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धनखड़ ने ब्रिटिश युग के कानूनों को बदलने से जुड़े विधेयकों को गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा

ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों को बदलने की कार्यवाही जारी है. गृह मामलों की स्थायी समिति की ओर से तीन महीने के भीतर इसपर रिपोर्ट दी जाएगी.

Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar (file photo)
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (फाइल फोटो)
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Published : Aug 19, 2023, 1:09 PM IST

नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को तीन प्रस्तावित विधेयकों को जांच के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति को भेज दिया. ये बिल ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों को बदलने से जुड़े हैं. राज्यसभा ने स्थायी समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. राज्यसभा द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, 'सदस्यों को सूचित किया जाता है कि 18 अगस्त 2023 को राज्यसभा के सभापति ने लोकसभा अध्यक्ष के परामर्श से भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को प्रस्तुत किया.'

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था. ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलना चाहते हैं.

बिल पेश करने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा. उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था.

ये भी पढ़ें- Amendment in Criminal Laws : खत्म होगा राजद्रोह कानून, सीआरपीसी, आईपीसी और साक्ष्य कानूनों में बड़ा बदलाव

हम इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं. इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करेगा. उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां दंड दिया जाएगा.'

(एएनआई)

नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को तीन प्रस्तावित विधेयकों को जांच के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति को भेज दिया. ये बिल ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों को बदलने से जुड़े हैं. राज्यसभा ने स्थायी समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. राज्यसभा द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, 'सदस्यों को सूचित किया जाता है कि 18 अगस्त 2023 को राज्यसभा के सभापति ने लोकसभा अध्यक्ष के परामर्श से भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को प्रस्तुत किया.'

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था. ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलना चाहते हैं.

बिल पेश करने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा. उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था.

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हम इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं. इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करेगा. उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां दंड दिया जाएगा.'

(एएनआई)

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