नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार ने बुधवार को चालू फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. इसके अलावा सरसों का MSP 400 रुपये बढ़ाकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. सरकार की इस पहल का उद्देश्य इन फसलों की खेती के रकबे के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाना है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार द्वारा रबी फसलों की खरीद के लिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है. वह किसानों के साथ सबसे बड़ा मजाक है. कृषि मूल्य आयोग द्वारा पिछले साल गेहूं की पैदावार की लागत ₹1459 बताई गई थी. इस साल लागत घटाकर ₹1000 कर दी गई है. इससे बड़ा मजाक कुछ हो नहीं सकता. अगर महंगाई दर की बात करें तो इस वर्ष 6% महंगाई में वृद्धि हुई है.
राकेश टिकैत ने कहा कि जिस तरह से पिछले वर्ष समर्थन मूल्य में इजाफा किया गया था अगर उस फार्मूले को भी लागू किया जाए तो किसानों को ₹71 कम दिए गए हैं. जो सरकार MSP को बड़ा कदम बता रही है उसने किसानों की जेब को काटने का काम किया है. दूसरी कुछ फसलों में थोड़े बहुत वृद्धि की गई है लेकिन उन फसलों की खरीद न होने के कारण किसानों का माल बाजार में सस्ते मूल्य लूटा जाता है.
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भाकियू प्रवक्ता ने कहा किसानों के साथ सरकारों द्वारा हमेशा अन्याय किया जाता रहा है. 1967 में ढाई क्विंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना की खरीद की जा सकती थी. आज अगर किसान को एक तोले सोने की खरीद करनी हो तो 25 कुंटल गेहूं बेचने की आवश्यकता है. असली अन्याय यही है. किसानों के साथ किसी भी सरकार ने आर्थिक न्याय नहीं किया है. इसी कारण आज देश का किसान ऊर्जावान ना होकर कर्ज़वान बन गया है. सरकार किसानों को ऊर्जावान बनाना है तो उन्हें उनकी फसलों की कीमत देनी ही होगी.