जयपुर. राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 9 साल की काश्वी पारीक आंख पर पट्टी बांधकर अपने नन्हे सधे हाथों से कैनवास पर रंग की तूलिका चलाती हैं, तो देखने वाला हर कोई दंग रह जाता है. उनके इसी टैलेंट ने उसे विश्व पटल पर पहुंचाया है. काश्वी आंखों पर पट्टी बांधकर राजस्थान की सबसे बारीक मंडला आर्ट करती हैं, जिसे सबसे बारीक और कठिन कला माना जाता है. विश्व स्तर पर रिकॉर्ड बनाने के बाद अब उन्हें ब्रिटिश संसद में सम्मान मिलेगा.
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इंडिया, एशिया के बाद वर्ल्ड बुक में नाम : काश्वी दो महीने की कड़ी मेहनत से फरवरी 2023 में बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक पहुंचीं थी. इसके एक महीने बाद यानी मार्च 2023 में एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उन्होंने नाम दर्ज कराया. काश्वी यहीं नहीं रुकीं. इसके बाद उन्होंने बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपने हुनर को चुनौती दी और जून 2023 में ये रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. काश्वी की इस उपलब्धि पर 14 सितंबर को ब्रिटिश संसद में उसका सम्मान होगा.
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नित्य अभ्यास और ध्यान केंद्रित करना होता है : काश्वी के पिता राहुल पारीक कहते हैं कि दिसंबर 2022 में वो काश्वी को काउंसलिंग के लिए एक्सपर्ट के पास लेकर गए थे. वहां पर उन्होंने काश्वी के हुनर को पहचाना और ब्लाइंड फोल्ड (आंखों पर पट्टी बांधकर) पर काम करने की बात कही. कोच की गाइडेंस और काश्वी के कठिन परिश्रम से उसने बहुत कम समय में ब्लाइंड फोल्ड समझ लिया. इसकी वजह से वो मात्र दो महीने में इंडिया, एशिया और अब वर्ल्ड बुक में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं. राहुल कहते हैं कि नित्य अभ्यास और ध्यान केंद्रित करना सिखाया जाता है.
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क्या है ब्लाइंड फोल्ड ? : ब्लाइंड फोल्ड यानी आंखों पर पट्टी बांधकर कोई काम करना. इसके जरिए किसी भी तरह का काम करना तब ही संभव है, जब उसके लिए नित्य अभ्यास किया जाए. हालांकि इसे हर कोई नहीं कर सकता. इसके लिए सबसे पहले किसी भी शख्स का मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है. काश्वी के पिता राहुल पारीक कहते हैं कि काश्वी बचपन से ही कुछ अलग तरह की क्रिएटिव थी. वो घर पर भी कई चीजों का आभास पहले ही कर लेती थी, लेकिन कभी हमने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
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हर दिन 4 घंटे का अभ्यास : उन्होंने बताया कि जब काश्वी को कोच के पास लेकर गए और उन्होंने इसके इस हुनर के बारे में बताया तब लगा की बेटी नाम रोशन करेगी, आज इसने ये कर दिखाया. ब्लाइंड फोल्ड की इस विधि में आंख पर कॉटन रखने के बाद कसकर पट्टी बांधी जाती है. इसके बाद व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के मध्य भाग पर ध्यान केंद्रित करना होता है, जिसके जरिए बाहरी हिस्से की गतिविधियों और वातावरण का आभास होने लगता है. इसके लिए आमतौर पर 90 दिन की ट्रेनिंग होती है, लेकिन काश्वी ने दो महीने से भी कम वक्त में इसमें महारत हासिल कर ली थी, हालांकि आज भी उसे हर दिन करीब 4 घंटे का अभ्यास करना होता है.
काश्वी का टैलेंट : ईटीवी भारत के कैमरे के सामने काश्वी की आंखों पर पट्टी बांधी गई. इसके बाद उससे एक-एक कर कई तरह के सवाल किए गए. कुछ किताबें भी पढ़वाई, नंबर्स की पहचान करवाई, इतना ही नहीं हमारे कैमरे पर काश्वी ने अपने सधे नन्हें हाथों से बारीक पेंटिंग भी की. काश्वी बंद आंखों से हर उस पड़ाव को पार कर रही थी, जो एक सामन्य व्यक्ति खुली आंखों से भी न कर पाए. काश्वी ब्लाइंड फोल्ड साइकिलिंग, स्केटिंग, स्विमिंग या फिर अन्य एक्टिविटी आसानी से कर लेती हैं. काश्वी ने बताया उसे मस्तिष्क के मध्य से ठीक उसी तरह दिखाई देता है, जिस तरह से खुली आंखों से दिखाई देता है.