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राज्य सभा में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित

राज्य सभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित हो गया है.

rajya sabha
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Published : Aug 4, 2021, 3:12 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 4:50 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रावधान करने वाले एक संशोधन विधेयक को बुधवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 उच्च सदन में चर्चा के लिए पेश किया. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पर बीजद के डॉ अमर पटनायक, टीआरएस के वी लिंगैया यादव, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने अपनी बात रखी.

हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री सीतारमण ने संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई तक उनकी आसान और समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करने और जमाकर्ताओं में अपने धन की सुरक्षा के बारे में विश्वास पैदा करने के लिए, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम, 1961 में संशोधन किया गया है.

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के विभिन्न उपबंधों के तहत बीमित बैंक के बैंकिंग व्यवसाय के निलंबन की स्थिति में जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से निक्षेप बीमा के माध्यम से उनकी बचत तक पहुंच को सुगम बनाना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 28 जुलाई को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 (डीआईसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता एक समय के अंदर अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.

पढ़ें :- राज्य सभा से छह तृणमूल सांसद निलंबित, पूरे दिन की कार्यवाही से निकाले गए

इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करना है. अधिनियम में संशोधन लागू होने के बाद बैंक पर लेन-देन की रोक लगने पर जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि प्राप्त करने का अवसर सुनिश्चित होगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 में संशोधन की घोषणा आम बजट में की थी. इस संशोधन के बाद सभी खाताधारकों की पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को बीमा कवर मिलेगा. इसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं.

डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है.

सीतारमण ने कहा कि डीआईसीजीसी सभी बैंक जमाओं...बचत या मियादी या चालू खाता जमा या आवर्ती जमा का बीमा करती है. इसके तहत सभी वाणिज्यिक बैंक आते हैं. इनमें वे विदेशी बैंक भी शामिल हैं जिनकी भारत में शाखाएं हैं.

नई दिल्ली : राज्यसभा ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रावधान करने वाले एक संशोधन विधेयक को बुधवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 उच्च सदन में चर्चा के लिए पेश किया. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पर बीजद के डॉ अमर पटनायक, टीआरएस के वी लिंगैया यादव, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने अपनी बात रखी.

हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री सीतारमण ने संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई तक उनकी आसान और समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करने और जमाकर्ताओं में अपने धन की सुरक्षा के बारे में विश्वास पैदा करने के लिए, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम, 1961 में संशोधन किया गया है.

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के विभिन्न उपबंधों के तहत बीमित बैंक के बैंकिंग व्यवसाय के निलंबन की स्थिति में जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से निक्षेप बीमा के माध्यम से उनकी बचत तक पहुंच को सुगम बनाना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 28 जुलाई को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 (डीआईसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता एक समय के अंदर अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.

पढ़ें :- राज्य सभा से छह तृणमूल सांसद निलंबित, पूरे दिन की कार्यवाही से निकाले गए

इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करना है. अधिनियम में संशोधन लागू होने के बाद बैंक पर लेन-देन की रोक लगने पर जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि प्राप्त करने का अवसर सुनिश्चित होगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 में संशोधन की घोषणा आम बजट में की थी. इस संशोधन के बाद सभी खाताधारकों की पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को बीमा कवर मिलेगा. इसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं.

डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है.

सीतारमण ने कहा कि डीआईसीजीसी सभी बैंक जमाओं...बचत या मियादी या चालू खाता जमा या आवर्ती जमा का बीमा करती है. इसके तहत सभी वाणिज्यिक बैंक आते हैं. इनमें वे विदेशी बैंक भी शामिल हैं जिनकी भारत में शाखाएं हैं.

Last Updated : Aug 4, 2021, 4:50 PM IST
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