. करीब 50 हजार लोग प्रतिदिन रामलला के दर्शन कर सकेंगे.

57 हजार 400 वर्गफीट में होगा मंदिर निर्माण का एरिया

मुख्य मंदिर के अलावा रामजन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ क्षेत्र में धरोहर संर्वधन के तहत सत्संग भवन, थियेटर और संग्रहालय के अलावा राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में बलिदान देने वाले शहीदों का स्मारक भी बनेगा. मंदिर के निर्माण का एरिया 57 हजार 400 वर्ग फीट में होगा. राम मंदिर निर्माण में प्राकृतिक सामग्री का अधिकतम उपयोग किया जाएगा. इसमें बनने वाले भवनों का निर्माण पर्यावरण मानकों के अनुसार होगा. साथ ही कलाकृतियों, धरोहरों का संरक्षण होगा.

तीन तल वाला होगा मंदिर

राम मंदिर की लंबाई 360 फिट व चौड़ाई 235 फिट होगी. मंदिर की शिखर सहित ऊंचाई 161 फीट तय की गई है. मंदिर में कुल तीन तल होंगे, जिसमें प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर के भूतल में स्तंभों की संख्या 160, प्रथम तल में स्तंभों की संख्या 132 व दूसरे तल में 74 स्तंभ रहेंगे.

इतने श्रद्धालु पहुंचेंगे अयोध्या

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, राम मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या वर्तमान में 10 हजार के करीब है, जो तीर्थयात्री रोज राम जन्मभूमि पहुंच रहे हैं. निर्माण के बाद रोजाना 50 हजार तीर्थयात्रियों की संख्या अपेक्षित मानी जा रही है. प्रमुख पर्वों पर 20 लाख के करीब श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं, जिसकी अपेक्षित संख्या 50 लाख होगी.

उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की होगी प्रदर्शनी

राम मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे राम मंदिर एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रह सकेगा. राम मंदिर में प्राकृतिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाएगा. जल निकायों का निर्माण और संरक्षण किया जाएगा. मंदिर का जल प्रबंधन भूमिगत होगा. श्रीरामलला पुराकालिक दर्शनमंडल प्रकल्प में जन्मभूमि संग्रहालय होगा, जिसमें उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की प्रदर्शनी होगी.

मंदिर में होगा अध्ययन अनुसंधान क्षेत्र

श्रीरामकीर्ति में सत्संग भवन सभागार, गुरु वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान अनुक्षेत्र होगा. भक्तिटीला में ध्यान एवं मनन निकुंज, तुलसी प्रकल्प में रामलीला केंद्र, 360 डिग्री थियेटर, रामदरबार में प्रोजेक्शन थियेटर, माता कौशल्या वात्सल्य मंडप में प्रदर्शनी कक्ष होंगे. झांकियों का परिसर, रामांगण में बहुआयामी चलचित्रशाला, रामायण प्रकल्प में आधुनिक सुविधा संपन्न पुस्तकालय, ग्रंथागार एवं वाचनालय होगा.

पढ़ें- कृष्णागिरी : एक अनोखा उत्सव जिसमें भगवान को चढ़ाई जाती है मूंगफली

बनेगा भव्य स्मारक

मंदिर परिसर में मंदिर आंदोलन के बलिदानी लोगों की याद में भव्य स्मारक भी होगा. आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के विशेष इंतजाम भी किए जाएंगे. उनकी सुविधा के लिए अमानती कक्ष, सौर ऊर्जा पटल, जनरेटर, ऊर्जा उत्पादन केंद्र, स्वाचलित सीढ़ियां, लिफ्ट, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र आदि की व्यवस्था रहेगी.

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