ETV Bharat / bharat

जुवेनाइल जस्टिस संशोधन विधेयक, 2021 राज्य सभा से भी पारित

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई. राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई.

author img

By

Published : Jul 28, 2021, 3:55 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 4:26 PM IST

Rajya Sabha
Rajya Sabha

नई दिल्ली : विपक्षी दलों के हंगामे के बीच किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 विधेयक (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021) राज्य सभा से पारित हो गया. इसे संक्षेप में जुवेनाइल जस्टिस संशोधन विधेयक, 2021 (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021) भी कहा जाता है.

लोक सभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है.

जुवेनाइल जस्टिस संशोधन विधेयक पारित

उच्च सदन में इस विधेयक को चर्चा के लिये रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह विधेयक बच्चों के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है तथा आगामी पीढ़ी की जरूरतों को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि बाल कल्याण समितियों को ज्यादा ताकत दी जा रही है. इससे बच्चों का बेहतर संरक्षण करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में बच्चों से जुड़े मामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त शक्तियां देकर सशक्त बनाया गया है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि देश भर में बच्चों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण योजना के तहत 2009-10 में मात्र 60 करोड़ रूपये दिये गए थे. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बच्चों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और 2020-21 में बच्चों की सुरक्षा के मद में 1500 करोड़ रूपये आवंटित किये गए हैं .

उन्होंने कहा कि विगत में पश्चिम बंगाल में नर्सिंग होम में बच्चों की बिक्री का मामला सामने आया था.

स्मृति ईरानी ने बच्चों को गोद लिए जाने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें 60 दिनों का समय लगना चाहिए लेकिन काफी अधिक समय लग रहा है. उन्होंने कहा कि समय से कागजी कार्रवाई पूरा नहीं होने से बच्चों के हित प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के गोद लिए जाने से संबंधित करीब 1,000 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं.

मंत्री ने कहा, इस संशोधन विधेयक का लक्ष्य यह है कि हम सतर्क रहें ताकि प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से बच्चों का संरक्षण किया जा सके. उन्होंने बताया कि बच्चों के संरक्षण को ध्यान में रखकर जिला मजिस्ट्रेट को निगरानी और कानून के क्रियान्वयन जिम्मेदारी दी जा रही है.

उन्होंने सदन में विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर राजनीति से उठकर विधेयक का समर्थन करें क्योंकि यह बच्चों से जुड़ा एक अहम विधेयक है.

इस दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों का आसन के समक्ष आ कर हंगामा जारी था. हाथों में तख्तियां और पोस्टर लिए हुए ये सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. विधेयक पर चर्चा के लिए पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदस्यों के नाम पुकारे. इनमें से कुछ सदस्य सदन में नहीं थे, कुछ आसन के समक्ष हंगामा कर रहे थे और कुछ ने सदन में व्यवस्था न होने का तर्क दे कर अपनी बात नहीं रखी.

चर्चा में किसी सदस्य के हिस्स न लेने पर पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने मंत्री से कहा कि वे विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव करें. स्मृति ने विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव किया और ध्वनि मत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई.

पढ़ें :- मानसून सत्र 2021 : संसद में विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा कल तक स्थगित

इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक पर मत विभाजन की मांग की. तब पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने कहा कि इसके लिए सदस्यों को अपने अपने स्थानों पर जाना होगा.

गौरतलब है कि हंगामा करने वाले सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी थे जो पेगासस जासूसी विवाद को लेकर नारेबाजी कर रहे थे.

इस विधेयक के माध्यम से किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया गया है. इसके माध्यम से बच्चों के संरक्षण के ढांचे को जिलावार एवं प्रदेशवार मजबूत बनाने के उपाय किये गए हैं.

विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों में जे जे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के मुद्दे के लिए जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अधिकृत किया गया है ताकि ऐसे मामलों का तेजी से निपटारा किया जा सके और जवाबदेही तय की जा सके .

इसके तहत जिला अधिकारियों को कानून के तहत निर्बाध अनुपालन सुनिश्चित करने और कठिनाई में पड़े बच्चों के लिये सुसंगत प्रयास करने के लिये अधिकार दिए गए हैं.

