नयी दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को सचिन पायलट की 'जन संघर्ष यात्रा' पर ध्यान दिया, जिसे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए एक चुनौती के रूप में करार दिया गया है, लेकिन युवा नेता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करके किसी भी संकट से दूर रहने का फैसला किया गया है. राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी एसएस रंधावा ने अपने तीन डिप्टी वीरेंद्र राठौर, काजी मोहम्मद निजामुद्दीन, अमृता धवन और राज्य इकाई के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा के साथ राज्य के राजनीतिक मामलों और संगठनात्मक मुद्दों की समीक्षा की.
इस समीक्षा के बाद उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि हमने यात्रा पर ध्यान दिया है. मैं कर्नाटक के नतीजों के बाद हमारे अध्यक्ष खड़गे जी को जानकारी दूंगा और वह इस मामले में अंतिम निर्णय लेंगे. एआईसीसी इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पुरानी गहलोत बनाम पायलट प्रतिद्वंद्विता का हल खोजने की कोशिश कर रही है, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली है. पायलट नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं, जबकि एआईसीसी गहलोत के नेतृत्व में चुनाव में उतरना चाहती है.
पिछले भाजपा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में युवाओं और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर करने के लिए 11-15 मई के दौरान अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर की जन संघर्ष यात्रा निकालने के सचिन पायलट के नवीनतम कदम को गहलोत खेमे ने एक प्रकार का विद्रोह बताया है. राजस्थान प्रभारी रंधावा द्वारा बुलाई गई एआईसीसी की महत्वपूर्ण बैठक से घंटों पहले एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर गहलोत के करीबी सहयोगी, राज्य इकाई प्रमुख डोटासरा ने स्पष्ट किया कि पायलट की यात्रा को न तो राज्य इकाई और न ही एआईसीसी द्वारा अनुमोदित है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को राज्य समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जहां पायलट की यात्रा के पक्ष और विपक्ष दोनों पर चर्चा की गई और इस मामले में अंतिम निर्णय खड़गे पर छोड़ दिया गया, जब वे कर्नाटक चुनाव से गुजर चुके होंगे और जहां पार्टी सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है. जो लोग पायलट के उकसावे से नाराज हैं, उनके लिए एआईसीसी को चुनाव से ठीक चार महीने पहले यात्रा पर युवा नेता से स्पष्टीकरण मांगने की जरूरत है.
इस समूह का तर्क है कि पायलट, जो पहले उन्हीं मुद्दों पर एक दिन के उपवास पर बैठे थे, उनको ऐसी गतिविधियों से दूर रहने के लिए कहा गया था. इसके अलावा, पायलट ने 9 मई को अपनी यात्रा की घोषणा करने का फैसला किया, जब राहुल गांधी कार्यकर्ताओं के लिए एक पार्टी प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए राजस्थान के माउंट आबू में थे. पायलट का समर्थन करने वालों के लिए हालांकि युवा नेता व्यक्तिगत स्तर पर यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं कहा है.
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यह गुट बताता है कि पार्टी का रुख भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है और इसलिए भाजपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों को उठाने के लिए पायलट को निशाना बनाना सही संकेत नहीं भेजेगा. हाल ही में, गहलोत, जो बगावत करने और 2020 में भाजपा की मदद से उनकी सरकार को गिराने की कोशिश करने के लिए पायलट को दोषी ठहराते रहे हैं, उन्होंने यह कहकर बम गिरा दिया था कि राजे ने अपना शासन बचा लिया था. उन्होंने पायलट खेमे के बागी विधायकों से भाजपा से लिए गए पैसे वापस करने का भी आग्रह किया था. पायलट कहते रहे हैं कि उन्होंने गहलोत से राजे के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था, लेकिन मुख्यमंत्री इस मामले को लेकर बैठे रहे.