नई दिल्ली : 'अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021' को बृहस्पतिवार को संसद की मंजूरी मिल गई जिसमें राष्ट्र की सुरक्षा एवं जन-जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से अनिवार्य रक्षा सेवाएं बनाये रखने का उपबंध किया गया है.
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच राज्यसभा में इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई.
लोकसभा में तीन अगस्त को पारित हो चुका यह विधेयक संबंधित अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 का स्थान लेगा.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने चर्चा और पारित करने के लिए यह विधेयक उच्च सदन में पेश किया. पेगासस जासूसी विवाद, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा हुई.
चर्चा में बीजद के सुजीत कुमार, द्रमुक के एम षणमुगम, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी, माकपा के इलामारम करीम, राजद के मनोज कुमार झा, आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने भी हिस्सा लिया.
चर्चा में हिस्सा ले रहे कई सदस्यों ने रक्षा सेवा को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बताते हुए पेगासस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग दोहराई. उपसभापति हरिवंश ने कहा कि नियम 110 के अनुसार, सदस्यों को विषय पर ही अपनी बात रखनी चाहिए. इस पर तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संदर्भ दिया.
ज्यादातर सदस्यों ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की.
चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. इसका मकसद यह है कि हथियारों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति में बाधा नहीं आए.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में आयुध कारखानों के नियोक्ताओं एवं मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों से अच्छी चर्चा की गई है. इसमें कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है. उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के हितों को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान विधेयक में नहीं है.
उन्होंने कहा, हमारे मित्रों (सदस्यों) ने जो आपत्तियां दी हैं वे निराधार हैं. कहीं भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है. कर्मचारियों को मिलने वाली सुख-सुविधाओं में कोई कटौती नहीं होती है.
मंत्री ने सदस्यों से अपील की कि वे सर्वसम्मति से इस विधेयक को पारित करें क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है.
मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को लेकर लाए गए कुछ संशोधनों को खारिज कर दिश और विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही विधेयक को मंजूरी दे दी.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है. रक्षा से संबद्ध सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए.
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इसमें कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं चल रहा था और तुरंत विधान बनाने की जरूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने 30 जून, 2021 को ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ प्रख्यापित किया था.
इससे पहले, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार एक नयी परंपरा स्थापित कर रही है. उन्होंने कहा कि नियत कार्यसूची में आज यह विधेयक शामिल नहीं था, लेकिन सदन में जारी गतिरोध का फायदा उठा कर यह विधेयक पारित करने के लिए लाया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक रक्षा संपत्तियों का ‘‘डीनेशनलाइजेशन’’ करने के लिए लाया गया है.
विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए उन्होंने सदन में जारी गतिरोध का संदर्भ दिया और कहा ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें फोन कर कहा था कि वह किर्गिजस्तान की यात्रा से लौट कर इस मामले को सुलझाएंगे. आप वह चर्चा नहीं कर रहे हैं जिसकी हम 14 दिनों से मांग कर रहे हैं. लेकिन इस विधेयक पर आप जल्दबाजी में चर्चा करा रहे हैं. ’’
उन्होंने कहा कि देश में यह संदेश जाएगा कि विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा है लेकिन राजनाथ सिंह के समझाने के बावजूद चर्चा नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार में हिम्मत है तो पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं कराती ?
सदन में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्होंने फोन पर खड़गे के साथ हुई बातचीत में सिर्फ यह कहा था कि सदन में कामकाज होना चाहिए और सदन को चलना चाहिए.