जिला मजिस्ट्रेट को अधिनियम के तहत और अधिक अधिकार देते हुए कानून के सुचारू क्रियान्यवन का भी अधिकार दिया गया है जिससे संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास किए जा सके.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : विपक्षी दलों के हंगामे के बीच किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 विधेयक (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021) राज्य सभा से पारित हो गया. इसे संक्षेप में जुवेनाइल जस्टिस संशोधन विधेयक, 2021 (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021) भी कहा जाता है.

लोक सभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है.

जुवेनाइल जस्टिस संशोधन विधेयक पारित

उच्च सदन में इस विधेयक को चर्चा के लिये रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह विधेयक बच्चों के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है तथा आगामी पीढ़ी की जरूरतों को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि बाल कल्याण समितियों को ज्यादा ताकत दी जा रही है. इससे बच्चों का बेहतर संरक्षण करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में बच्चों से जुड़े मामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त शक्तियां देकर सशक्त बनाया गया है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि देश भर में बच्चों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण योजना के तहत 2009-10 में मात्र 60 करोड़ रूपये दिये गए थे. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बच्चों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और 2020-21 में बच्चों की सुरक्षा के मद में 1500 करोड़ रूपये आवंटित किये गए हैं .

उन्होंने कहा कि विगत में पश्चिम बंगाल में नर्सिंग होम में बच्चों की बिक्री का मामला सामने आया था.

स्मृति ईरानी ने बच्चों को गोद लिए जाने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें 60 दिनों का समय लगना चाहिए लेकिन काफी अधिक समय लग रहा है. उन्होंने कहा कि समय से कागजी कार्रवाई पूरा नहीं होने से बच्चों के हित प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के गोद लिए जाने से संबंधित करीब 1,000 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं.

मंत्री ने कहा, इस संशोधन विधेयक का लक्ष्य यह है कि हम सतर्क रहें ताकि प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से बच्चों का संरक्षण किया जा सके. उन्होंने बताया कि बच्चों के संरक्षण को ध्यान में रखकर जिला मजिस्ट्रेट को निगरानी और कानून के क्रियान्वयन जिम्मेदारी दी जा रही है.

उन्होंने सदन में विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर राजनीति से उठकर विधेयक का समर्थन करें क्योंकि यह बच्चों से जुड़ा एक अहम विधेयक है.

इस दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों का आसन के समक्ष आ कर हंगामा जारी था. हाथों में तख्तियां और पोस्टर लिए हुए ये सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. विधेयक पर चर्चा के लिए पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदस्यों के नाम पुकारे. इनमें से कुछ सदस्य सदन में नहीं थे, कुछ आसन के समक्ष हंगामा कर रहे थे और कुछ ने सदन में व्यवस्था न होने का तर्क दे कर अपनी बात नहीं रखी.

चर्चा में किसी सदस्य के हिस्स न लेने पर पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने मंत्री से कहा कि वे विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव करें. स्मृति ने विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव किया और ध्वनि मत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई.

पढ़ें :- मानसून सत्र 2021 : संसद में विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा कल तक स्थगित

इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक पर मत विभाजन की मांग की. तब पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने कहा कि इसके लिए सदस्यों को अपने अपने स्थानों पर जाना होगा.

गौरतलब है कि हंगामा करने वाले सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी थे जो पेगासस जासूसी विवाद को लेकर नारेबाजी कर रहे थे.

इस विधेयक के माध्यम से किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया गया है. इसके माध्यम से बच्चों के संरक्षण के ढांचे को जिलावार एवं प्रदेशवार मजबूत बनाने के उपाय किये गए हैं.

विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों में जे जे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के मुद्दे के लिए जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अधिकृत किया गया है ताकि ऐसे मामलों का तेजी से निपटारा किया जा सके और जवाबदेही तय की जा सके .

इसके तहत जिला अधिकारियों को कानून के तहत निर्बाध अनुपालन सुनिश्चित करने और कठिनाई में पड़े बच्चों के लिये सुसंगत प्रयास करने के लिये अधिकार दिए गए हैं.

जिला मजिस्ट्रेट को अधिनियम के तहत और अधिक अधिकार देते हुए कानून के सुचारू क्रियान्यवन का भी अधिकार दिया गया है जिससे संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास किए जा सके.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 28, 2021, 4:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.