नई दिल्ली : राजस्थान में अगले 2-3 दिनों में राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. कांग्रेस पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि राजस्थान में कैबिनेट विस्तार की पूरी तैयारी है और पार्टी को अपने केंद्रीय नेतृत्व की अंतिम मंजूरी का इंतजार है. उम्मीद की जा रही है कि राज्य मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल इस सप्ताह तक पूरा हो जाएगा.
यह घटनाक्रम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक के कुछ दिनों बाद सामने आया है. दोनों नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी आलाकमान पर फैसला छोड़ दिया है और नेतृत्व जो भी फैसला करेगा उसे वे स्वीकार करेंगे.
दिल्ली दौरे पर गहलोत ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन के साथ भी बैठक की थी. यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि प्रियंका गांधी ने पिछले साल सचिन पायलट को मानने में प्रमुख भूमिका निभाई थी, जब पायलट गुट अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत पर उतारू हो गया था.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 'एक व्यक्ति, एक पद' के फॉर्मूले को अपनाने जैसे विभिन्न तौर-तरीकों पर भी काम कर रही है. यदि राज्य में यह फॉर्मूला अपनाया जाता है तो राजस्थान सरकार के तीन मंत्रियों को इस्तीफा देना होगा, जिनमें हरीश चौधरी, गोविंद डोटासरा और रघु शर्मा शामिल हैं. क्योंकि हरीश चौधरी वर्तमान में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी भी हैं. डोटासरा मंत्री के साथ राजस्थान कांग्रेस प्रमुख का भी पद संभाल रहे हैं, जबकि रघु शर्मा को गुजरात प्रभारी बनाया गया है.
इसके अलावा सचिन पायलट अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह देने के साथ-साथ निगम में रिक्त पदों पर भी अपनी मांगों को लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं.
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सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद, पायलट ने मीडिया से कहा था कि कांग्रेस के सदस्य जिन्होंने भाजपा के शासन के दौरान पांच साल तक पार्टी के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है, जिन्होंने सड़कों पर उतर कर संघर्ष किया, लाठियां खाईं और जेल गए. मुझे लगता है कि उन्हें पार्टी में सम्मान दिया जाना चाहिए.