रायपुर : मेहनत, हौसला और लगन के बूते हर मंजिल को पाना आसान है. बस करना सिर्फ इतना है कि अपने हौसलों को टूटने नहीं देना है. इन्हीं हौसलों की बदौलत रायपुर की बेटी ने अपना नाम आसमान जितना ऊंचा किया है. भले ही गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी इस बेटी को विरासत में मिली. लेकिन अपनी लगन के आगे इस बेटी ने मुश्किलों को हावी नहीं होने दिया. इस बेटी का नाम है गंगा सोना. वह एशियन गेम्स में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं. रायपुर में रहने वाली गंगा सोना का चयन चाइना एशियन गेम्स के लिए हुआ है. इससे पहले गंगा 11 बार नेशनल गेम्स में अपना जौहर दिखा चुकी हैं.
कौन हैं गंगा सोना : आप सोच रहे होंगे कि एशियन गेम्स में किसी का चयन होना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन गंगा सोना के लिए ये बड़ी उपलब्धि है. दरअसल गंगा का परिवार एक झुग्गी में रहता है. पिता पेशे से ऑटो ड्राइवर हैं. घर का पूरा खर्च पिता की कमाई पर ही टिका है. ऐसे में सॉफ्टबॉल जैसा गेम खेलना और उसमें कामयाब होना आसान काम नहीं है. ना ही कोई बड़ा स्कूल, ना ही कोई बड़ा कोच और ना ही प्रैक्टिस करने के लिए माकूल स्थिति. बावजूद इसके गंगा की मेहनत ने उसका नाम आज देश के हर शख्स की जुबान पर ला दिया है. गंगा के 4 भाई और 2 बहन हैं. जिनमें से पांच बच्चे स्पोर्ट्स से जुड़े हैं. गंगा के बड़े भाईयों ने सॉफ्टबॉल में ही नेशनल खेला है. वहीं दो बहनें भी सॉफ्टबॉल में हाथ आजमाती है. गंगा ने नेशनल और स्टेल लेवल पर सॉफ्टबॉल टीम को रिप्रेजेंट किया है.
कहां से मिली सॉफ्टबॉल खेलने की प्रेरणा : गंगा की पारिवारिक स्थिति भले ही ठीक ना हो. लेकिन उसके भाइयों के अंदर शुरु से ही खेल भावना थी. भाइयों को खेलते देखकर गंगा बड़ी हुई. गंगा का बड़ा भाई सॉफ्टबॉल की प्रैक्टिस किया करता था. लेकिन एक चोट के कारण उसका करियर सॉफ्टबॉल में आगे नहीं बढ़ सका. चोट के कारण गंगा का भाई तो सॉफ्टबॉल नहीं खेल सका, लेकिन अपनी बहनों को उसने खुद से भी अच्छा खिलाड़ी बनाने का सपना देखा. बस यहीं से गंगा और उसकी बहन प्रतिमा की ट्रेनिंग शुरू हुई. स्कूल में पढ़ाई के समय गंगा रनिंग कॉम्पिटिशन में भाग लेती थी. इसके बाद भाई के कहने पर सॉफ्टबॉल में फोकस किया. सॉफ्टबॉल में गंगा ने 11 नेशनल मैच खेले हैं. वह पंजाब, दिल्ली, गोवा, महाराष्ट्र, एमपी और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों का दौरा कर चुकी है. गंगा का सिलेक्शन होने पर पिता और बहन काफी खुश हैं.
'' मैं बहुत खुश हूं. मैं एक ऑटो चालक हूं. ऑटो चलाकर बच्चों को पढ़ाया, खेलने के लिए प्रेरित किया. उसी का फल आज मिल रहा है. मुझे बहुत खुशी है कि मेरी बेटी का सिलेक्शन हुआ है. इंडियन टीम में शामिल होना बहुत बड़ी बात है.''-पूर्णो सोना,गंगा के पिता
''बहुत ज्यादा खुशी हो रही है. बड़ी बात यह है कि बड़े भैया और मम्मी पापा का सपना पूरा हो गया है. आज मेरी बहन इंटरनेशनल लेवल पर खेलने जाने वाली है. मैं भी सॉफ्टबॉल की नेशनल प्लेयर हूं. मेरी भी ट्रेनिंग चल रही है.'' -प्रतिमा सोना,गंगा की बहन
ओलंपिक में मेडल लाना है सपना : गंगा का सपना ओलंपिक में जाकर मेडल लाना है. गंगा के मुताबिक अभी एशियन गेम्स में चयन हुआ है. लेकिन यात्रा यहीं नहीं रुकेगी. जी तोड़ मेहनत और खेल पर ध्यान लगाकर इससे भी आगे जाना है. माता पिता, भाई और कोच को गंगा अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय देती हैं.
'' मैं अपने मम्मी पापा का दिल से शुक्रिया करना चाहती हूं, क्योंकि उनके कारण मुझे आगे खेलने की हिम्मत मिली.मैं ज्यादा मोटिवेट हो पाई. खेल के साथ भी मैंने पढ़ाई को मैनेज किया. पढ़ाई में ज्यादा दिक्कत नहीं आई. मैं खेलने जाती थी और बाद में पढ़ाई करती थी.'' -गंगा सोना, सॉफ्टबॉल प्लेयर
भारत का नाम रोशन करने की काबिलियत : गंगा सोना का कहना है कि एशियन गेम्स में हमारे देश का नाम रोशन हो, हम अपने खेल का ऐसा प्रदर्शन करें कि लोग ना सिर्फ हमें बल्कि हमारे खेल को भी याद रखें. लोगों को ऐसा लगना चाहिए कि भारत की बेटियों के जैसा खेल कहीं नहीं देखा. भारतीय सॉफ्टबॉल टीम एशियाई खेलों में पहली बार हिस्सा ले रही है. इस खेल में गंगा को वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली है. यह गंगा के उत्कृष्ट प्रदर्शन और क्षमता को दर्शाता है.
रायपुर की रहने वाली गंगा सोना इस साल सितंबर अक्टूबर में चीन के हांगझू में अपना जौहर दिखाएंगी. यहां आयोजित एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय महिला टीम में गंगा प्रदर्शन करेंगी.