जोधपुर. भांग का नाम सुनते ही पहला ख्याल नशे का आता है, लेकिन अगर कहा जाए कि भांग से कपड़े भी बनते हैं, तो अचरज की बात लगती है. राजस्थान के जोधपुर जिले में दो भाइयों ने बतौर स्टार्टअप भांग के पेड़ से बने कपड़े लॉन्च किए हैं. यह शुरुआत करने वाले राहुल सुथार और सुनील सुथार ने बताया कि भांग के पौधे के तने से निकलने वाले रेशे से बने धागे से यह कपड़ा बनता है. इसका निर्माण उत्तराखंड में होता है. सुनील का दावा है कि यह कपड़ा पूरी तरह से ऑर्गेनिक, केमिकल रहित और एंटी बैक्टीरियल होता है. हर धुलाई से इसकी सॉफ्टनेस बढ़ती है. ये कपड़ा 800 रुपए मीटर बिकता है. जोधपुर में चल रहे पोलो सीजन में हेमरिक्स के नाम से लॉन्च किया गया कपड़ा ऑनलाइन भी उपलब्ध है.
![clothes made from hemp in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/rjjdh04clothmadebyhemptree7211872_21122023121028_2112f_1703140828_180.jpg)
![clothes made from hemp in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/rjjdh04clothmadebyhemptree7211872_21122023121028_2112f_1703140828_171.jpg)
कम पानी से तैयार होता है कपड़ा : आमतौर पर बनने वाले कॉटन और अन्य कपड़े को तैयार करने में बहुत मात्रा में पानी लगता है. सुनील ने बताया कि कॉटन की खेती से लेकर उसके कपड़े से शर्ट बनने में 2600 लीटर पानी लगता है. भांग की खेती में पानी भी कम लगता है और इससे धागे से बने कपड़े की प्रोसेसिंग में अन्य कपड़ों के मुकाबले दस फ़ीसदी ही पानी खर्च होता है.
![कपड़े की खासयित](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/20324260_thmbnail_16x9_bhang.jpg)
उत्तराखंड ने वैध खेती की अनुमति : उत्तराखंड राज्य में भांग की खेती करने के लिए सरकारी अनुमति दी गई है. ऐसे में वहां पर इसकी फसल भी बहुतायत होती है. भांग के पेड़ के तने से निकलने वाले रेशे से धागा बनता है, जिसे बाद में प्रक्रिया कर कपड़ा बना दिया जाता है. उत्तराखंड में कई संस्थाएं इस पर काम कर रही हैं, जो ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ती हैं.
![Brother duo launched clothes made from hemp](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/rjjdh04clothmadebyhemptree7211872_21122023121028_2112f_1703140828_854.jpg)
मौसम के अनुरूप रहता है कपड़ा : भांग का यह कपड़ा मौसम के अनुरूप रहता है. गर्मी में यह ठंडा और सर्दी में गर्म अहसास करवाता है. यही वजह है कि चीन की सेना में भी इस कपड़े का प्रयोग होता है. भारत में इसका चलन अब शुरू हो रहा है. कलरफुल फैब्रिक्स के अलावा इसके टॉवल, चटाई भी बनाए जाते है.