नई दिल्ली/गाजियाबाद : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कान खोलकर सुन ले, किसानों को गन्ने का रेट सवा चार सौ रुपये क्विंटल से एक पाई कम भी मंजूर नहीं होगा. सरकार ने ऐसा नहीं किया तो केंद्र सरकार से काले कानूनों और MSP की गारंटी के लिए चल रही लड़ाई के साथ ही भारतीय किसान यूनियन सूबे की सरकार की भी मोर्चेबंदी करेगी.
उन्होंने कहा कि 2017 में अपने घोषणा पत्र में गन्ने का रेट 370 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा करके ये लोग सरकार में आए अब इस रेट में साढ़े चार साल में बेतहाशा बढ़ी महंगाई का भी हिसाब जोड़ लो, किसान पूरा हिसाब जोड़े बैठा है. किसी भी हाल में सवा चार सौ रुपये से कम रेट पर वह मानने वाला नहीं है.
टिकैत ने कहा, उन्हें जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश सरकार गन्ने का रेट बढ़ाने की कवायद में जुटी है. यह अच्छी बात है, लेकिन अबकी बार हिसाब पक्का होगा. किसान को यदि गन्ने के रेट को लेकर भरमाने का प्रयास किया गया तो भाकियू प्रदेश भर में जबरदस्त आंदोलन करेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार गन्ने का बकाया जल्दी भुगतान कराए, किसान के लिए बिजली के रेट कम करे और सरकार की नीतियों के कारण आवारा पशुओं से फसल को हो रहे नुकसान का खामियाजा भी भुगतने को तैयार रहे. उत्तर प्रदेश का किसान आवारा पशुओं से हो रहे नुकसान से तंग आ चुका है और सरकार नहीं मानी तो चुनाव में जवाब देगा.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री ने 14 दिन में गन्ने का भुगतान कराने और न करा पाने पर ब्याज देने की बात कही थी, लेकिन हुआ क्या? किसान का हजारों करोड़ रुपये का भुगतान आज भी बकाया है. यूपी सरकार किसान के ट्यूबवेल के लिए 170 रुपये प्रति हॉर्सपावर की दर से बिजली दे रही है, जबकि हरियाणा में 15 रुपये प्रति हॉर्सपावर ही किसानों को देना पड़ता है. पंजाब में किसानों और गरीबों के बिजली फ्री में देने की घोषणा हो चुकी है. बकाया बिजली बिल भी माफ होंगे. वहीं यूपी में और रेट बढ़ाने के लिए सरकार तैयार बैठी है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में बनी बसपा सरकार ने अपने कार्यकाल में सबसे अधिक गन्ने के रेट में कुल मिलाकर 115 रुपये का इजाफा किया था. अखिलेश यादव की सरकार में भी गन्ने का रेट 65 रुपये बढ़ा, लेकिन जब से मौजूदा सरकार आई है, शुरुआत में 10 रुपये का लॉलीपॉप देकर उसके बाद गन्ने का रेट एक पाई भी नहीं बढ़ाया. अब चुनाव के डर से सरकार ने किसानों को फिर से भरमाने का प्रयास किया तो सरकार किसानों का रोष झेलने का तैयार रहे. किसान को सवा चार सौ रुपये प्रति क्विंटल से एक पाई कम भी मंजूर नहीं होगा.
कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की गारंटी की मांग को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को 10 महीने पूरे होने जा रहे हैं.
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